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INDIAN CONSTITUTION & POLITY ™©

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🏆💐भारत के संविधान की अनुसूचियाँ की सूची💐🏆 🎁प्रथम अनुसूची - इसके अंतर्गत भारत के 29 राज्य तथा 7 केंद्र शासित प्रदेशो का उल्लेख किया गया है| 🎁दूसरी अनुसूची - इसमें भारतीय संघ के पदाधिकारियों (राष्ट्रपति ,राज्यपाल ,लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष , राजसभा के सभापति एवं उपसभापति ,विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष,विधान परिषद् के सभापति एवं उपसभापति,उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियत्रंक महालेखा परीक्षक आदि ) को मिलने वाले वेतन, भत्ते तथा पेंशन का उल्लेख है | 🎁तीसरी अनुसूची - इसमें भारत के विभिन्न पदाधिकारियों(राष्ट्रपति , उप राष्ट्रपति , उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ) की शपथ का उल्लेख है| 🎁चौथी अनुसूची - इसके अंतर्गत राज्यों तथा संघीय क्षेत्रो की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है| 🎁पाँचवी अनुसूची - इसमें अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजाति के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में उल्लेख है| 🎁छठी अनुसूची - इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान हैं| 🎁सातवी अनुसूची - इसके अंतर्गत केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का बटवारे के बारे में दिया गया है| इसके अंतर्गत तीन सूचियां है :- 😍संघ सूची :- इसके अंतर्गत 100 विषय है| इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र को है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 97 विषय थे | 😍राज्य सूची :- इस सूची में 61 विषय है| जिन पर कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य को है| लेकिन राष्ट्रहित से सम्बन्धित मामलो में केंद्र भी कानून बना सकता है | संविधान के लागू होने के समय इसमे 66 विषय थे | 😍समवर्ती सूची :- इसके अंतर्गत 52 विषय है| इन पर केंद्र व राज्य दोनों कानून बना सकते है|परन्तु कानून के विषय समान होने पर केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है|राज्य द्वारा बनाया गया कनून केंद्र द्वारा बनाने के बाद समाप्त हो जाता है| संविधान के लागू होने के समय इसमे 47 विषय थे | 🎁आठवी अनुसूची - इसमें भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है| मूल संविधान में 14 मान्यता प्राप्त भाषाए थी | सन 2004 में चार नई भाषाए मैथली, संथाली, डोगरी और बोडो को इसमें शामिल किया गया | 🎁नौंवी अनुसूची - यह अनुसूची प्रथम संविधान संसोधन अधिनियम 1951 द्वारा जोड़ी गयी थी| इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती| लेकिन यदि कोई विषय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करे तो उच्चतम न्यायालय इस कानून की समीक्षा कर सकता है| अभी तक नौंवी अनुसूची में 283 अधिनियम है, जिनमे राज्य सरकार द्वारा सम्पति अधिकरण का उल्लेख प्रमुख है| 🎁दसवी अनुसूची - इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| इस अनुसूची में दल-बदल सम्बन्धित कानूनों का उल्लेख किया गया है| 🎁ग्यारहवी अनुसूची - यह अनुसूची 73वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| यह अनुसूची पंचायती राज से है, जिसमे पंचायती राज से सम्बन्धित 29 विषय है| 🎁बारहवी अनुसूची - यह अनुसूची 74वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा मूल संविधान में जोड़ा गया| इसमें शहरी क्षेत्रों के स्थानीय स्वशासन संस्थानों से सम्बन्धित 18 विषय हैl ▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬ ©Official Polity Channel By Sk Regar👌 Copyright© 2024 ALL RIGHTS RESERVED BY @INDIAN_CONSTITUTION_UPSC_POLITY ▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬▭▬
