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INDIAN & WORLD GEOGRAPHY™©

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🎁ग्रामीण बस्ती 🖊ग्रामीण बस्ती की परिभाषा देश पर निर्भर करती है, कुछ देशों में, ग्रामीण बस्ती किसी भी सरकारी कार्यालय द्वारा ग्रामीण के रूप में परिभाषित क्षेत्रों में कोई भी बस्ती है , उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय जनगणना ब्यूरो द्वारा । 🖊इसमें ग्रामीण कस्बे भी शामिल हो सकते हैं । कुछ अन्य देशों में, ग्रामीण बस्तियों में पारंपरिक रूप से कस्बे शामिल नहीं होते हैं। 🖊ग्रामीण बस्तियों के सामान्य प्रकार गांव , बस्तियां और खेत हैं . 🖊परंपरागत रूप से, ग्रामीण बस्तियाँ कृषि से जुड़ी हुई थीं । आधुनिक समय में अन्य प्रकार के ग्रामीण समुदाय विकसित हुए हैं। 🖊वह बस्तियाँ जहाँ अधिकांश लोगों का व्यवसाय स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित होता है , ग्रामीण बस्तियाँ कहलाती हैं उदाहरण के लिए 💎(1) समुद्र तट के किनारे मत्स्य पालन की बस्तियाँ, 💎(2) वन क्षेत्र में जनजातीय लोगों की बस्तियाँ और 💎(3) नदियों के किनारे किसानों की बस्तियाँ। 🖊ग्रामीण बस्तियाँ मानवीय अधिवास विशेषताओं और पर्यावरण के पारस्परिक संबंध को दर्शाती हैं। 🖊"ग्रामीण बस्ती" शब्द का प्रयोग कभी-कभी सभी ग्रामीण बस्तियों के लिए या विशेष रूप से ग्रामीण प्रकार की बस्तियों के लिए एक पर्याय के रूप में भी किया जाता है ।
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🎁मानव बस्ती 😍भूगोल, सांख्यिकी और पुरातत्वशास्त्र में, बस्ती, अधिवास, इलाका या आबादी वाला स्थान एक समुदाय है जिसमें लोग रहते हैं। 😍बस्ती की जटिलता के आधार पर श्रेणीकरण के अनुसार सबसे बड़े शहारों के आसपास नगरीय क्षेत्र से लेकर छोटी संख्या के आवासों के समूह शामिल है। 😍बस्ती में गाँव, कस्बा और शहर सभी शामिल हो सकते हैं। एक बस्ती में ऐतिहासिक गुण हो सकते हैं जैसे तिथि या युग जिसमें इसे पहले बसाया गया था। 😍एक बस्ती में प्रथानुसार सड़क, तालाब, पार्क और मंदिर-मस्जिद जैसी निर्मित सुविधाएं शामिल हैं। 😍अधिवासों के चिरसम्मत वर्गीकरण के अंतर्गत अधिवास को दो भागों में विभाजित किया जाता है- 🎉1-नगरीय अधिवास 🎉2-ग्रामीण अधिवास 😍नगरीय अधिवास 🎉जिन अधिवासो में रहने वाले लोग अधिकांशतः द्वितीयक , तृतीयक एवम् चतुर्थक कार्यक्षेत्र से संबंध रखते हों,उसे नगरीय अधिवास कहा जाता है। 😍ग्रामीण अधिवास 🎉जिन अधिवासों में प्राथमिक कार्य से संबंधित लोग निवास करते हैं,उसे ग्रामीण अधिवास कहते हैं। 😍बस्तियों के प्रकार 🎉रेखिय या पंक्तिनुमा गांव 🎉अरीय त्रिज्याकार बस्तियां 🎉तीरनुमा बस्तियां 🎉मकड़ी-जालनुमा बस्तियां 🎉अर्ध्व्रताकार बस्तियां 🎉तारानुमा बस्तियां 🎉चौक पट्टीनुमा बस्तियां 🎉पंखानुमा बस्तियां 🎉जूते की डोरीनुमा बस्तियां 🎉आयराकार बस्तियां 🎉सीढ़ी के आकार की बस्तियां 🎉मधुमक्खी छ्त्तानुमा बस्तियां 🎉अनाकार बस्तियां 😍भारतीय जनगणना आयोग की जनगणना नगर की एक विशेष परिभाषा है। 🙄परित्यक्त आबादी वाले स्थान 😍जनसंख्या वाले स्थानों का त्याग किया जा सकता है। 😍कभी-कभी वहाँ निर्मित संरचनाएं आसानी से सुलभ होती हैं, जैसे कि भूत नगर में, और ये पर्यटक आकर्षण बन सकते हैं।
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🎁मानव बस्ती 😍भूगोल, सांख्यिकी और पुरातत्वशास्त्र में, बस्ती, अधिवास, इलाका या आबादी वाला स्थान एक समुदाय है जिसमें लोग रहते हैं। 😍बस्ती की जटिलता के आधार पर श्रेणीकरण के अनुसार सबसे बड़े शहारों के आसपास नगरीय क्षेत्र से लेकर छोटी संख्या के आवासों के समूह शामिल है। 😍बस्ती में गाँव, कस्बा और शहर सभी शामिल हो सकते हैं। एक बस्ती में ऐतिहासिक गुण हो सकते हैं जैसे तिथि या युग जिसमें इसे पहले बसाया गया था। 😍एक बस्ती में प्रथानुसार सड़क, तालाब, पार्क और मंदिर-मस्जिद जैसी निर्मित सुविधाएं शामिल हैं। 