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Motivational stories and kahaniya

प्रेरणा दायक, रोचक और ज्ञानवर्धक, मनोरंजक कथायें, कहानियाँ, किस्से, प्रसंग, कविताएं इत्यादि को समर्पित एक ऐसा चैनल जो आप को हर तरह की प्रेरक कहानियाँ प्राप्त कराएगा और प्रेरणादायी जानकारी का एक अनूठा एव समग्र स्रोत है l

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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story निर्दोष को सजा बहुत समय पहले हरिशंकर नाम का एक राजा था। उसके तीन पुत्र थे और अपने उन तीनों पुत्रों में से वह किसी एक पुत्र को राजगद्दी सौंपना चाहता था। पर किसे? राजा ने एक तरकीब निकाली और उसने तीनो पुत्रों को बुलाकर कहा– अगर तुम्हारे सामने कोई अपराधी खड़ा हो तो तुम उसे क्या सजा दोगे? पहले राजकुमार ने कहा कि अपराधी को मौत की सजा दी जाए तो दूसरे ने कहा कि अपराधी को काल कोठरी में बंद कर दिया जाये। अब तीसरे राजकुमार की बारी थी। उसने कहा कि पिताजी सबसे पहले यह देख लिया जाये कि उसने गलती की भी है या नहीं। इसके बाद उस राजकुमार ने एक कहानी सुनाई– किसी राज्य में राजा हुआ करता था, उसके पास एक सुन्दर सा तोता था। वह तोता बड़ा बुद्धिमान था, उसकी मीठी वाणी और बुद्धिमत्ता की वजह से राजा उससे बहुत खुश रहता था। एक दिन की बात है कि तोते ने राजा से कहा कि मैं अपने माता-पिता के पास जाना चाहता हूँ। वह जाने के लिए राजा से विनती करने लगा। तब राजा ने उससे कहा कि ठीक है पर तुम्हें पांच दिनों में वापस आना होगा। वह तोता जंगल की ओर उड़ चला, अपने माता- पिता से जंगल में मिला और खूब खुश हुआ। ठीक पांच दिनों बाद जब वह वापस राजा के पास जा रहा था तब उसने एक सुन्दर सा उपहार राजा के लिए ले जाने का सोचा। वह राजा के लिए अमृत फल ले जाना चाहता था। जब वह अमृत फल के लिए पर्वत पर पहुंचा तब तक रात हो चुकी थी। उसने फल को तोड़ा और रात वहीं गुजारने का सोचा। वह सो रहा था कि तभी एक सांप आया और उस फल को खाना शुरू कर दिया। सांप के जहर से वह फल भी विषाक्त हो चुका था। जब सुबह हुई तब तोता उड़कर राजा के पास पहुँच गया और कहा– राजन मैं आपके लिए अमृत फल लेकर आया हूँ। इस फल को खाने के बाद आप हमेशा के लिए जवान और अमर हो जायेंगे। तभी मंत्री ने कहा कि महाराज पहले देख लीजिए कि फल सही भी है कि नहीं ? राजा ने बात मान ली और फल में से एक टुकड़ा कुत्ते को खिलाया। कुत्ता तड़प-तड़प कर मर गया। राजा बहुत क्रोधित हुआ और अपनी तलवार से तोते का सिर धड़ से अलग कर दिया। राजा ने वह फल बाहर फेंक दिया। कुछ समय बाद उसी जगह पर एक पेड़ उगा। राजा ने सख्त हिदायत दी कि कोई भी इस पेड़ का फल ना खाएं क्यूंकि राजा को लगता था कि यह अमृत फल विषाक्त होते हैं और तोते ने यही फल खिलाकर उसे मारने की कोशिश की थी। एक दिन एक बूढ़ा आदमी उस पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। उसने एक फल खाया और वह जवान हो गया क्यूंकि उस वृक्ष पर उगे हुए फल विषाक्त नहीं थे। जब इस बात का पता राजा को चला तो उसे बहुत ही पछतावा हुआ उसे अपनी करनी पर लज़्ज़ा हुई। तीसरे राजकुमार के मुख से यह कहानी सुनकर राजा बहुत ही खुश हुआ और तीसरे राजकुमार को सही उत्तराधिकारी समझते हुए उसे ही अपने राज्य का राजा चुना। शिक्षा:- किसी भी अपराधी को सजा देने से पहले यह देख लेना चाहिए कि उसकी गलती है भी या नहीं, कहीं भूलवश आप किसी निर्दोष को तो सजा देने नहीं जा रहे हैं। निरपराध को कतई सजा नहीं मिलनी चाहिए..!! ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story झटक कर आगे बढ़ जाएं बहुत समय पहले की बात है , किसी  गाँव में एक किसान रहता था . उसके पास बहुत सारे जानवर थे , उन्ही में से एक गधा भी था . एक दिन वह चरते चरते खेत में बने एक पुराने सूखे हुए कुएं के पास जा पहुचा और अचानक ही उसमे  फिसल कर गिर गया . गिरते ही उसने जोर -जोर से चिल्लाना शुरू किया -” ढेंचू-ढेंचू ….