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पदाधिकारीयों_का_वेतन 🔰 ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ भारत का संविधान देश के विभिन्न कार्यालयों को चलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करता है. विभिन्न कार्यों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को उनके काम के लिए भुगतान किया जाता है. इस लेख में हमने भारत के राष्ट्रपति के वेतन, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के वेतन और एक राज्य के राज्यपाल के वेतन आदि का उल्लेख किया गया है। 🔹वरियता क्रम - पद - मूल वेतन + अन्य_श भत्ते 1. राष्ट्रपति 👉रु. 500,000 (US $ 7,200) + भारत के राष्ट्रपति के लिए निर्धारित अन्य भत्ते 2.उप राष्ट्रपति 👉 रुपये 400,000 (US$5,800) + भारत के उपराष्ट्रपति को अन्य भत्ते निर्धारित 3.प्रधानमन्त्री 👉रुपये 160,000 (यूएस $ 2,300) (संसद सदस्य के रूप में प्राप्त वेतन) + संसद सदस्य के रूप में भत्ते + भारत के प्रधानमंत्री के लिए अन्य भत्ते 4.राज्य के राज्यपाल 👉रु. 3,50,000 + राज्यों के राज्यपालों के लिए निर्धारित अन्य भत्ते 6.सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश 👉रुपये 280,000 + भारत के मुख्य न्यायाधीश के लिए निर्धारित अन्य भत्ते 9.सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश 👉रुपये.250,000 + SC के जजों के लिए तय अन्य भत्ते 9A.भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त 👉रुपये 250,000 + अन्य भत्ते 9A.भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक 👉रुपये 250,000 + अन्य भत्ते 9A.संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष 👉रुपये 250,000 + अन्य भत्ते 11.भारत के कैबिनेट सचिव, भारत सरकार में वरिष्ठतम सिविल सेवक 👉रुपये 250,000 + अन्य भत्ते 11.केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल 👉रुपये 110,000 + केंद्र सरकार द्वारा तय अन्य भत्ते 12.चीफ ऑफ स्टाफ (आर्मी, नेवी, एयर) भारतीय सशस्त्र बलों में जनरल और समकक्ष रैंक के अधिकारी 👉रुपये. 250,000 + अन्य भत्ते 14.उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश 👉न्यायाधीशों के लिए निर्धारित रु. 250,000 + अन्य भत्ते 16.उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश 👉रु. 225,000 + न्यायाधीशों के लिए तय अन्य भत्ते 21.भारत की संसद के सदस्य 👉निर्वाचन क्षेत्र के लिए भत्ते रु. 45,000 + संसद कार्यालय भत्ता रु. 45,000 + संसद सत्र भत्ता रु. 2,00,000 / दिन
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Repost from TEJ Civils RAS
अब तो याद हो गया होगा सब ….Chalo to ye Questions likh k dekhte hai Test Your Preparation Day -2 Topic : Rajasthan History 10 Questions for RAS MAINS 2023 Solution Evening me aayega साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है Countdown for RAS MAINS
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Test Your Preparation Day -2 Qs.pdf5.16 KB
☄भारतीय संविधान के अनुच्छेद प्रश्न☄ 1.‘भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण एवं सुधार’। यह कथन संविधान के किस अनुच्छेद से सन्दर्भित है? [MPPCS (Pre)] (A) अनुच्छेद-48 A (B) अनुच्छेद-51 A (C) अनुच्छेद-56 (D) अनुच्छेद-21 (Ans : A) 2.संविधान के किस अनुच्छेद द्वारा लोक सेवाओं को संरक्षण प्रदान किया गया है? [ITI] (A) अनुच्छेद-310 (B) अनुच्छेद-311 (C) अनुच्छेद-312 (D) अनुच्छेद-315 (Ans : B) 3.केन्द्र राज्य के प्रशासनिक सम्बन्ध भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित है? [SSC] (A) अनुच्छेद 256-263 (B) अनुच्छेद 352-356 (C) अनुच्छेद 250-280 (D) इनमें से कोई नहीं (Ans : A) 4.भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में मौलिक कर्तव्यों की चर्चा की गई है? [MPPSC] (A) अनुच्छेद-50 A (B) अनुच्छेद-51 A (C) अनुच्छेद-49 A (D) अनुच्छेद-52 A (Ans : B) 5.संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत प्रत्येक राज्य मातृभाषा का प्रसार एवं अनुदेश प्राथमिक शिक्षा में लागू कर सकता है? [RRB] (A) अनुच्छेद-349 (B) अनुच्छेद-350 (C) अनुच्छेद-350 A (D) अनुच्छेद-351 (Ans : C) 6. संविधान के किस अनुच्छेद में हिन्दी भाषा के विकास के लिए निर्देश दिया गया है? [SSC] (A) अनुच्छेद 330 (B) अनुच्छेद-336 (C) अनुच्छेद-343 (D) अनुच्छेद-351 (Ans : d 7.भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में राज्य सरकार को ग्राम पंयायत के संगठन का निर्देश देता है? [GIC] (A) अनुच्छेद-32 (B) अनुच्छेद-40 (C) अनुच्छेद-48 (D) अनुच्छेद-78 (Ans : B) 8.राष्ट्रपति संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत लोकसभा को भंग कर सकता है? [Jharkhand Police] (A) अनुच्छेद-85 (B) अनुच्छेद-95 (C) अनुच्छेद-356 (D) अनुच्छेद-365 (Ans : A) 9.संविधान के किस अनुच्छेद में संविधान के संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख है? [RRB] (A) अनुच्छेद-352 (B) अनुच्छेद-356 (C) अनुच्छेद-360 (D) अनुच्छेद-355 (Ans : D) 10.संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा करता है? [Constable] (A) अनुच्छेद-352 (B) अनुच्छेद-356 (C) अनुच्छेद-360 (D) अनुच्छेद-361 (Ans : A) 11.भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत वित्त आयोग के गठन का प्रावधान है? [ITI] (A) अनुच्छेद-249 (B) अनुच्छेद-280 (C) अनुच्छेद-368 (D) अनुच्छेद-370 (Ans : B) 12.भारतीय संविधान के मूल संविधान को कितने भागों में विभक्त किया गया था? [GIC] (A) 18 भाग (B) 19 भाग (C) 20 भाग (D) 22 भाग (Ans : D) 13.अनुच्छेद 356 का संबंध किससे है? [RPSC] (A) वित्तीय आपात (B) राष्ट्रीय आपात (C) राष्ट्रपति शासन (D) संविधान संशोधन (Ans : C) 14.संघ लोक सेवा आयोग के कार्यों का उल्लेख किस अनुच्छेद के अन्तर्गत है? [B.Ed.] (A) अनुच्छेद 320 (B) अनुच्छेद 322 (C) अनुच्छेद 324 (D) अनुच्छेद 325 (Ans : A) 15. संविधान के किस अनुच्छेद में राज्यों द्वारा प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने का प्रावधान है? [PSC (Pre)] (A) अनुच्छेद-349 (B) अनुच्छेद-350 (C) अनुच्छेद-350 A (D) अनुच्छेद-351 (Ans : C) 16.संविधान के किस अनुच्छेद के आधार पर वित्तीय आपात की उद्घोषणा राष्ट्रपति करता है? [MPPSC] (A) अनुच्छेद-352 (B) अनुच्छेद-356 (C) अनुच्छेद-360 (D) अनुच्छेद-355 (Ans : C) 17.किस अनुच्छेद में यह प्रावधान किया गया है किस संघ की राजभाषा हिन्दी तथा लिपि देवनागरी होगी? [LIC (ADO)] (A) अनुच्छेद-324 (B) अनुच्छेद-343 (C) अनुच्छेद-352 (D) अनुच्छेद-371 (Ans : B) 18.संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है? [BPSC] (A) अनुच्छेद 243 (I) (B) अनुच्छेद 345 (i) (C) अनुच्छेद 346 (i) (D) अनुच्छेद 348 (i) (Ans : A) 19.भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में विभिन्न राज्यों से सम्बन्धित विशिष्ट प्रावधान का उल्लेख है? [IAS (Pre)] (A) अनुच्छेद-369 (B) अनुच्छेद-370 (C) अनुच्छेद-371 (D) अनुच्छेद-372 (Ans : C) 20.वर्तमान में भारतीय संविधान के कुल कितने भाग है? [GIC] (A) 21 (B) 22 (C) 23 (D) 24 (Ans : B)
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Free baithe ho to kyo naa is week k current affairs ka Quiz hi kar liyaa jaye RAS 2024 Prelims Current Affairs Quiz : June Ist Week 1. English 2. Hindi
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इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह “🏆 Subh jo Questions Share kiye the …Unke solution dekh lijiye …or analyse kijiye ki aapne RBSE ki books acche se Revise ki hai yaa nahi 📝🖌 Or Kal Kis Subject k questions share kare ?? message karke btao 🙏 PRACTICE QUESTIONS FOR RAS MAINS FROM RBSE BOOK
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Solution.pdf5.21 MB
