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🎁चौथी पंचवर्षीय योजना
🎉1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1974 तक चली।
🎉योजना आयोग की अध्यक्ष इंदिरा गाँधी।
🎉प्राथमिकता – स्थिरता के साथ आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया।
🎉कृषि तथा सिंचाई को भी महत्व दिया गया।
🎉इस योजना का प्रारूप योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी पी गाडगिल ने तैयार किया था।
🎉विकास दर-
💎लक्ष्य 5.7% 💎प्राप्ति 3.4%
🎉प्रमुख कार्य-
💎इसी पंचवर्षीय योजना के दौरान 14 बैंको का राष्ट्रीय करण किया गया था।
💎ISRO की स्थापना एक अन्य मुख्य कार्य था।
💎विकास दर की लक्ष्य प्राप्ति न होने के बाद भी इस पंचवर्षीय योजना ने अब तक सर्वाधिक कृषि वृद्धि दर्ज की गयी।
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🎁तृतीय पंचवर्षीय योजना
🎉1 अप्रैल 1961 से 31 मार्च 1966 तक चली।
🎉योजना आयोग के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे।
🎉प्राथमिकता – आत्मनिर्भरता एवं कृषि एवं उद्योग पर बल दिया गया। सबसे अधिक बल कृषि पर दिया गया था।
🎉विकास दर-
🔥लक्ष्य 5.6% 🔥प्राप्ति 2.8%
🎉विकास दर का लक्ष्य पूरा न होने के कारण-
🐒1962 का भारत चीन युद्ध।
🐒1965 भारत पाक युद्ध।
🐒1966 का सूखा।
🐒हरित क्रांति शुरू हुयी थी।
🎉योजना अवकाश (प्रथम) (1966-1969) -
🖊तृतीय पंचवर्षीय योजना के विफल होने के कारण पंचवर्षीय योजनाओं को रोक दिया गया, इसी काल को प्रथम योजना अवकाश के नाम से जाना जाता है।
🖊अगले तीन वर्षों तक वार्षिक योजना चलाई गयी।
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🎁द्वितीय पंचवर्षीय योजना
🎉1 अप्रैल 1956 से 31 मार्च 1961 तक चली।
पी सी महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
🎉योजना आयोग के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे।
🎉प्राथमिकता – औद्योगिक विकास एवं उद्योग जगत पर केंद्रित थी।
🎉विकास दर-
🔥लक्ष्य 4.5% 🔥प्राप्ति 4.2%
🎉प्रमुख कार्य –
🔥राऊरकेला, भिलाई, दुर्गापुर इस्पात संयंत्रों की स्थापना।
🔥भारत सहायता क्लब की स्थापना इसी के अन्तर्गत हुयी थी।
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💣प्रथम पंचवर्षीय योजना
🎉1 अप्रैल 1951 से 31 मार्च 1956 तक चली।
योजना आयोग के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे।
🎉हेरॉड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
🎉प्राथमिकता – कृषि विकास पर थी।
🎉विकास दर – प्राप्ति 3.6%
🎉प्रमुख कार्य –
🖊भाखड़ा नागल, हीराकुंड, दामोदर घाटी जैसी बहुउद्देशीय परियोजना चालू की गई।
🖊कृषि विकास इसकी प्रथम प्राथमिकता थी जिसे प्राप्त भी किया गया।
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😍❤️भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ
🎉भारत की पंचवर्षीय योजना केंद्र सरकार द्वारा 5 वर्षों के लिए राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास की एक योजनाएं थी।
🎉इन पंचवर्षीय योजनाओं को वर्ष 1950 से 2014 तक योजना आयोग द्वारा बनाया जाता रहा है।
🎉वर्ष 2014 से पंचवर्षीय योजनाओं तथा योजना आयोग की जगह नीति आयोग ने ले ली है।
योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 में हुआ।
🎉भारत का प्रधानमंत्री ही योजना आयोग का अध्यक्ष होता था। संविधान में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है। NDC(राष्ट्रीय विकास परिषद) का गठन 6 अगस्त 1952 को किया गया।
🎉NDC को सुपर कैबिनेट भी कहा जाता था। NDC का उद्देश्य योजना आयोग द्वारा बनायी गयी पंचवर्षीय योजना को ठीक से क्रियानवित कराना था।
🎉पंचवर्षीय योजना अंतिम रूप से इसी के द्वारा स्वीकृत की जाती थी।
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🎁GST का इतिहास
🖊गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर
Goods and Services Tax भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है।
🖊इससे केन्द्र एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू की गयी जिससे भारत को एकीकृत साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी।
🖊भारतीय संविधान में इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है।
