cookie

Ми використовуємо файли cookie для покращення вашого досвіду перегляду. Натиснувши «Прийняти все», ви погоджуєтеся на використання файлів cookie.

avatar

Samvida varg 3 mp

Samvida varg 3, mp varg3,shikshk Bharti varg 3, grade 3 samvida, samvida grade 3,mp samvida varg3,mp varg 3 samvida @Lakhan9926

Більше
Рекламні дописи
6 323
Підписники
Немає даних24 години
Немає даних7 днів
Немає даних30 днів

Триває завантаження даних...

Приріст підписників

Триває завантаження даних...

📘 हिंदी प्रश्नोतर परीक्षा सम्बन्धी ||     💐 आज के लिए प्रश्नोतर 💐 ●▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 1. अपभ्रंश के प्रथम महा कवि- स्वयंभू 2.अपभ्रंश का प्रथम कड़वक बद्ध- पउम चरित्र -स्वयं भू (7 चौपाई के बाद एक दोहा क्रम रचना) 3.अपभ्रंश के प्रथम ऐतिहासिक वैयाकरण -हेमचंद्र 4.हिंदी के प्रथम कवि -सरहपा 9 वी सदी 5.हिंदी में दोहा चौपाई का सर्वप्रथम प्रयोग- सरहपा 6.हिंदी की प्रथम रचना- श्रावकाचार देवसेन कृत 7. हिंदी साहित्य की प्रथम रचना -पृथ्वीराज रासो चंद्र बरदाई 8. हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य- पृथ्वीराज रासो 9. हिंदी काव्य में प्रथम बारहमासा वर्णन - बीसलदेव रासो 10. किसी भारतीय भाषा में रचित इस्लाम धर्मावलंबी कवि की प्रथम रचना- संदेश रासक (अब्दुल रहमान) 11. अवहट्ठ का सर्वप्रथम प्रयोग- विद्यापति ने कीर्ति लता में 12. हिंदी के सर्वप्रथम गीतकार -विद्यापति 13. हिंदी में सर्वप्रथम मुकरियों की शुरुआत -अमीर खुसरो 14. भक्ति के प्रवर्तक -रामानुजाचार्य 15. हिंदी के प्रथम सूफी कवि -असायत 16. सूफी प्रेमाख्यान का प्रथम काव्य- हंसावली असायत 17. हिंदी का प्रथम बड़ा महाकाव्य - हंसावली( असायत ) 18.हिंदी का प्रथम वक्रोति कथात्मक महाकाव्य- पद्मावत 19. हिंदी की आदि कवियत्री -मीराबाई 20. कृष्ण भक्ति काव्य का सबसे प्रसिद्ध काव्य- सूरसागर (सूरदास) 21. राम भक्ति का सबसे प्रसिद्ध काव्य- रामचरितमानस (तुलसीदास ) 22.भक्तिकाल को काव्य का स्वर्ण युग घोषित करने वाला प्रथम व्यक्ति -जॉर्ज ग्रियर्सन 23. सर्वप्रथम सतसई परंपरा का आरंभ - तुलसी सतसई ( अधिकांश कृपाराम की हित तरंगिणी को मानते हैं) 24. रीति काव्य का सर्वप्रथम ग्रंथ -हित तरंगिणी -कृपाराम 25. खड़ी बोली में लिखित सर्वप्रथम काव्य ग्रंथ -श्रीधर पाठक द्वारा अनुवादित( हरमिट)-एकांतवासी योगी
Показати все...
📘 हिंदी प्रश्नोतर परीक्षा सम्बन्धी || ●▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 31 महाकाव्य का प्रधान रस होता है - वीर, शृंगार या शांत रस 32 महाकाव्य के प्रारंभ में होता है - मंगलाचरण या इष्टदेव की पूजा 33 रूपक के भेद है - नाटक, प्रकरण, भाण, प्रहसन, व्यायोग, समवकार, वीथि, ईहामृग, अंक 34 महाकाव्य में खण्ड या सर्ग होते है - आठ और अधिक 35 महाकाव्य के एक सर्ग में एक छंद का प्रयोग होता है। इसका परिवर्तन किया जा सकता है - सर्ग के अंत में। 