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Positive thoughts in hindi

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असफलता का डर ही सफलता की राह में सबसे बड़ी बाधा है कभी-कभी, लोगों को जीवन में वह नहीं मिलता जो वे चाहते हैं क्योंकि वे असफलता से डरते हैं। यह सबसे बड़ा डर है, असफल होने पर स्वीकार नहीं किए जाने का डर, खारिज किए जाने का डर, एक आदर्श व्यक्ति के रूप में पहचान न बना पाने का डर। लेकिन क्या आपको पता है। कि परफेक्शन जैसा कुछ नहीं होता। मैंने अपने कॅरिअर में नौ हजार से अधिक शॉट गंवाए हैं। मैंने लगभग 300 गेम गंवाए 26 बार मुझ पर गेम-विजेता शॉट के लिए भरोसा किया गया पर मैं चूक गया। मैं अपने जीवन में बार-बार असफल हुआ हूं। इसलिए मैं आज हूं। सफलता के लिए हमेशा प्रयास करने के लिए तैयार रहना चाहिए, भले ही असफलता क्यों न मिले। सफलता क्या होती है, यह जानने के लिए हमेशा प्रयासरत रहें। अगर आप कोशिश नहीं करेंगे तो कुछ नहीं मिलेगा, अगर आप कोशिश करते हैं और असफल हो जाते हैं तो आपको अनुभव मिलेगा। अगली बार, आपको पता चल जाएगा कि क्या नहीं करना है, और क्या करना है। और अंत में आप ट्रायल / एरर करते हुए सफल हो जाएंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने तैयार हैं, जीवन में कठिन समय जरूर आएगा। सवाल यह है कि बुरा समय आने पर आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे। क्या आप अपने आपको नीचे गिरने देंगे, या उठ खड़े होंगे और चलते रहेंगे? यह सबसे महत्वपूर्ण है। चाहे कुछ भी हो जाए, आप खुद पर विश्वास बनाए रखें और रुकें नहीं! - "माइकल जॉर्डन" विख्यात बास्केटबॉल खिलाड़ी, विभिन्न इंटरव्यू से साभार
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हर सुबह जिंदगी चुनने के लिए आपको दो विकल्प देती है लेखक - नॉर्मन विन्सेन्ट पील एक टीवी कार्यक्रम में अतिथि के रूप में एक बुजुर्ग व्यक्ति आए । उनकी बातें पूरी तरह से बिना रिहर्सल की थीं और वह बिना तैयारी के बोल रहे थे। उनका व्यक्तित्व खुशनुमा और प्रफुल्लित था जब भी वह कुछ कहते थे तो यह इतना सहज, सटीक होता था कि कार्यक्रम देखने वाले लोग हंसी के मारे लोटपोट हो रहे थे। टीवी हस्ती पर भी इसका प्रभाव पड़ा और वह भी दूसरों के साथ उनकी बातों का आनंद ले रहा था। आखिर में उसने उन बुजुर्ग व्यक्ति से पूछ ही लिया कि आपकी खुशी का राज क्या है? बुजुर्ग व्यक्ति ने जवाब दिया, कुछ नहीं। मेरी खुशी का कोई बड़ा राज नहीं है । जब मैं सुबह उठता हूं तो मेरे पास दो विकल्प होते हैं या तो मैं खुश रहूं, या फिर दुखी रहूं। मैं सिर्फ खुश रहने का विकल्प चुनता हूं, और यही मेरी खुशी का राज है। अब्राहम लिंकन कहते थे कि लोग उतने ही खुश रहते हैं, जितने खुश रहने का विकल्प वे चुनते हैं। अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो अपने आपसे कहते रहें कि हर चीज अच्छी तरह हो रही है। जिंदगी बहुत बढ़िया है । मैं सुखी रहने का विकल्प चुनता हूं और आप सचमुच सुखी हो जाएंगे। बड़े लोगों की तुलना में बच्चे खुशी के ज्यादा बड़े विशेषज्ञ होते हैं। वह वयस्क जो दिल में अधेड़ावस्था या वृद्धावस्था में भी बचपन बनाए रखता है वह जीनियस है, क्योंकि वह उस सचमुच सुखद भाव को बनाए रखता है जो ईश्वर ने बच्चों को प्रदान किया है। - पुस्तक "सकारात्मक सोच की शक्ति" से साभार