🔰विभागीय रूप से संबंधित स्थायी समितियों (DRSCs) की उत्पत्ति🔰 😍पिछले कुछ वर्षों में सरकारी गतिविधियों की अभूतपूर्व वृद्धि के साथ, संसद कार्यकारी और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को पूरी तरह से निभाने में खुद को कुछ हद तक अक्षम महसूस कर रही थी। 😍विभिन्न मंत्रालयों के भारी बजटीय आवंटन भी समय की कमी के कारण पर्याप्त बहस के बिना संसद द्वारा पारित किए जा रहे थे। 😍उदाहरण के लिए, 1989 में केवल 3 मंत्रालयों/विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा की गई और 34 मंत्रालयों/विभागों के संबंध में मांगों पर गिलोटिन किया गया। 😍1978 में, भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया है। जनवरी 1984 में नई दिल्ली में आयोजित तीसरे क्षेत्रीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ संगोष्ठी के दौरान भी इस मामले को तेजी से ध्यान में लाया गया था। 😍1984 में कलकत्ता में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस मामले पर और बहस हुई थी। 😍इसके बाद, लोकसभा की नियम समिति ने अनुदान मांगों की मतदान पूर्व जांच के लिए 9 तदर्थ समितियों के गठन के प्रस्ताव पर विचार किया। हालांकि कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका। 😍बजट समितियों के गठन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने की प्रतीक्षा में, समिति प्रणाली को मजबूत करने और अधिक प्रभावी तरीके से कार्यकारी जवाबदेही को सुरक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक दूरगामी प्रकृति का एक और प्रस्ताव आठवीं लोकसभा में नियम समिति के समक्ष रखा गया था। . 😍नियम समिति ने 30 मार्च और 9 मई, 1989 को हुई अपनी बैठकों में तीन विषय समितियों के गठन के प्रस्तावों पर विचार किया और उन्हें मंजूरी दी- कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पर्यावरण और वन पर एक-एक। 😍इस संबंध में आवश्यक सिफारिशें नियम समिति द्वारा क्रमशः 2 मई और 25 जुलाई, 1989 को सदन के पटल पर रखे गए अपने दूसरे और चौथे प्रतिवेदनों में की गई थीं। 😍इन तीन विषय समितियों से संबंधित नियमों को अंततः सभा द्वारा अनुमोदित किया गया था और समितियों का गठन पहली बार 18 अगस्त, 1989 से किया गया था। 😍ये विषय समितियां, अन्य बातों के साथ-साथ, संबंधित मंत्रालयों/विभागों की गतिविधियों की जांच करने और यह रिपोर्ट करने के लिए थीं कि संसद द्वारा अनुमोदित नीति के अनुरूप कौन सी अर्थव्यवस्थाएं, संगठन में सुधार, दक्षता या प्रशासनिक सुधार प्रभावी हो सकते हैं। 😍अन्य कार्यों के अलावा, इन समितियों को संबंधित मंत्रालयों की वार्षिक रिपोर्टों और योजना परियोजनाओं/गतिविधियों की जांच करनी थी। 😍1992 में दसवीं लोकसभा के दौरान तीन विषय समितियों के कामकाज का अवलोकन करने के बाद, सामान्य प्रयोजन समिति और नियम समिति द्वारा विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समितियों से संबंधित मामले पर फिर से विचार किया गया और उन्हें लगा कि एक पूर्ण विकसित भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों को उनके अधिकार क्षेत्र में शामिल करते हुए विभागीय रूप से संबंधित स्थायी समितियों की प्रणाली बनाई जाए। 😍इसके बाद फरवरी और मार्च, 1993 के दौरान संसद के दोनों सदनों की सामान्य प्रयोजन समिति और नियम समिति द्वारा पूरे मामले पर नए सिरे से विचार किया गया। 😍इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, इस बात पर व्यापक सहमति बनी कि सदनों में प्रस्तुत की गई अनुदान मांगों, विधेयकों और राष्ट्रीय बुनियादी दीर्घकालिक नीति दस्तावेजों पर विचार करने के लिए स्थायी समितियों का गठन किया जाए और उन्हें राज्य सभा के अध्यक्ष/सभापति द्वारा संदर्भित किया जाए। और संबंधित मंत्रालयों/विभागों की वार्षिक रिपोर्ट। 😍लोकसभा और राज्य सभा की नियम समितियों के प्रतिवेदनों को संसद के दोनों सदनों द्वारा 29 मार्च, 1993 को अंगीकार किया गया, जिससे उनके अधिकार क्षेत्र में सभी मंत्रालयों को शामिल करते हुए विभागीय रूप से संबंधित स्थायी समितियों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। / केंद्र सरकार के विभाग। 😍इन समितियों के गठन के साथ ही अगस्त 1989 में गठित तीन विषय समितियों का अस्तित्व समाप्त हो गया।
