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Hindi grammar by Rathore

सपने वह नहीं जो नींद में आते है। सपने तो होते है जो नींद नही आने देते।

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310.' घ' का उच्चारण स्थान है -Anonymous voting
  • मूर्धा
  • कंठ
  • तालू
  • दंत
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311. क्ष ' वर्ण किसके योग से बना है?Anonymous voting
  • क् ‌+ ष
  • क्+च
  • क्+छ
  • क्+श
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308. निम्न में से कौन सा शब्द अमात्रिक है?Anonymous voting
  • कारखाना
  • अमिताभ
  • कलरव
  • चहचहाना
0 votes
309. ङ ' का उच्चारण स्थान है -Anonymous voting
  • नासिक्य
  • कंठौठ्य
  • मूर्धन्य
  • कंठ्यतालव्य
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307. वर्णों के उस समूह को, जिससे कोई निश्चित अर्थ निकलता है, कहते हैं -Anonymous voting
  • शब्द
  • वर्ण
  • वर्ण समूह
  • वक्तव्य
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306. अयोगवाह कहा जाता है?Anonymous voting
  • महाप्राण को
  • अनुस्वार व विसर्ग
  • संयुक्त व्यंजन
  • अल्पप्राण
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अधिकरण कारक (Locative case):-शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का ज्ञान होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है। दूसरे शब्दों में- क्रिया या आधार को सूचित करनेवाली संज्ञा या सर्वनाम के स्वरूप को अधिकरण कारक कहते है। इसकी विभक्ति 'में' और 'पर' हैं।  जैसे- मोहन मैदान में खेल रहा है। इस वाक्य में 'खेलने' की क्रिया किस स्थान पर हो रही है ? मैदान पर। इसलिए मैदान पर अधिकरण कारक है। दूसरा उदाहरण-''मनमोहन छत पर खेल रहा है।'' इस वाक्य में 'खेलने' की क्रिया किस स्थान पर हो रही है? 'छत पर' । इसलिए 'छत पर' अधिकरण कारक है। (i) कभी-कभी 'में' के अर्थ में 'पर' और 'पर' के अर्थ में 'में' का प्रयोग होता है। जैसे- तुम्हारे घर पर चार आदमी हैं=घर में। दूकान पर कोई नहीं था =दूकान में। नाव जल में तैरती है =जल पर। (ii) कभी-कभी अधिकरणकारक की विभक्तियों का लोप भी हो जाता है। जैसे- इन दिनों वह पटने है। वह सन्ध्या समय गंगा-किनारे जाता है।  वह द्वार-द्वार भीख माँगता चलता है।  लड़के दरवाजे-दरवाजे घूम रहे हैं।  जिस समय वह आया था, उस समय मैं नहीं था।  उस जगह एक सभा होने जा रही है। (iii) किनारे, आसरे और दिनों जैसे पद स्वयं सप्रत्यय अधिकरणकारक के है और यहाँ, वहाँ, समय आदि पदों का अर्थ सप्रत्यय अधिकरणकारक का है। अतः इन पदों की स्थिति में अधिकरणकारक का प्रत्यय नहीं लगता। (8)संबोधन कारक(Vocative case):-जिन शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने में किया जाता है, उसे संबोधन कारक कहते है। दूसरे शब्दों में-संज्ञा के जिस रूप से किसी के पुकारने या संकेत करने का भाव पाया जाता है, उसे सम्बोधन कारक कहते है। इसकी विभक्ति 'अरे', 'हे' आदि है।  जैसे- 'हे भगवान' से पुकारने का बोध होता है। सम्बोधनकारक की कोई विभक्ति नहीं होती है। इसे प्रकट करने के लिए 'हे', 'अरे', 'रे' आदि शब्दों का प्रयोग होता है।  दूसरा उदाहरण-हे श्याम !इधर आओ । अरे! तुम क्या कर रहे हो ? उपयुक्त्त वाक्यों में 'हे श्याम!, अरे!' संबोधन कारक है।
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6 to 12 NCERT Mordan History Full PDF
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