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वे ही सफल होते हैं, जिनका फिक्स्ड माइंडसेट नहीं होता किताब : माइंडसेट लेखिका : कैरोल एस. ड्वेक, स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजिस्ट। उनकी यह किताब मिलियन कॉपी बेस्टसेलर है। बीइंग से बेहतर है बिकमिंग... फिक्स्ड माइंडसेट बड़ी समस्या है। जिनका फिक्स्ड माइंडसेट होता है, वे समझते हैं कि वे जो कर सकते हैं और जो नहीं कर सकते, उसे अब बदला नहीं जा सकता। हममें से ऐसे कितने हैं, जो अकसर यह कहना पसंद करते हैं- माय गॉड, मैं यह नहीं कर सकता ? जबकि सफल वे ही हो सकते हैं, जिनका दिमाग फिक्स्ड नहीं होता, जो बीइंग के बजाय बिकमिंग को बेहतर समझते हैं, यानी होने के बजाय निरंतर विकसित होते रहना ।। हमारी पोटेंशियल यानी क्या..... क्या हमें कोई एक्सपर्ट या टेस्ट बता सकता है कि हम क्या करने में सक्षम हैं? या हमारी वास्तविक पोटेंशियल क्या है? फिक्स्ड माइंडसेट कहता है- हां, आप अपनी क्षमताओं का आकलन कर सकते हैं और उसी के आधार पर भविष्य की योजनाएं बना सकते हैं। लेकिन क्या पोटेंशियल का मतलब यह नहीं होता कि कोई अपनी स्किल्स को कितने प्रयासों के साथ विकसित कर पाता है? तब हम पहले से यह कैसे जान सकते हैं कि हमें इसमें कितना समय लगने वाला है? अपना बेस्ट वर्जन बनने की ओर..... खुद से कहें कि शायद हम अभी तक अपना बेस्ट वर्शन नहीं बन पाए हों, लेकिन आने वाले कल में बन सकेंगे। क्योंकि इसी का नाम अपनी सम्भावनाओं का विकास करना है। हमें होने बजाय निरंतर विकसित होना है। इसमें आप किसी बिंदु पर रुककर यह नहीं कह सकते कि अब आगे जानने को कुछ नहीं । मेहनत तो जीनियस को भी करना है .... यह एक भ्रम है कि जीनियस लोग विशेष प्रतिभासम्पन्न होते हैं, इसलिए उन्हें कड़ी मेहनत नहीं करना पड़ती। ग्रोथ माइंडसेट वाले लोग हमेशा प्रयासों को महत्व देते हैं । जीनियस वही हैं, जो प्रयासों और विफलताओं से घबराते नहीं। इसे याद रखें।
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चार्ली चैप्लिन जो की अमेरिका के सिनेमा जगत के सबसे प्रसिद्ध ओर मशहूर अभिनेता थे उन्होंने अपनी एक्टिंग से पूरी दुनिया में नाम कमाया था। वह अपनी लिखी एक बुक में कहते हैं कि जीवन के शुरुआती दौर में मेरी दुनिया मैं सिर्फ दो लोग ही थे। एक थीं मां और दूसरे बड़े भाई। हमारा समय बुरा चल रहा था, क्योंकि हम गिरिजाघरों की कृपा पर पल रहे थे। शो की टिकटों की बदौलत जैसे-तैसे जिंदगी काटने को मजबूर थे। सिडनी स्कूल के दौरान समय निकालकर मैं अखबार बेचता था और बेशक इससे हमारी जरूरतें पूरी नहीं होती थीं। जीवन में जिस सबसे बुरी चीज की कल्पना मैं कर सकता हूं, वो एशो-ओ-आराम की लत है। मां हाना ने सिखाया कि पैसे नहीं होने पर कैसे मनोरंजन किया जा सकता है। मां खिड़की पर बैठ जातीं और सड़कों पर गुजरने वाले लोगों को देखतीं और इसके आधार पर उनके चरित्र, रंग-रूप और आचरण का अनुमान लगातीं। उन पर कहानियां सुनातीं, कभी- कभी उनकी नकल करके भी दिखातीं मैंने अपनी मां की इस कुशलता को आत्मसात कर लिया था। पूरी पोस्ट पढ़ें ➡ https://www.hindimotive99.com/2023/01/how-to-face-tough-time-in-life-in-hindi.html?m=1
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मुश्किल समय में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करें | How To Face Tough Time In Life In Hindi

खान सर के अनमोल विचार
