2 803
Subscribers
No data24 hours
+77 days
+3230 days
Posting time distributions
Data loading in progress...
Find out who reads your channel
This graph will show you who besides your subscribers reads your channel and learn about other sources of traffic.Publication analysis
Posts | Views | Shares | Views dynamics |
01 लक्षद्वीप की प्रवाल भित्तियों में गंभीर विरंजन
◾️आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI) के अनुसार अक्टूबर 2023 से लंबे समय तक चलने वाली मरीन हीटवेव के कारण लक्षद्वीप की प्रवाल भित्तियों में गंभीर विरंजन हो गया है।
◾️कोरल ब्लीचिंग से लक्षद्वीप के समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के समक्ष खतरा उत्पन्न हो गया है।
लक्षद्वीप सागर में इससे पहले 1998, 2010 और 2015 में मूंगा विरंजन की घटनाएं देखी गई हैं, लेकिन वर्तमान में घटित मूंगा विरंजन अभूतपूर्व है।
मूंगा विरंजन/कोरल ब्लीचिंग क्या है?
◾️कोरल ब्लीचिंग तब होता है जब समुद्र का जल बहुत गर्म हो जाता है।
◾️ऐसी स्थितियों में, कोरल अपने ऊतकों में रहने वाले सूक्ष्म शैवाल को बाहर निकाल देते हैं, ये सूक्ष्म शैवाल उनके लिए भोजन का उत्पादन करते हैं।
इन शैवाल के बिना, मूंगों के ऊतक पारदर्शी हो जाते हैं, जिससे उनका सफेद कंकाल उजागर हो जाता है। इसे ही मूंगा विरंजन कहा जाता है।
◾️विशेषज्ञों के अनुसार, अपने शैवाल के बिना, कोरल लगभग दो सप्ताह तक जीवित रह सकते हैं।
#Source: Indian Express | 74 | 4 | Loading... |
02 # विश्व जैवविविधता दिवस-22May💐💐
#थीम: "‘बी पार्ट ऑफ द प्लान’ (Be part of the Plan)" | 51 | 1 | Loading... |
03 Document from Ankesh Pandey | 119 | 0 | Loading... |
04 कादर जनजाति
हाल ही में, तमिलनाडु के अनामलाई टाइगर रिजर्व में एक हाथी के हमले से कादर जनजाति के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। कादर जनजाति जंगली हाथियों के साथ सह-अस्तित्व में रहने के लिए जाने जाते हैं।
कादर जनजाति के बारे में:
कादर दक्षिण भारत का एक स्वदेशी आदिवासी समुदाय है। ये केरल में कोच्चि और तमिलनाडु में कोयंबटूर के बीच पहाड़ी सीमा पर रहते हैं।
ये पारंपरिक वन निवासी हैं जो जीविका के लिए वन उपज पर निर्भर हैं। ये खेती नहीं करते हैं।
21वीं सदी की शुरुआत में इनकी आबादी लगभग 2,000 थी। ये तमिल और कन्नड़ जैसी द्रविड़ भाषाएँ बोलते हैं ।
ये केरल में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में सूचीबद्ध हैं , लेकिन तमिलनाडु में कादर जनजाति को यह दर्जा नहीं दिया गया है। | 232 | 3 | Loading... |
05 कांवर झील
कभी प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग रही बिहार के बेगुसराय में स्थित ताजे पानी की कांवर झील धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।
भूमि के अनियंत्रित अतिक्रमण और बूढ़ी गंडक नदी पर तटबंध के निर्माण ने आर्द्रभूमि के प्रमुख जल प्रवेश को अवरुद्ध कर दिया है।
कांवर झील के बारे में:
यह बिहार में स्थित एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की ऑक्सबो झील है। मूल रूप से लगभग 7,000 हेक्टेयर में फैली यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए एक गंतव्य के रूप में जानी जाती है और कई जलीय प्रजातियों का घर है।
बेगुसराय जिले में स्थित झील, रामसर कन्वेंशन के तहत राज्य की पहली और एकमात्र अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि है।
इसे कबरताल झील के नाम से भी जाना जाता है जो एक वर्षा आधारित झील है।
यह एक अवशिष्ट ऑक्सबो झील है, जो गंगा की सहायक नदी गंडक नदी के घुमावदार होने के कारण बनी है।
पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए इसे पहले 1986 में राज्य सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था, और बाद में केंद्र सरकार द्वारा एक अभयारण्य घोषित किया गया था। | 272 | 4 | Loading... |
06 गेहूं की नई किस्म : HD 3386
◾️हाल ही में, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने गेहूं के बीज की उच्च उपज देने वाली एक नई किस्म- HD 3386 पेश की है।
◾️इसे कृषि मंत्रालय की केंद्रीय बीज समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है, जो येलो और लीफ रस्ट रोगों (yellow and leaf rust diseases) के लिए प्रतिरोधी है।
◾️यह रोग ज्यादातर उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों - पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में होता है।