🖊कस्टम, एक्साइज और सेल्स टैक्स का इतिहास तो भारत में काफी पुराना है, जब भारत आजाद भी नही हुआ था तब से ये टैक्स लग रहे है. लेकिन सर्विस टैक्स भारत में सर्वप्रथम 1994 (वित्त काननू 1994 के तहत) में लागू किया गया था, जिसे डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे प्रस्तुत किया था।
🖊सर्विस टैक्स के बदौलत ही आज भारत के GDP का 50% से भी ज्याद भाग सर्विस टैक्स से आता है। लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं को कभी ख्याल भी नही आया की सर्विस इतनी महत्वपूर्ण होगी। इसलिए संविधान में सर्विस का कोई उल्लेख नही है।
🖊2002 में भारत सरकार ने सेवाओं और सामानों पर लगाने वाले टैक्स को एक साथ लगने का निर्णय किया जिसे CENVAT (Central Vat) कहा गया।
🖊यहाँ से GST के विकास का एक महत्वपूर्ण कदम जो आगे बढकर तात्कालिन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 2006- 2007 के बजट में GST को लागू करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए और 2010 में GST को लागू करने का निर्णय लिया लेकिन यह संभव नहीं हो सका।
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🎁अर्थव्यवस्था के क्षेत्र ( Sectors of economy )
🎁1. प्राथमिक क्षेत्र ( Primary Sector ) -
अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र, जो प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होता है तथा जहां से प्राकृतिक संसाधनों को एक उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जाता है। प्राथमिक क्षेत्र कहलाता है।
जैसे -: कृषि, पशुपालन, मछली पालन, खनिज उत्खनन तथा इनसे संबंधित गतिविधियां आदि।
🎁2. द्वितीयक क्षेत्र ( Secondary Sector ) -
अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र, जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को एक नए उत्पाद के रूप में तैयार करता है। द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है।
इस क्षेत्र में विनिर्माण कार्य होने के कारण ही इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहते हैं।
जैसे -: वस्त्र उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, लोहा इस्पात उद्योग, वाहन उद्योग आदि।
🎁3.Tertiary Sector -:अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र, जो सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में सेवाओं को प्रदान करता है। वह तृतीयक क्षेत्र कहलाता है।
इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।
जैसे -: बैंकिंग, शिक्षा, बीमा, चिकित्सा आदि।
भारतीय अर्थव्यवस्था ( 1950-1990 ) :- स्वतंत्रता के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था चुना गया। जिसमें सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों को स्थान दिया गया था। मिश्रित अर्थव्यवस्था को समाजवादी और पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के ऊपर स्थान दिया गया था।
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🎁5. खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)
🔥खुली अर्थव्यवस्था में समुचित रूप से आयात एवं निर्यात होता है 1990 के बाद समाजवादी अर्थव्यवस्था का पतन हुआ और खुली अर्थव्यवस्था ही एक मात्र विकल्प बचा।
🔥अर्थशास्त्रियों का मानना है कि खुली अर्थव्यवस्था एक बेहतर विकल्प है जिसमें एक ओर उपभोक्ता को बेहतर विकल्प मिलते हैं और दूसरी ओर पिछड़े देशों को तकनीकी ज्ञान प्राप्त होता है।
🔥लेकिन खुली अर्थव्यवस्था भी खतरों से मुक्त नहीं क्योंकि इससे कमजोर देशों के बाजार पर विकसित देशों का कब्जा हो जाने का भय बना रहता है जिससे धन का निर्गमन होने लगता है।
🔥आर्थिक वस्तु एवं सेवा- जब सामान्य वस्तु एवं सेवा में उत्पादन की प्रक्रिया जुड़ जाए साथ ही उनमें बाजार मूल्य भी जुड़ जाये तो वह आर्थिक वस्तु बन जाती है।
🔥जिस भी वस्तु अथवा सेवा की उपयोगिता(मांग) जितनी ज्यादा होगी उसका बाजार मूल्य उतना ही अधिक होगा।
🎁अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था ( Economics and Economy ) -
🖊अर्थव्यवस्था ( Economy ) किसी विशेष क्षेत्र का अर्थशास्त्र होता है. अर्थात् किसी विशेष क्षेत्र में अर्थशास्त्र की नीति और सिद्धांत के अध्ययन को उस विशेष क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ( Economy ) कहते हैं.