36 मुक्तक काव्य है - एकांकी सदृश्यों को चमत्कृत करने में समर्थ पद्य 37 प्रबंध काव्य वनस्थली है तो मुक्तक काव्य गुलदस्ता है। यह उक्ति किसने कही - आचार्य रामचंद्र शुल्क ने 38 मुक्तककार के लक्षण होते है - मार्मिकता, कल्पना प्रवण, व्यंग्य प्रयोग, कोमलता, सरलता, नाद सौंदर्य 39 मुक्तक के भेद है - रस मुक्तक, सुक्ति मुक्तक 40 काव्य के गुण है - काव्य के रचनात्मक स्वरूप का उन्नयन कर रस को उत्कर्ष प्रदान करने की क्षमता 41 भरत और दण्डी के अनुसार काव्य के गुण के भेद है - श्लेष, प्रसाद, समता, समाधि, माधुर्य, ओज, पदसुमारता, अर्थव्यक्ति, उदारता व कांति 42 आचार्य मम्मट ने काव्य गुण बताए - माधुर्य, ओज और प्रसाद 43 माधुर्य गुण में वर्जन है - ट, ठ, ड, ढ एवं समासयुक्त रचना 44 काव्य दोष वह तत्व है जो रस की हानि करता है। परिभाषा है - आचार्य विश्वनाथ की। 45 मम्मट ने काव्य दोष को वर्गीकृत किया - शब्द, अर्थ व रस दोष में 46 श्रुति कटुत्व दोष है - जहां परूश वर्णो का प्रयोग होता है। 47 परूष वर्णो का प्रयोग कहां वर्जित है - शृंगार, करूण तथा कोमल भाव की अभिव्यंजना में 48 परूष वर्ग किस अलंकार में वर्जित नहीं है - यमक आदि में 49 परूष वर्ण कब गुण बन जाते है - वीर, रोद्र और कठोर भाव में 50 श्रुतिकटुत्व दोष किस वर्ग में आता है - शब्द दोष में 51 काव्य में लोक व्यवहार में प्रयुक्त शब्दों का प्रयोग दोष है - ग्राम्यत्व 52 अप्रीतत्व दोष कहलाता है - अप्रचलित पारिभाषिक शब्द का प्रयोग। यह एक शास्त्र में प्रसिध्द होता है, लोक में अप्रसिध्द होता है। 53 शब्द का अर्थ बड़ी खींचतान करने पर समझ में आता है उस दोष को कहा जाता है - क्लिष्टतव 54 वेद नखत ग्रह जोरी अरघ करि सोई बनत अब खात...। में दोष है - क्लिष्टत्व 55 वाक्य में यथा स्थान क्रम पूर्वक पदो का न होना दोष है - अक्रमत्व 56 अक्रमत्व का उदाहरण है - सीता जू रघुनाथ को अमल कमल की माल, पहरायी जनु सबन की हृदयावली भूपाल 57 दुष्क्रमत्व दोष होता है - जहां लोक और शास्त्र के विरूध्द क्रम से वस्तु का वर्णन हो। 58 'आली पास पौढी भले मोही किन पौढन देत' में काव्य दोष है - ग्रामयत्व 59 काव्य में पद दोष कितने है - 16 60 अर्थ दोष कहते है - जहां शब्द दोष का निराकरण हो जाए, फिर भी दोष बना रहे वहां अर्थ दोष होता है।
Показати все...
Фото недоступнеДивитись в Telegram
Фото недоступнеДивитись в Telegram
Repost from Samvida varg 3 mp
Фото недоступнеДивитись в Telegram
Фото недоступнеДивитись в Telegram
Фото недоступнеДивитись в Telegram
*आज सुबह होने बाली मध्यप्रदेश पात्रता परीक्षा (MPTET) के लिए रवाना होने बाले सभी साथियों को MPTET EXAM की बहुत बहुत शुभकामनाएं*💐 *आशा है कि आप सब साथी पेपर में अपना शतप्रतिशत देंगे* *मेरी दुआएं आप सब के साथ*🙏🏻 ❄️ *ALL THE BEST* ❄️
Показати все...