◾️भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) अनुसंधान, उच्च शिक्षा और कृषि विज्ञान में प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा और अग्रणी संस्थान है।
◾️यह संस्थान दिल्ली में स्थित है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा प्रशासित है।
इसे लोकप्रिय रूप से पूसा इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है। | 236 | 1 | Loading... |
07 हम्बोल्ट ग्लेशियर
इंटरनेशनल क्रायोस्फीयर क्लाइमेट इनिशिएटिव (ICCI) ने कहा है कि एंडीज पर्वतश्रेणी में वेनेजुएला का एकमात्र शेष ग्लेशियर- हम्बोल्ट, या ला कोरोना (Humboldt, or La Corona) है, जो "ग्लेशियर के रूप में वर्गीकृत होने के लिए आकार में बहुत छोटा हो गया है।
इसके साथ ही आधुनिक समय में वेनेज़ुएला पहला ऐसा देश है जिसने अपने सभी ग्लेशियर पूरी तरह से खो दिए हैं।
हम्बोल्ट ग्लेशियर वेनेजुएला के दूसरे सबसे ऊंचे पर्वत पिको हम्बोल्ट के करीब था।
यह ग्लेशियर 2 हेक्टेयर से भी कम क्षेत्र में सिकुड़ गया है। इसलिए, इसे ग्लेशियर के स्थान पर बर्फ क्षेत्र (ice field) के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है क्योंकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, ग्लेशियर के का आकार लगभग 10 हेक्टेयर होना चाहिए।
वेनेजुएला के सिएरा नेवादा डी मेरिडा पर्वत श्रृंखला में छह ग्लेशियर थे, जो समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थे, जिसमें से 5 पहले ही 2011 तक लुप्त हो चुके हैं। | 281 | 3 | Loading... |
08 Media files | 320 | 2 | Loading... |
09 Media files | 463 | 0 | Loading... |
10 Document from Ankesh Pandey | 610 | 0 | Loading... |
11 ▪️UPPSC के आगामी भर्तियों के लिए तय हो रही है नियमवाली,नए भर्ती में लगेगा अभी वक्त | 978 | 4 | Loading... |
12 AIR Morning News | 865 | 2 | Loading... |
13 AIR Evening News | 787 | 1 | Loading... |
14 Document from Ankesh Pandey | 886 | 1 | Loading... |
15 Media files | 1 007 | 0 | Loading... |
16 Media files | 819 | 0 | Loading... |
17 विश्व एथलेटिक्स दिवस🏃🏻♂️
🤾🏻♂️ विश्व स्तर पर एथलीटों और खिलाड़ियों के महत्त्व को चिह्नित करने के लिए, प्रतिवर्ष 7 मई को विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जाता है।
🏌🏻♀️ विश्व एथलेटिक्स दिवस की स्थापना इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन (IAAF) के तत्कालीन अध्यक्ष स्वर्गीय प्राइमो नेबियोलो द्वारा की गई थी ।
🤼 पहला विश्व एथलेटिक्स दिवस 15 मई,1996 को आयोजित किया गया था, जिसमें 50 से अधिक देशों ने भाग लिया था।
⛹🏻♂️ एथलेटिक्स महासंघों के अंतर्राष्ट्रीय संघ IAAF का गठन 17 जुलाई, 1912 को हुआ था। इसका हेडक्वार्टर पहले स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में था। बाद में इसे मोनाको शिफ्ट कर दिया गया।
🏄🏻♂️ विश्व एथलेटिक्स दिवस का उद्देश्य लोगों को खेलों को अपनाने और विभिन्न खेलों और एथलेटिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
🚴🏻♀️ यह दिन लोगों को शारीरिक फिटनेस को प्राथमिकता देने और दुनिया के युवाओं के बीच खेलों को लोकप्रिय बनाने में मदद करता है। | 541 | 3 | Loading... |
18 Document from Ankesh Pandey | 501 | 0 | Loading... |
19 AIR Morning News | 498 | 1 | Loading... |
20 नए शोध के अनुसार कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव की चिंता बेवजह | 659 | 4 | Loading... |
21 Media files | 606 | 0 | Loading... |
Photo unavailableShow in Telegram
लक्षद्वीप की प्रवाल भित्तियों में गंभीर विरंजन
◾️आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI) के अनुसार अक्टूबर 2023 से लंबे समय तक चलने वाली मरीन हीटवेव के कारण लक्षद्वीप की प्रवाल भित्तियों में गंभीर विरंजन हो गया है।
◾️कोरल ब्लीचिंग से लक्षद्वीप के समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के समक्ष खतरा उत्पन्न हो गया है।
लक्षद्वीप सागर में इससे पहले 1998, 2010 और 2015 में मूंगा विरंजन की घटनाएं देखी गई हैं, लेकिन वर्तमान में घटित मूंगा विरंजन अभूतपूर्व है।मूंगा विरंजन/कोरल ब्लीचिंग क्या है? ◾️कोरल ब्लीचिंग तब होता है जब समुद्र का जल बहुत गर्म हो जाता है। ◾️ऐसी स्थितियों में, कोरल अपने ऊतकों में रहने वाले सूक्ष्म शैवाल को बाहर निकाल देते हैं, ये सूक्ष्म शैवाल उनके लिए भोजन का उत्पादन करते हैं।
इन शैवाल के बिना, मूंगों के ऊतक पारदर्शी हो जाते हैं, जिससे उनका सफेद कंकाल उजागर हो जाता है। इसे ही मूंगा विरंजन कहा जाता है।◾️विशेषज्ञों के अनुसार, अपने शैवाल के बिना, कोरल लगभग दो सप्ताह तक जीवित रह सकते हैं। #Source: Indian Express
