PDF NOTES GROUP
https://t.me/+V9w6InnZaloyNTM1 Share all students notes pdf
Show more2 810
Subscribers
-724 hours
-437 days
+11330 days
- Subscribers
- Post coverage
- ER - engagement ratio
Data loading in progress...
Subscriber growth rate
Data loading in progress...
आज New application आयी है जिसके मदद से आप भी पढ़ाई के साथ अपना खर्चा उठा चाहते हैं और फ्री में पैसा कमा सकते हैं।
सभी को पैसा दे रहा है आप सभी लोग जल्द register कर ले
इस registration करें और 500 से ₹1000 तक Free में कमाए |
👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
https://www.amphenol-siac.top/#/pages/register/register?id=374384
https://www.amphenol-siac.top/#/pages/register/register?id=374384
https://www.amphenol-siac.top/#/pages/register/register?id=374384
2100
भारतवर्ष_का_सांस्कृतिक_इतिहास.pdf10.65 MB
प्लासी से विभाजन तक.pdf4.93 MB
ancientHistory.pdf0.32 KB
👍 1
15300
Repost from RAS RAJASTHAN ALL EXAMS STUDY
🙋♂👉जरूरी सूचना ध्यान दो सभी विद्यार्थी मेरे पास सभी विषयों और करंट ओर का नोट्स पीडीएफ है। मैं पीडीएफ ग्रुप चैनल मैं डाल नही सकता क्योंकि ग्रुप चैनल मैं पीडीएफ डालने से ग्रुप पर कॉपीराइट आ जायेगा। इसलिये किसी भी भाई बहन को किसी भी विषय का नोट्स पीडीएफ चाहिए तो मुझे टेलिग्राम पर पर्सनल मेसेज कर देना। आपको नोट्स पीडीएफ भेज दिया जायेगा आपकी डिमांड अनुसार ध्यान रखे मैं कोई नोट्स का पैसा नही लेता क्योंकि मैं विद्यार्थी की फ्री मैं करता हु। चाहे विद्यार्थी अजनबी हो या जानकर सभी विद्यार्थी की सहायता करता हु। ✅
मेरी टेलिग्राम आयडी लिंक👇👇👇 = @Helpersoyalhelper
@Helpersoyalhelper
@Helpersoyalhelper
@Helpersoyalhelper
👆👆Upr diya gya link pr click krke messege kijiye fast agr aapko notes PDF freee mau chahiye to
14600
Repost from RAS RAJASTHAN ALL EXAMS STUDY
👉बहादुरशाह (1526-1537 ई.):👇
👉यह गुजरात का अन्तिम शासक था। उसके काल में गुजरात को शक्ति चरम पर पहुंच गई। उसने 1531 ई. में मालवा को गुजरात में मिला लिया।
बहादुरशाह ने 1528 ई में अहमदनगर को जीतकर अपना खुतबा पढ़वाया। उसने दो रूमी उस्ताद तोपची मुस्तफा (रूमी खाँ) एर्व ख्वाजा जफर (सालमनी) की सेवाएं प्राप्त की थी।
बहादुरशाह से 1531 ई में तुर्की नौसेना की सहायता से पुर्तगालियों की नौसेना को दीव में पराजित किया।
बहादुरशाह ने 1534 ई. में मेवाड़ (चित्तौड़) पर भी आक्रमण किया। मेवाड़ की महारानी कर्णवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता मांगी।
1535 ई. में बहादुरशाह हुमायूँ से पराजित हुआ।
बहादुरशाह की हत्या 1537 ई. में पुर्तगालियों ने धोखे से उस समय कर दी जब वह पुर्तगाली जहाज पर संधि के लिये गया। वहाँ झगड़ा हो गया व बहादुर शाह पानी में कूद गया या फैंक दिया गया जिससे वह समुद्र में डूबकर मर गया। इस समय पुर्तगाली गवर्नर नुन्हो डी कुन्हा था।अन्त में 1572-73 ई. में अकबर ने गुजरात को मुगल साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।✅
👉Contact paid promotion @Helpersoyalhelper
Share support our group link👉 https://t.me/rasreetgs
13900
full biology handwritten notes 1.pdf59.98 MB
full sanvidhan handwritten notes.pdf23.98 MB
full science handwritten notes for competitive exams.pdf53.73 MB
world geography handwritten.pdf46.05 MB
full chemistry handwritten notes.pdf52.86 MB
