༈༈❣️मरीज-ऐ-इश्क ❣️༈༈
⊙|| दिल के जज़्बात लिखता हूं || || साहित्य || अनमोल || पंक्ति|| दर्द || || हकीकत || शायरी || विचार || || एवं सभी धर्मों का दिल से || || सम्मान करता हूं ||⊙ @Shayariwalain @DilKiBaaat
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कहते हैं उम्मीद पर दुनिया कायम है,
दिलो में अरमान होना भी लाजिमी है,,
हवाएँ तेज़ चलें या हो आँधियों का दौर,
रोशनी देने को एक चिराग तो कायम है,,
रात कितनी भी काली हो, सवेरा आएगा,
हर मुश्किल के बाद, फिर से वक्त मुस्कुराएगा,,
संघर्षों के इस सफर में थक मत जाना,
क्योंकि हर अंधेरे के बाद, उजाला कायम है,,
𝒢𝓊𝓃𝒿𝒶𝓃 𝒿ℴ𝒽𝓇𝒾
1 दर्द, हद से ज्यादा रखा है
लिखकर खात,आधा रखा है
बेवफाई पे भी वफ़ा करें हम
खुद से हमने ये वादा रखा है
रंगीन मजाज है तुम्हारे हमने
तो खुद को बस सदा रखा हैं
कमजोर थी डोर तुम्हारी फिर
भी हमने खुद को बांदा रखा है
लवली कुछ भी
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आजमा कर देख लिए साथी सारे,
वक्त के थपेड़ों में अक्सर वो तनहा हमें छोड़ जाते हैं,,
झूठी मुस्कानों में छुपा लेते हैं हम गम सारे,
दिल के जख्म दिखाने से लोग दूर हो जाते हैं,,
अपनों की भीड़ में हम अपने ही खो बैठे है,
सच्चे रिश्ते निभाने वाले ही अक्सर दूर हो जाते हैं,,
𝒢𝓊𝓃𝒿𝒶𝓃 𝒿ℴ𝒽𝓇𝒾
""दिल दे तो इस मिज़ाज़ का परवरदिगार दे,,
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुजार दे....""
- दाग़ देहलवी 🌺😊
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ये समझदार हम साया
दिल में तो मेरे जंग लगी है
चेहरे से बाताओ में कैसा। इन्सान हूं
तुम तो जानते हो माहिर हो✍️🌹💔
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दिल जिसे चाहता है वो अपना न हो सका,
आँखों में आँसू थे पर दिल रो न सका,,
ख्वाबों में ही सही, उसे अपना बना लिया,
हकीकत में उसे पा न सके,,
कैसी ये मजबूरी है, कैसी ये बेबसी,
जिसे चाहा दिल से, उसे कह भी न सके,,
ख्वाहिशों का मौसम तो गुज़रता रहा,
पर उस चाहत को हम भुला न सके,,
राहें जुदा थीं और मंज़िल भी अलग थी,
दिल की बात दिल में ही रह गई,,
मोहब्बत का नाम देकर, हम उसे पा न सके,
फासले मिटाने की चाह में, हम पास आ न सके,,
𝒢𝓊𝓃𝒿𝒶𝓃 𝒿ℴ𝒽𝓇𝒾
8 क्लास के बच्चे रिलेशन में जा रहे हैं
और एक में डिप्रेशन में जा रहा हूं
जिंदगी में जिसकी हमेशा से तमन्ना थी ,
वो जिन्दगी बस ख्वाब में नजर आती है . . . ! !
एक एक कर सब साथ छोड़ जाते हैं,
तन्हाइयों की सजा वफा के बदले दे जाते हैं,,
और हम पूछते हैं कि हमारा कसूर क्या था,
वो बड़ी खामोशी से मुस्कुरा कर दर्द दे जाते हैं,,
𝒢𝓊𝓃𝒿𝒶𝓃 𝒿ℴ𝒽𝓇𝒾
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पिता श्री ने लिया प्लॉट
लगाए उसमें हरे प्लांट
जाने कहां से आए बंदर
पूरी फसल कर गए सपाट
पिता श्री जब लौट कर आए
देखकर फ़सल हुए निराश
प्लॉट से घर वापस आए
लगाई फिर घर भर को डांट
रहना था तुम सबको वहीं
करनी थी उसकी देखभाल
खिलाकर बंदर को फ़सल
अच्छा रखा उसका ख्याल
उसमें कितनी मेहनत की थी
कर दिया उसका हाल बेहाल
शाम को देखो कैसा था
अब देखो क्या हो गया हाल
पिता श्री जब लिए प्लॉट
लगा दिए हम सबकी वॉट
दिन भर धूप में बिठा के हमको
खड़ी करदी हम सबकी खाट।
😅😅😅😅
By. "शब्दांशी" ✍️
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