00:13
Video unavailableShow in Telegram
# विश्व जैवविविधता दिवस-22May💐💐
#थीम: "‘बी पार्ट ऑफ द प्लान’ (Be part of the Plan)"
👍 1❤ 1
Photo unavailableShow in Telegram
कादर जनजाति
हाल ही में, तमिलनाडु के अनामलाई टाइगर रिजर्व में एक हाथी के हमले से कादर जनजाति के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। कादर जनजाति जंगली हाथियों के साथ सह-अस्तित्व में रहने के लिए जाने जाते हैं।
कादर जनजाति के बारे में:
कादर दक्षिण भारत का एक स्वदेशी आदिवासी समुदाय है। ये केरल में कोच्चि और तमिलनाडु में कोयंबटूर के बीच पहाड़ी सीमा पर रहते हैं।
ये पारंपरिक वन निवासी हैं जो जीविका के लिए वन उपज पर निर्भर हैं। ये खेती नहीं करते हैं।
21वीं सदी की शुरुआत में इनकी आबादी लगभग 2,000 थी। ये तमिल और कन्नड़ जैसी द्रविड़ भाषाएँ बोलते हैं ।
ये केरल में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में सूचीबद्ध हैं , लेकिन तमिलनाडु में कादर जनजाति को यह दर्जा नहीं दिया गया है।
Photo unavailableShow in Telegram
कांवर झील
कभी प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग रही बिहार के बेगुसराय में स्थित ताजे पानी की कांवर झील धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।
भूमि के अनियंत्रित अतिक्रमण और बूढ़ी गंडक नदी पर तटबंध के निर्माण ने आर्द्रभूमि के प्रमुख जल प्रवेश को अवरुद्ध कर दिया है।
कांवर झील के बारे में:
यह बिहार में स्थित एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की ऑक्सबो झील है। मूल रूप से लगभग 7,000 हेक्टेयर में फैली यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए एक गंतव्य के रूप में जानी जाती है और कई जलीय प्रजातियों का घर है।
बेगुसराय जिले में स्थित झील, रामसर कन्वेंशन के तहत राज्य की पहली और एकमात्र अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि है।इसे कबरताल झील के नाम से भी जाना जाता है जो एक वर्षा आधारित झील है।
यह एक अवशिष्ट ऑक्सबो झील है, जो गंगा की सहायक नदी गंडक नदी के घुमावदार होने के कारण बनी है।पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए इसे पहले 1986 में राज्य सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था, और बाद में केंद्र सरकार द्वारा एक अभयारण्य घोषित किया गया था।
Photo unavailableShow in Telegram
गेहूं की नई किस्म : HD 3386
◾️हाल ही में, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने गेहूं के बीज की उच्च उपज देने वाली एक नई किस्म- HD 3386 पेश की है।
◾️इसे कृषि मंत्रालय की केंद्रीय बीज समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है, जो येलो और लीफ रस्ट रोगों (yellow and leaf rust diseases) के लिए प्रतिरोधी है।
◾️यह रोग ज्यादातर उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों - पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में होता है।
◾️भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) अनुसंधान, उच्च शिक्षा और कृषि विज्ञान में प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा और अग्रणी संस्थान है।
◾️यह संस्थान दिल्ली में स्थित है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा प्रशासित है।
इसे लोकप्रिय रूप से पूसा इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है।
Photo unavailableShow in Telegram
हम्बोल्ट ग्लेशियर
इंटरनेशनल क्रायोस्फीयर क्लाइमेट इनिशिएटिव (ICCI) ने कहा है कि एंडीज पर्वतश्रेणी में वेनेजुएला का एकमात्र शेष ग्लेशियर- हम्बोल्ट, या ला कोरोना (Humboldt, or La Corona) है, जो "ग्लेशियर के रूप में वर्गीकृत होने के लिए आकार में बहुत छोटा हो गया है।
इसके साथ ही आधुनिक समय में वेनेज़ुएला पहला ऐसा देश है जिसने अपने सभी ग्लेशियर पूरी तरह से खो दिए हैं।हम्बोल्ट ग्लेशियर वेनेजुएला के दूसरे सबसे ऊंचे पर्वत पिको हम्बोल्ट के करीब था। यह ग्लेशियर 2 हेक्टेयर से भी कम क्षेत्र में सिकुड़ गया है। इसलिए, इसे ग्लेशियर के स्थान पर बर्फ क्षेत्र (ice field) के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया है क्योंकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, ग्लेशियर के का आकार लगभग 10 हेक्टेयर होना चाहिए।
वेनेजुएला के सिएरा नेवादा डी मेरिडा पर्वत श्रृंखला में छह ग्लेशियर थे, जो समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित थे, जिसमें से 5 पहले ही 2011 तक लुप्त हो चुके हैं।