😍अधिवासों के चिरसम्मत वर्गीकरण के अंतर्गत अधिवास को दो भागों में विभाजित किया जाता है- 🎉1-नगरीय अधिवास 🎉2-ग्रामीण अधिवास 😍नगरीय अधिवास 🎉जिन अधिवासो में रहने वाले लोग अधिकांशतः द्वितीयक , तृतीयक एवम् चतुर्थक कार्यक्षेत्र से संबंध रखते हों,उसे नगरीय अधिवास कहा जाता है। 😍ग्रामीण अधिवास 🎉जिन अधिवासों में प्राथमिक कार्य से संबंधित लोग निवास करते हैं,उसे ग्रामीण अधिवास कहते हैं। 😍बस्तियों के प्रकार 🎉रेखिय या पंक्तिनुमा गांव 🎉अरीय त्रिज्याकार बस्तियां 🎉तीरनुमा बस्तियां 🎉मकड़ी-जालनुमा बस्तियां 🎉अर्ध्व्रताकार बस्तियां 🎉तारानुमा बस्तियां 🎉चौक पट्टीनुमा बस्तियां 🎉पंखानुमा बस्तियां 🎉जूते की डोरीनुमा बस्तियां 🎉आयराकार बस्तियां 🎉सीढ़ी के आकार की बस्तियां 🎉मधुमक्खी छ्त्तानुमा बस्तियां 🎉अनाकार बस्तियां 😍भारतीय जनगणना आयोग की जनगणना नगर की एक विशेष परिभाषा है। 🙄परित्यक्त आबादी वाले स्थान 😍जनसंख्या वाले स्थानों का त्याग किया जा सकता है। 😍कभी-कभी वहाँ निर्मित संरचनाएं आसानी से सुलभ होती हैं, जैसे कि भूत नगर में, और ये पर्यटक आकर्षण बन सकते हैं।
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🎁ग्रामीण भूगोल 😍यह मानव भूगोल के अधिवास भूगोल की एक शाखा हैं। 😍जिसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के बसाव प्रतिरुप, कार्यात्मक विवरण, उनके अधिवास आदि तथ्यों का अध्यन किया जाता हैं।
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👍 3
🎁अधिवास भूगोल 😍अधिवास भूगोल या बस्ती भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा है जो मानव द्वारा बसाए गए पृथ्वी की सतह के हिस्से की जांच करती है। 😍मानव बस्तियों पर संयुक्त राष्ट्र के वैंकूवर घोषणापत्र (1976) के अनुसार, "मानव बस्तियों का अर्थ मानव समुदाय की समग्रता है - चाहे वह शहर, कस्बे या गांव हो - जहाँ सभी सामाजिक, भौतिक, संगठनात्मक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तत्त्व हों जो इसे बनाए रखते हैं।" 😍परंपरागत रूप से, यह सांस्कृतिक भूगोल से संबंधित है और इसे शहरी बस्ती (शहर और नगर) और ग्रामीण बस्ती के भूगोल में विभाजित किया गया है जैसे गाँव और पुरवा (हैमलेट)। 😍इस प्रकार, बस्तियों को ज्यादातर सांस्कृतिक परिदृश्य के तत्वों के रूप में देखा जाता है जो समय के साथ विकसित हुए। 😍ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और भारत के अलावा, यह शब्द वास्तव में अंग्रेजी बोलने वाले भूगोल में शायद ही कभी प्रयोग किया जाता है। 😍बस्ती भूगोल पर अंतिम अंग्रेजी पुस्तकों में से एक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा 1990 के दशक में प्रकाशित की गई थी। 😍शहरी फैलाव की प्रक्रियाओं के कारण जैसे कि काउंटर शहरीकरण, परि-नगरीकरण या उपनगरीकरण के बाद शहरी और ग्रामीण के बीच मौजूदा विभाजन विशेषकर औद्योगिक देशों और नए औद्योगिक देशों में महत्त्व खो रहा है। 😍यह दृष्टिकोण पहले से ही एकीकृत अधिवास योजना जैसी कई नियोजन रणनीतियों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। 😍इसलिए, बस्तियों का एक एकीकृत भूगोल जो शहरी और ग्रामीण बस्तियों को एक निरंतर प्रक्रिया के रूप में मानता है, जो 20वीं शताब्दी के दौरान अपना महत्त्व खो चुका था उसको पुनः प्राप्त कर रहा है। 😍आगे इसका उपयोग प्रागैतिहासिक, ऐतिहासिक व वर्तमान केंद्रित भौगोलिक शोध में किया जाता है।