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Suspension of an MP and revocation of suspension of an MP🔰 What is the reason for suspending an MP in the Lok Sabha?🌺 The general principle is that it is the role and duty of the Lok Sabha Speaker to maintain order so that the House can function smoothly. This is a tough job even in the best of times. To ensure that proceedings are conducted in a proper manner, the Speaker has the power to compel a member to withdraw from the House (for the remainder of the day) or place him under suspension. What are the rules under which the Speaker functions?🌺 Rule No. 373 of the Rules of Procedure and Conduct of Business states: "The Speaker may, if he is of the opinion that the conduct of a member is grossly disorderly, direct such member to withdraw immediately from the House for the remainder of the day's sitting." To deal with more recalcitrant members, the Speaker may resort to Rules 374 and 374A of the Rules of Procedure and Conduct of Business. Rule No. 374 is invoked by the Speaker to suspend a member from the service of the House for a period not exceeding the remainder of the session in case of disregard of the Speaker's authority or persistent and wilful obstruction of the rules of the House business by that member. Rule No. 374A is invoked by the Speaker for automatic suspension of a member of the House - for five consecutive sittings or for the remainder of the session, whichever is less in case of grave disorder by a member. What is the procedure for revoking a member's suspension?🌺 While the Speaker has the power to suspend a member, the power to revoke this order is not vested in him. The House may, if it so wishes, resolve on a motion to revoke the suspension. What happens in Rajya Sabha?🌺 Like the Speaker in Lok Sabha, the Rajya Sabha Chairman has the power to "direct any member whose conduct is grossly disorderly to withdraw forthwith from the House for the remainder of the day" under Rule No. 255 of its rule book. However, unlike the Speaker, the Chairman of the Rajya Sabha does not have the power to suspend a member. "The Chairman of the Rajya Sabha may name a member who disregards the authority of the Chair or abuses the rules of the Council by persistently and wilfully obstructing the business of the House". In such a situation, a resolution may be passed to suspend the Rajya Sabha member (who disregarded the authority of the Speaker or abused the rules of the Council by persistently and wilfully obstructing the business) from the service of the House for a period not exceeding the remainder of the session. The Rajya Sabha may, however, by another resolution, terminate the suspension. Thus, the Chairman of the Rajya Sabha has neither the power to suspend nor the power to revoke it. Summary🔰 Lok Sabha🌺 While the Speaker has the power to place a member under suspension, the power to revoke this order is not vested in the Speaker. The Lok Sabha has the power to revoke the suspension by adopting a resolution. Rajya Sabha🌺 Unlike the Speaker, the Chairman of the Rajya Sabha does not have the power to suspend a member. The Rajya Sabha has the power to suspend a member by adopting a resolution. The Rajya Sabha has the power to revoke the suspension by another resolution.
