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राजकीय विधि महाविद्यालय अजमेर
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आज ही लगेगी आचार संहिता यदि कोई भर्ती अभी भी आनी है तो समझो 2-4 घंटे में नोटिफिकेशन आ गया तो आ गया।
नये बने तीन ज़िले भी तभी अस्तित्व में रहेंगे यदि आचार संहिता से पहले अधिसूचना जारी हो।अन्यथा वही 50 ज़िले रहेंगे जो आप पढ़ रहे है और जिनकी अधिसूचना जारी हो चुकी है ।
प्रश्न 9 – पैरामीशियम में द्विगुणन विभाजन को विस्तार से बताइए।
Describe binary fission in Paramecium.
उत्तर –
पैरामीशियम में द्विगुणन विभाजन (Binary fission in Paramecium)
पैरामीशियम में द्विगुणन विभाजन (अलैंगिक विभाजन) अनुकूल दशाओं में होता है। इसमें पैरामीशियम भोजन लेना बन्द कर देता है और इसकी मुख खाँच और मुखगुहीय संरचनाएँ अदृश्य होने लगती हैं।
इसी के साथ इसके लघु केन्द्रक में सूत्री विभाजन (mitosis) का आरम्भ होता है। केन्द्रक कला विलुप्त नहीं होती है। लघु केन्द्रक के परिमाण में कुछ वृद्धि होती है। गुणसूत्र प्रकट होने लगते हैं। (गुणसूत्रों की संख्या 36 से 150 तक होती है।) प्रत्येक गुणसूत्र लम्बाई में विभाजित होकर दो अर्द्ध गुणसूत्र बनाता है और दोनों सन्तति लघु केन्द्रक एक-दूसरे से पृथक् हो जाते हैं। इसी के साथ गुरु केन्द्रक लम्बाई में बढ़कर तथा मध्य से
संकीर्णित होकर असूत्री विभाजन द्वारा विभाजित हो जाता है। अब दो मुख खाँच बनने लगती हैं जिनमें से एक अगले भाग में और दूसरी पिछले भाग में होती है। दोनों संकुचनशील रिक्तिकाओं में से एक, अग्र अर्द्ध-भाग में तथा दूसरी पश्च अर्द्ध-भाग में ज्यों-की-त्यों बनी रहती है। इस दो प्रकार विभाजित हो रहे जनक प्राणी के प्रत्येक अर्द्ध-भाग में एक-एक संकुचनशील रिक्तिका प्रक पहुँच जाती है।
बाद में दोनों भागों में एक-एक नई संकुचनशील रिक्तिका बन जाती है। दो नई जात मुख संरचनाएँ भी प्रगट होने लगती हैं। इसी समय शरीर के मध्य के निकट एक संकीर्ण खाँच. बनने लगती है जिसके द्वारा दो सन्तति पैरामीशिया बन जाते हैं। ये दोनों वृद्धि करके पूर्ण आकार प्राप्त कर लेते हैं और फिर द्विखण्डन द्वारा विभाजित होते हैं।
पैरामीशियम काँडेटम द्विखण्डन द्वारा एक दिन में 2 या 3 बार विभाजित होता है। ये सभी आनुवंशिक रूप से समान होते हैं। सन्तति पैरामीशिया में से जो जनक पैरामीशियम के अग्रभाग से निर्मित होता है प्रोटर (proter) तथा पश्चभाग से बनने वाला सन्तति आपिस्थे (opisthe) कहलाता है।

आधारी काय (Basal bodies)-प्रत्येक पक्ष्माभ का आधार एक नली के समान रचना होती है, जिसे आधारी काय या काइनेटोसोम (kinetosome) कहते हैं। पक्ष्माभ के परिधीय तन्तुओं के आधारी सिरों के स्थूल हो जाने के कारण आधारी काय का निर्माण होता है। इसमें मध्यवर्ती तन्तु नहीं होते। आधारी काय की भित्ति में उपतन्तुओं की बनी त्रिक ऐंठन (triplets) होती हैं। आधारी काय अपने आप में पुनरुत्पादी इकाइयाँ और नये पक्ष्माभों की प्रजनक (progenitors) होती हैं। प्रत्येक आधारी काय एक तारक-केन्द्र (anti उसकी व्युत्पत्ति होती है।
काइनेटोडेस्मेटा (Kinetodesmata)-पक्ष्माभों की आधारी कायों से और एक्टोप्लाज्म में स्थित विशिष्ट पट्टीदार काइनेटोडेस्मी तन्तुकों (kinetodane fibrils) का एक तन्त्र होता है। प्रत्येक पक्ष्माभ के आधारी काय या काइनेटोसोम से केवल एक तन्तक या काइनेटोडेस्मोस निकलकर आगे बढ़ता हुआ धीरे-धीरे शुण्डाकार होता जाता है तथा पिछले आधारी काय के तन्तुकों से सम्बद्ध हो जाता है। इस प्रकार एक-दूसरे को ढकते हुए अनुदैर्घ्य तन्तुकों के एक बण्डल की रचना हो जाती है। इस बण्डल को काइनेटोडेस्मा (kinetodesma) कहते हैं, क्योंकि प्रत्येक तन्तुक पाँच आधारी कायों से आगे नहीं पहुँचता। अतः प्रत्येक काइनेटोडेस्मा में तन्तुकों की संख्या स्थायी रूप से पाँच रहती है। एक अनुदैर्घ्य पंक्ति की सब आधारी काय और उनके काइनेटोडेस्मेटा सम्मिलित रूप से एक इकाई बनाते हैं जिसे काइनेटी (kinety) कहते हैं।
कार्य (Function)—इन तन्तुकों का सम्बन्ध पक्ष्माभी स्पंदन और गति से होता है।
प्रश्न 6 – पैरामीशियम में अवपक्ष्माभी तन्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Write a short note on infraciliary system in Paramecium.
उत्तर – पैरामीशियम में अवपक्ष्माभी तन्त्र
(Infraciliary System in Paramecium)
तनुत्वक् की कूपिकाओं के ठीक नीचे अवपक्ष्माभी तन्त्र पाया जाता है, जो आधारी कायों (basal bodies) एवं काइनेटोडेस्मेटा (kinetodesmata) का बना होता हैं।
प्रश्न 5 – पुनरुद्भवन पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
Write short note on Regeneration.
उत्तर – प्रारंम्भिक अकशेरूकी संघों के जन्तओं में अपने कटे भागों को पुनः विकसित करने की अद्भुत क्षमता होती है, जिसे पुनरुद्भवन कहते हैं। एपीथीलियमी ऊतकों में यह क्षमता अत्यधिक विकसित, जबकि पेशीय ऊतकों तथा तन्त्रिकाओं ऊतकों में कम विकसित होती है। संघ पोरीफेरा में उपस्थित स्पंज यह क्षमता दर्शाती हैं।
यदि एक स्पंज को विभिन्न भागों में विभाजित कर दें तो प्रत्येक कटा भाग, जिसमें अमीबीय कोशिकाएँ (amoebocytes) तथा कोएनोसाइट (choanocytes) उपस्थित हों, पुन: पूर्ण स्पंज को विकसित कर लेता है। यह प्रक्रिया अनुकूल परिस्थिति में होती है।
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