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🎁अधिवास भूगोल 😍अधिवास भूगोल या बस्ती भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा है जो मानव द्वारा बसाए गए पृथ्वी की सतह के हिस्से की जांच करती है। 😍मानव बस्तियों पर संयुक्त राष्ट्र के वैंकूवर घोषणापत्र (1976) के अनुसार, "मानव बस्तियों का अर्थ मानव समुदाय की समग्रता है - चाहे वह शहर, कस्बे या गांव हो - जहाँ सभी सामाजिक, भौतिक, संगठनात्मक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तत्त्व हों जो इसे बनाए रखते हैं।" 😍परंपरागत रूप से, यह सांस्कृतिक भूगोल से संबंधित है और इसे शहरी बस्ती (शहर और नगर) और ग्रामीण बस्ती के भूगोल में विभाजित किया गया है जैसे गाँव और पुरवा (हैमलेट)। 😍इस प्रकार, बस्तियों को ज्यादातर सांस्कृतिक परिदृश्य के तत्वों के रूप में देखा जाता है जो समय के साथ विकसित हुए। 😍ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और भारत के अलावा, यह शब्द वास्तव में अंग्रेजी बोलने वाले भूगोल में शायद ही कभी प्रयोग किया जाता है। 😍बस्ती भूगोल पर अंतिम अंग्रेजी पुस्तकों में से एक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा 1990 के दशक में प्रकाशित की गई थी। 😍शहरी फैलाव की प्रक्रियाओं के कारण जैसे कि काउंटर शहरीकरण, परि-नगरीकरण या उपनगरीकरण के बाद शहरी और ग्रामीण के बीच मौजूदा विभाजन विशेषकर औद्योगिक देशों और नए औद्योगिक देशों में महत्त्व खो रहा है। 😍यह दृष्टिकोण पहले से ही एकीकृत अधिवास योजना जैसी कई नियोजन रणनीतियों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। 😍इसलिए, बस्तियों का एक एकीकृत भूगोल जो शहरी और ग्रामीण बस्तियों को एक निरंतर प्रक्रिया के रूप में मानता है, जो 20वीं शताब्दी के दौरान अपना महत्त्व खो चुका था उसको पुनः प्राप्त कर रहा है। 😍आगे इसका उपयोग प्रागैतिहासिक, ऐतिहासिक व वर्तमान केंद्रित भौगोलिक शोध में किया जाता है।
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🎁जनसंख्या भूगोल 😍जनसंख्या भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। 😍इसमें स्वंय मानव की जनसंख्या, लोगो का वितरण, आयु संरचना, घनत्व, व्रधि, लिंग अनुपात, स्थानान्तरण, व्यावसायिक संरचना तथा उनके आवासों का अध्ययन किया जाता हैं। 😍उपरोक्त परिभाषाओं से हम जनसंख्या भूगोल निम्नलिखित रूप से परिभाषित कर सकते हैं ❤️“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है। ❤️1. जी०टी० द्विवार्था (G.T. Trewartha) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल के मूल तत्त्व जनसंख्या द्वारा आच्छादित (आवासित) पृथ्वी के प्रादेशिक भिन्नताओं को समझने में निहित है।” 😍परिभाषा से स्पष्ट है कि जी०टी० द्विवार्था ने जनसंख्या भूगोल को धरातल पर जनसंख्या के वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नता के अध्ययन का विषय माना है। उन्होंने क्षेत्रीय भिन्नता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ❤️2. ब्रिटिश भूगोलविद् जॉन आई० क्लार्क (John I. Clarke) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल यह प्रदर्शित करता है कि जनसंख्या के वितरण, संघटन, प्रवास और वृद्धि में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताएँ स्थानों की प्रकृति में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं से किस प्रकार सम्बन्धित हैं। “ 😍इस प्रकार उन्होंने जनसंख्या भूगोल को भूतल पर जनसंख्या वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय-भिन्नताओं को उसके भौतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ में जानने का प्रयत्न करता है। 😳नोट: जॉन आई० क्लार्क की जनसंख्या भूगोल पर प्रथम पाठ्य पुस्तक सन् 1965 में प्रकाशित हुई। ❤️3. प्रसिद्ध फ्रांसीसी भूगोलविद् जे०बी० गार्नियर (J. B. Garnier) के अनुसार, “जनसंख्या भूगोल अपने पर्यावरण के संदर्भ में जनांकिकीय तथ्यों की मूल विशेषताओं तथा संभव परिणामों का सकारण अध्ययन करता है।” 😍यहां गार्नियर ने भूतल पर जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं के अध्ययन में पर्यावरण को महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रदर्शित किया है। 