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◆ हमारी बेचैनियों का कारण ◆ महान चिंतक खलील जिब्रान कहते हैं, 'हमारी बेचैनियों का कारण भविष्य के बारे में सोचना नहीं है । यह भविष्य को अपने काबू में करने की चाहत का नतीजा है।' भरोसा रखिए कि कुछ भी हो जाए, आप हर समस्या का सामना कर ही लेंगे। परेशानियों को जीतने के लिए आप पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को भी याद रखें । समस्याएं, सफलता की नींव हैं। आगे के लिए सबक हैं। जीवन-मृत्यु का प्रश्न नहीं। अंग्रेजी उपन्यासकार जॉर्ज इलियट ने कहा भी है कि गुलाबों की बरसात कभी नहीं होती । अगर आपको ज्यादा गुलाब चाहिए तो आपको गुलाब के ज्यादा पौधे लगाने के लिए मेहनत करनी होगी। यानी हम जिस लक्ष्य या टारगेट को साधते हैं, उस पर फोकस करना बहुत जरूरी है।
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बस यही सोचें कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा। बहुत दिनों बाद रजनीश से मिलना हुआ काफी दिनों से वह परेशान था. हम दोनों ऑफिस के कैंटीन पहुंचे. पिछले एक सप्ताह से फोन पर उससे बातचीत हो रही थी तो लग रहा था, जैसे दुनिया का सबसे दुखी व्यक्ति वही है, पर आज वह काफी खुश दिखायी दे रहा था. मैंने पूछा, क्या हुआ, प्रोमोशन मिल गया या मिड टर्म सैलेरी इंक्रीमेंट हुआ. उसने बताया कि "मुझे एक मंत्र मिल गया है. एक ऐसा मंत्र, जिसने मुझे बदल दिया है. मैं हमेशा छोटी- छोटी बातों को लेकर परेशान रहता था, पर अब नहीं रहता." मैंने पूछा, कौन-सा मंत्र, मिल गया है. रजनीश ने मुझे समझाते हुए कहा, "देखो, कितनी भी परेशानी क्यों न हो, बस यही सोचो कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा. जब पता चल जाये तो खुद को बस उसके लिए मेंटली तैयार रखो. देखना, फिर जिंदगी में हर छोटी-छोटी बातों को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी. हम कहते हैं न किडर के आगे जीत है, डर वही 'ज्यादा से ज्यादा क्या होगा' वाली स्थिति है. एक बार जब आप इसके लिए तैयार हो जायें, तो जीत आपकी है.''मुझे उसकी बात में सच्चाई लगी. बात तो सही है. हममें से ज्यादातर लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं. जैसे अगर किसी साथी काम की आलोचना कर दी, तो कुछ लोग ऐसा भी सोच सकते हैं कि इसने आलोचना किया है, तो इसी बात को मिर्च-मसाला लगा कर बॉस को बतायेगा, बॉस मुझसे नाराज हो जायेंगे और मुझे इस जिम्मेवारी से मुक्त कर देंगे और मेरी जगह उसे बिठा देंगे. ऐसे में कितनी बदनामी होगी मेरी, लोग तो यही कहेंगे कि इसे कुछ आता नहीं है, बाहर में लोग जानेंगे, तो दूसरी नौकरी मिलने में दिक्कत होगी, घरवालों से क्या कहूंगा.... लिस्ट लंबी है, लेकिन एक बार जब सोच नकारात्मकता की तरफ मुड़ जाती है, तो आप कुछ भी सोच सकते हैं. और उसके बाद एक छोटी-सी बात को लेकर परेशान हो जाते हैं, होना यह चाहिए कि जब भी किसी बात को लेकर परेशान हों, तो यही सोचें कि इस मामले में ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता है. जब उस ज्यादा से ज्यादा की स्थितियों के लिए आप तैयार हो जायेंगे, तो काफी हल्का महसूस करेंगे... आजमा कर देखें. ◆ कितनी भी परेशानी क्यों न हो, बस यही सोचें कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा और इसके लिए खुद को तैयार रखें. ◆ डर ज्यादा से ज्यादा क्या होगा' वाली स्थिति है, एक बार जब आप इसके लिए तैयार हो जायें, तो जीत आपकी है।
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