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भारतीय कुश्ती संघ का चुनाव रद्द
खेल मंत्रालय ने हाल ही में हुए कुश्ती संघ के चुनाव को रद्द कर दिया है. इतना ही नहीं मंत्रालय ने नवनियुक्त अध्यक्ष संजय सिंह को भी सस्पेंड कर दिया है. इस चुनाव में बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने गए थे. सरकार का कहना है कि ये चुनाव नियमों के खिलाफ हैं.संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद पहलवान साक्षी मलिक ने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया था, जबकि बजरंग ने सरकार को अपना पद्म श्री अवॉर्ड वापस कर दिया था. हालांकि, अब दोनों पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने फैसले का समर्थन किया है.
क्यों सस्पेंड हुआ कुश्ती संघ?
कुश्ती संघ ने जूनियर नेशनल चैंपियनशिप उत्तर प्रदेश के गोंडा में कराने का ऐलान किया था. गोंडा बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह का गढ़ माना जाता है. संजय सिंह का यह ही फैसला उन पर भारी पड़ गया. दरअसल, संघ के इस फैसले को लेकर साक्षी मलिक ने सवाल उठाए थे.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, " मैंने कुश्ती छोड़ दी है पर कल रात से परेशान हूं. मुझे जूनियर महिला पहलवान फोन करके बता रही हैं कि दीदी इस 28 तारीख से जूनियर नेशनल होने हैं और नई कुश्ती फेडरेशन ने इसे गोंडा में करवाने का फैसला किया है. अब आप सोचिए कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने वहां जाएंगी."
खेल मंत्रालय ने क्या कहा?
खेल मंत्रालय ने कहा कि इस फैसला में डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया था. WFI के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय का फैसला WFI के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलेपमेंट कोड का उल्लंघन हैं. ऐसे फैसले कार्यकारी समिति लेती है. इस फैसले में नए अध्यक्ष की मनमानी दिखाई देती है, जो कि सिद्धांतों के खिलाफ है. खेल मंत्रालय ने कहा, ऐसा लगता है कि नया कुश्ती संघ खेल संहिता की पूरी तरह अनदेखी कर रहा है और इस पर पिछले पदाधिकारियों का कंट्रोल है.
रेपो रेट क्या है?
जिस तरह आप अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे एक तय ब्याज के साथ चुकाते हैं, उसी तरह पब्लिक और कमर्शियल बैंकों को भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक ही ओर से जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट कम होने पर आम आदमी को राहत मिल जाती है और रेपो रेट बढ़ने पर आम आदमी के लिए भी मुश्किलें बढ़ती हैं.
रेपो रेट में बदलाव से क्या होता है?
RBI के पास रेपो रेट के के चलते महंगाई से लड़ने का एक पावरफुल टूल है. जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है. रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलने वाला लोन महंगा होगा. जिससे बैंक भी अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं. इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है. मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है. इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है.
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