😳नोट: जे०बी० गार्नियर द्वारा फ्रांसीसी भाषा में लिखित जनसंख्या भूगोल का अंग्रेजी अनुवाद 1966 में प्रकाशित हुआ। ❤️4. अमेरिकी भूगोलवेत्ता डैम्को (G.J. Demko) शब्दों में “जनसंख्या भूगोल, भूगोल विषय की वह शाखा है जो मानवीय जनसंख्या के जनांकिकीय तथा अजनांकिकीय विशेषताओं की क्षेत्रीय भिन्नताओं का विश्लेषण करता है।” 😍उन्होंने जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत जनांकिकीय लक्षणों के साथ ही सामाजिक-आर्थिक लक्षणों के क्षेत्रीय भिन्नताओं के अध्ययन को भी सम्मिलित करने की बात कही है। ❤️“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है।
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🎁Population Geography 😍Population Geography is a major branch of Human Geography. 😍In this, the human population itself, distribution of people, age structure, density, growth, sex ratio, migration, occupational structure and their residences are studied. 😍From the above definitions, we can define Population Geography as follows ❤️“Population Geography is that branch of Geography in which the regional differences found in the distribution, composition, migration and change of population and the socio-economic patterns arising from the interrelationships found between population and environment in a given area are studied. ❤️1. According to G.T. Trewartha, “The basic elements of Population Geography lie in understanding the regional differences of the earth covered (inhabited) by the population.” 😍It is clear from the definition that G.T. Dwartha has considered population geography as the subject of study of regional differences found in the distribution of population on the surface. He has given the most important place to regional differences. ❤️2. According to British geographer John I. Clarke, "Population geography shows how the regional differences found in the distribution, composition, migration and growth of population are related to the regional differences found in the nature of places." 😍Thus, he tries to understand the regional differences found in the population distribution on the surface of population in its physical, economic and cultural context. 😳Note: John I. Clarke's first textbook on population geography was published in 1965. ❤️3. According to the famous French geographer J.B. Garnier, “Population geography studies the basic characteristics and possible consequences of demographic facts in the context of their environment.” 😍Here Garnier has shown the environment as an important factor in the study of the main characteristics of population on the earth's surface. 😳Note: The English translation of Population Geography written in French by J.B. Garnier was published in 1966. ❤️4. In the words of American geographer Demko (G.J. Demko), “Population geography is that branch of geography which analyzes the regional differences in the demographic and non-demographic characteristics of the human population.” 😍He has talked about including the study of regional differences in socio-economic characteristics along with demographic characteristics under population geography. ❤️“Population geography is the branch of geography that deals with the regional variations in the distribution, composition, migration and change of population and the socio-economic patterns that arise from the interrelationships between population and environment in a given region.