computer full handwritten notes.pdf16.77 MB
indian economic.pdf12.20 MB
middle history.pdf25.17 MB
indian full old history.pdf15.37 MB
👍 5
58100
*👉🏻आने वाले सभी Exams के लिए सबसे महत्तवपूर्ण संविधान क्लास...✅*
*👉🏻जल्दी Join कीजिए सभी सिर्फ एक Class में संपूर्ण संविधान याद करने की Trick हर एक Exam में यहां से Questions जरूर पूछे जाएंगे....👇👇*
https://whatsapp.com/channel/0029VaAw2rILo4hYwOMfLl3H
https://whatsapp.com/channel/0029VaAw2rILo4hYwOMfLl3H
https://whatsapp.com/channel/0029VaAw2rILo4hYwOMfLl3H
https://whatsapp.com/channel/0029VaAw2rILo4hYwOMfLl3H
45100
Repost from RAS RAJASTHAN ALL EXAMS STUDY
पानीपत का तृतीय युद्ध
👇👇👇👇👇👇👇
यह युद्ध 14 जनवरी 1761 को अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच लड़ा गया था उस समय मराठा पेशवा बालाजी बाजीराव था तथा युद्ध का नेतृत्व सदाशिवराव भाऊ के द्वारा किया गया
इस युद्ध में मराठा तोपखाने का नेतृत्व इब्राहिम गार्दी ने किया वही इमादुमुल्क जो मुगल वजीर था इन्होंने भी मराठों का समर्थन किया था
" दो मोती विलीन हो गए 22 सोने की मुहरे लुप्त हो गई और चांदी तथा तांबे की तो पूरी गणना ही नहीं की जा सकती" इन्हीं पंक्तियों के माध्यम से एक व्यापारी ने बालाजी बाजीराव को पानीपत के युद्ध के परिणाम के बारे में बताया था जदुनाथ सरकार ने लिखा है कि महाराष्ट्र में संभवत कोई ऐसा परिवार न था जिसने कोई न कोई संबंध नहीं खोया हो तथा कुछ परिवारों का तो सर्वनाश हो गया
काशीराज पंडित ने इस युद्ध का आंखों देखा हाल लिखा है
इस युद्ध हार का कारण मराठों की सुझबुझ का अभाव था जैसे मराठे ठंड मे लडने के लिए आदी नहीं थे वही अहमद शाह अब्दाली की सेना इसके लिए अभयस्त थी
तत्कालीन जाट शासक सूरजमल ने उन्हें इसका इतजार करने के लिए कहा था
सूरजमल ने सदाशिव राव भाऊ को परामर्श दिया कि वह स्त्रियां तथा बच्चों जो सैनिकों के साथ थे तथा भारी तोपों और अन्य ऐश्वर्य की सामग्री झांसी अथवा ग्वालियर में ही छोड़ जाए परंतु उन्होंने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया
सूरजमल ने मराठों को परंपरागत युद्ध पद्धति में ही लड़ने के लिए कहा लेकिन मराठा सरदारों के परस्पर द्वेष के कारण उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया जैसा कि सदाशिव राव भाऊ मल्हार राव होलकर को एक व्यर्थ वृद्ध पुरुष समझता था और मल्हार राव होलकर ने भी क्रुद्ध होकर युद्ध से पूर्व कहा था कि यदि शत्रु इस पुणे के ब्राह्मण को नीचा नहीं दिखाएगा तो हम से तथा अन्य मराठा सरदारों से ये लोग कपड़े धुल जाएंगे
इसी प्रकार मराठों की लूटमार निती ने उत्तरी भारत में उनके लिए दुशमन खडे कर दिए जिसका उदाहरण 17 जुलाई 1734 को हुरडा सम्मेलन में देख सकते हैं कि किस प्रकार समस्त राजपूतों ने एकत्र होकर मराठों के आक्रमणों को रोकने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया हालांकि यह असफल रहा था
इस प्रकार कहा जा सकता है कि मराठों ने सूरजमल की सलाह को न मानकर पराजय अपनी झोली में डाल ली जिसका प्रत्यक्ष फायदा अंग्रेजों को मिला और भारत में उनका मुकाबला करने वाली कोई शक्ति नहीं रही...
👉Contact paid promotion @Helpersoyalhelper
Share support our group link👉 https://t.me/rasreetgs
👍 2
41800
Choose a Different Plan
Your current plan allows analytics for only 5 channels. To get more, please choose a different plan.