🖊उदाहरण के तौर पर -विकसित अर्थव्यवस्था, विकासशील अर्थव्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था, अमेरिकी अर्थव्यवस्था आदि.
🖊अर्थशास्त्र ( Economics ) एक विषय है। जिसके अन्तर्गत बाजार के सिद्धांतों और नीतियों के आधार पर यह बताया जाता है.
🖊कि समाज, सरकार व व्यक्ति अपने संसाधनों का उपयोग किस प्रकार और किस स्तर तक करता है. तथा करना चाहिए।
🖊( Economics ) अर्थशास्त्र के नीतियों और सिद्धांतों को प्रमुख रूप से प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास स्कॉटलैंड के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने सन् 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “द वेल्थ ऑफ नेशंस” ( The Wealth Of Nations ) में किया था।
शास्त्रीय अर्थशास्त्र ( classical economics ) की शुरुआत इसी पुस्तक के द्वारा हुई।
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🎁3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)
🔥मिश्रित अर्थव्यवस्था पूंजीवादी एवं समाजवादी का मिश्रण होती है। यहां कुछ आर्थिक क्रियाओं पर बाजार एवं कुछ पर सरकार का नियंत्रण होता है।
🔥मूल्य निर्धारण बाजार एवं सरकार दोनो द्वारा ही किया जाता है। सरकार नियामक के रूप में कार्य करती है। वर्तमान समय में भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था लागू है। ये अर्थव्यवस्था कम विकसित और विकासशील देशों में अधिक प्रचलित है।
🎁4. बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)
🔥बन्द अर्थव्यवस्था, जिसमें आयात (Import) एवं निर्यात (Export) नहीं होता है बन्द अर्थव्यवस्था कहलाती है।
🔥इसे इस तरह भी समझा जा सकता है, जब कोई देश अपने में ही इतना सक्षम हो कि उसे न कोई निर्यात करना पड़े और न ही आयात करना पड़े।
🔥इस तरह की बन्द अर्थव्यवस्था को वास्तविक रूप में लागू कर पाना किसी भी देश के लिए व्यवहारिक नहीं है परन्तु फिर भी कुछ ऐसे देश है जहां आयात एवं निर्यात नगण्य के बराबर है यहां लगभग बंद अर्थव्यवस्था पायी जाती है। जैसे – नॉर्वे, ब्राजील।
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🎁2. समाजवादी अर्थव्यवस्था
🔥समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक संसाधनों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है।
🔥यहां पर मूल्य के निर्धारण में सरकार का हस्तक्षेप होता है तथा सरकार ही मांग व पूर्ति को नियंत्रित करती है इस तरह की प्रणाली को प्रशासनिक मूल्य प्रणाली भी कहा जाता है।
🔥समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र का प्रभुत्व होता है तथा नगण्य प्रतिस्पर्धा की नीति को अपनाया जाता है। समाजवाद में एकाधिकार दर्शन होते हैं।
🔥सरकार ही तीनों भूमिका नियामक, उत्पादनकर्ता एवं आपूर्तिकर्ता के रूप में होती है।
🔥समाजवादी अर्थव्यवस्था के केन्द्र में उत्पादन के स्थान पर वितरण के रखा जाता है जिससे मुद्रास्फीति एवं राजकोषीय घाटा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी अर्थव्यवस्था में नेतृत्व का अभाव होता है।
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