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🎁जनसंख्या भूगोल 😍जनसंख्या भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। 😍इसमें स्वंय मानव की जनसंख्या, लोगो का वितरण, आयु संरचना, घनत्व, व्रधि, लिंग अनुपात, स्थानान्तरण, व्यावसायिक संरचना तथा उनके आवासों का अध्ययन किया जाता हैं। 😍उपरोक्त परिभाषाओं से हम जनसंख्या भूगोल निम्नलिखित रूप से परिभाषित कर सकते हैं ❤️“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है। ❤️1. जी०टी० द्विवार्था (G.T. Trewartha) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल के मूल तत्त्व जनसंख्या द्वारा आच्छादित (आवासित) पृथ्वी के प्रादेशिक भिन्नताओं को समझने में निहित है।” 😍परिभाषा से स्पष्ट है कि जी०टी० द्विवार्था ने जनसंख्या भूगोल को धरातल पर जनसंख्या के वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नता के अध्ययन का विषय माना है। उन्होंने क्षेत्रीय भिन्नता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ❤️2. ब्रिटिश भूगोलविद् जॉन आई० क्लार्क (John I. Clarke) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल यह प्रदर्शित करता है कि जनसंख्या के वितरण, संघटन, प्रवास और वृद्धि में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताएँ स्थानों की प्रकृति में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं से किस प्रकार सम्बन्धित हैं। “ 😍इस प्रकार उन्होंने जनसंख्या भूगोल को भूतल पर जनसंख्या वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय-भिन्नताओं को उसके भौतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ में जानने का प्रयत्न करता है। 😳नोट: जॉन आई० क्लार्क की जनसंख्या भूगोल पर प्रथम पाठ्य पुस्तक सन् 1965 में प्रकाशित हुई। ❤️3. प्रसिद्ध फ्रांसीसी भूगोलविद् जे०बी० गार्नियर (J. B. Garnier) के अनुसार, “जनसंख्या भूगोल अपने पर्यावरण के संदर्भ में जनांकिकीय तथ्यों की मूल विशेषताओं तथा संभव परिणामों का सकारण अध्ययन करता है।” 😍यहां गार्नियर ने भूतल पर जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं के अध्ययन में पर्यावरण को महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रदर्शित किया है। 😳नोट: जे०बी० गार्नियर द्वारा फ्रांसीसी भाषा में लिखित जनसंख्या भूगोल का अंग्रेजी अनुवाद 1966 में प्रकाशित हुआ। ❤️4. अमेरिकी भूगोलवेत्ता डैम्को (G.J. Demko) शब्दों में “जनसंख्या भूगोल, भूगोल विषय की वह शाखा है जो मानवीय जनसंख्या के जनांकिकीय तथा अजनांकिकीय विशेषताओं की क्षेत्रीय भिन्नताओं का विश्लेषण करता है।” 😍उन्होंने जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत जनांकिकीय लक्षणों के साथ ही सामाजिक-आर्थिक लक्षणों के क्षेत्रीय भिन्नताओं के अध्ययन को भी सम्मिलित करने की बात कही है। ❤️“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है।
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