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एक सांसद का निलंबन और एक सांसद के निलंबन का निरसन🔰 लोकसभा में एक सांसद को निलंबित करने का क्या कारण है?🌺 सामान्य सिद्धांत यह है कि व्यवस्था बनाए रखना लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका और कर्तव्य है ताकि सदन सुचारू रूप से चल सके। यह सबसे अच्छे समय में भी एक कठिन काम है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यवाही उचित तरीके से आयोजित की जाती है, अध्यक्ष को किसी सदस्य को सदन से (दिन के शेष भाग के लिए) वापस लेने के लिए मजबूर करने या उसे निलंबन के तहत रखने का अधिकार है। वे कौन से नियम हैं जिनके तहत अध्यक्ष कार्य करता है?🌺 प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम संख्या 373 में कहा गया है: "अध्यक्ष, यदि यह राय है कि किसी सदस्य का आचरण घोर अव्यवस्थित है, तो ऐसे सदस्य को शेष दिन के लिए तुरंत सदन से हटने का निर्देश दे सकता है। बैठे हैं।" अधिक अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए, अध्यक्ष प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 374 और 374A का सहारा ले सकते हैं। अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करने या सदन के नियमों का लगातार और जानबूझकर बाधा डालने की स्थिति में सदस्य को शेष सत्र से अनधिक अवधि के लिए सदन की सेवा से निलंबित करने के लिए अध्यक्ष द्वारा नियम संख्या 374 का आह्वान किया जाता है। उस सदस्य द्वारा व्यवसाय। नियम संख्या 374ए को अध्यक्ष द्वारा सदन के सदस्य के स्वत: निलंबन के लिए लागू किया जाता है - लगातार पांच बैठकों के लिए या सत्र के शेष भाग के लिए, जो भी एक सदस्य द्वारा गंभीर विकार की स्थिति में कम हो। सदस्य के निलंबन को रद्द करने की प्रक्रिया क्या है?🌺 जबकि अध्यक्ष को किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है, इस आदेश को रद्द करने का अधिकार उसके पास निहित नहीं है। यदि सदन चाहे तो निलंबन को रद्द करने के प्रस्ताव पर संकल्प करे। राज्यसभा में क्या होता है?🌺 लोकसभा में अध्यक्ष की तरह, राज्यसभा के सभापति को अपनी नियम पुस्तिका के नियम संख्या 255 के तहत "किसी भी सदस्य को जिसका आचरण घोर उच्छृंखल है, सदन से शेष दिन के लिए तुरंत वापस लेने का निर्देश देने" का अधिकार है। हालांकि, अध्यक्ष के विपरीत, राज्यसभा के सभापति के पास किसी सदस्य को निलंबित करने की शक्ति नहीं होती है। "राज्य सभा का सभापति उस सदस्य का नाम बता सकता है जो सभापीठ के अधिकार की अवहेलना करता है या सदन के कार्य में लगातार और जानबूझकर बाधा डालकर परिषद के नियमों का दुरुपयोग करता है"। ऐसी स्थिति में, राज्यसभा सदस्य (जिसने अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना की या लगातार और जानबूझकर कार्य में बाधा डालकर परिषद के नियमों का दुरुपयोग किया) को सदन की सेवा से निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है, जो शेष अवधि से अधिक नहीं होगा। अधिवेशन। राज्य सभा, तथापि, एक अन्य प्रस्ताव द्वारा, निलंबन को समाप्त कर सकती है। इस प्रकार, राज्य सभा के सभापति के पास न तो निलंबन की शक्ति होती है और न ही उसे निरस्त करने की शक्ति होती है। सारांश🔰 लोकसभा🌺 जबकि स्पीकर को किसी सदस्य को निलंबन के तहत रखने का अधिकार है, इस आदेश को रद्द करने का अधिकार अध्यक्ष में निहित नहीं है। लोकसभा को एक प्रस्ताव को स्वीकार कर निलंबन को रद्द करने का अधिकार है। राज्य सभा🌺 अध्यक्ष के विपरीत, राज्य सभा के सभापति को किसी सदस्य को निलम्बित करने का अधिकार नहीं है। राज्यसभा को एक प्रस्ताव को स्वीकार करके सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है। राज्य सभा को एक अन्य प्रस्ताव द्वारा निलंबन समाप्त करने का अधिकार है।
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