ढेंचू-ढेंचू ….” उसकी आवाज़ सुन कर खेत में काम कर रहे लोग कुएं के पास पहुचे, किसान को भी बुलाया गया . किसान ने स्थिति का जायजा लिया , उसे गधे पर दया तो आई लेकिन उसने मन में सोचा  कि इस बूढ़े गधे को बचाने से कोई लाभ नहीं है और इसमें मेहनत भी बहुत लगेगी और साथ ही कुएं की भी कोई ज़रुरत नहीं है , फिर उसने बाकी लोगों से कहा , “मुझे नहीं लगता कि हम किसी भी तरह इस गधे को बचा सकते हैं अतः  आप सभी अपने-अपने काम पर लग जाइए, यहाँ समय गंवाने से कोई लाभ नहीं.” और ऐसा कह कर वह आगे बढ़ने को ही था की एक मजदूर बोला, ” मालिक , इस गधे ने सालों तक आपकी सेवा की है , इसे इस तरह तड़प-तड़प के मरने देने से अच्छा होगा की हम उसे इसी कुएं में दफना दें .” किसान ने भी सहमती जताते हुए उसकी हाँ में हाँ मिला दी. ” चलो हम सब मिल कर इस कुएं में मिटटी डालना शुरू करते हैं और गधे को यहीं दफना देते हैं”, किसान बोला. गधा ये सब सुन रहा था और अब वह और भी डर गया  , उसे लगा कि  कहाँ उसके मालिक को उसे बचाना चाहिए तो उलटे वो लोग उसे दफनाने की योजना बना रहे हैं .  यह सब  सुन  कर वह भयभीत हो गया , पर उसने हिम्मत नहीं हारी और भगवान् को याद कर वहां से निकलने के बारे में सोचने लगा …. अभी वह अपने विचारों में खोया ही था कि  अचानक उसके ऊपर मिटटी की बारिश होने लगी, गधे ने मन ही मन सोचा कि भले कुछ हो जाए वह अपना प्रयास नहीं छोड़ेगा और आसानी से हार नहीं मानेगा। और फिर वह पूरी ताकत से उछाल मारने लगा . किसान भी औरों की तरह मिटटी से भरी एक बोरी कुएं में झोंक दी और उसमे  झाँकने लगा , उसने देखा की जैसे ही मिटटी गधे के ऊपर पड़ती वो उसे अपने शरीर से झटकता  और उचल कर उसके ऊपर चढ़ जाता .जब भी उसपे मिटटी डाली जाती वह यही करता ….झटकता और ऊपर चढ़ जाता …. झटकता और ऊपर चढ़ जाता …. किसान भी समझ चुका  था कि अगर वह यूँही मिटटी डलवाता रहा तो गधे की जान बच सकती है . फिर क्या था वह मिटटी डलवाता गया और देखते-देखते गधा कुएं के मुहाने तक पहुँच गया, और अंत में कूद कर बाहर आ गया. शिक्षा:- हमारी ज़िन्दगी भी इसी तरह होती है , हम चाहे जितनी भी सावधानी बरतें कभी न  कभी मुसीबत रुपी गड्ढे में गिर ही जाते हैं .पर  गिरना प्रमुख नहीं है, प्रमुख है संभलना  . बहुत से लोग बिना प्रयास किये ही हार मान लेते हैं , पर जो प्रयास करते हैं भगवान् भी किसी न किसी रूप में उनके लिए मदद भेज देता है। यदि गधा लगातार बचने का प्रयास नहीं करता तो किसान के दिमाग में भी यह बात नहीं आती को उसे बचाया जा सकता है ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story मेरे नाम का गुब्बारा एक बार पचास लोगों का ग्रुप किसी सेमीनार में हिस्सा ले रहा था। सेमीनार शुरू हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि स्पीकर अचानक ही रुका और सभी पार्टिसिपेंट्स को गुब्बारे देते हुए बोला , ” आप सभी को गुब्बारे पर इस मार्कर से अपना नाम लिखना है। ” सभी ने ऐसा ही किया। अब गुब्बारों को एक दुसरे कमरे में रख दिया गया। स्पीकर ने अब सभी को एक साथ कमरे में जाकर पांच मिनट के अंदर अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने के लिए कहा। सारे पार्टिसिपेंट्स तेजी से रूम में घुसे और पागलों की तरह अपना नाम वाला गुब्बारा ढूंढने लगे। पर इस अफरा-तफरी में किसी को भी अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिल पा रहा था… पांच मिनट बाद सभी को बाहर बुला लिया गया। स्पीकर बोला , ” अरे! क्या हुआ , आप सभी खाली हाथ क्यों हैं ? क्या किसी को अपने नाम वाला गुब्बारा नहीं मिला ?” ” नहीं ! हमने बहुत ढूंढा पर हमेशा किसी और के नाम का ही गुब्बारा हाथ आया…”, एक पार्टिसिपेंट कुछ मायूस होते हुए बोला। कोई बात नहीं , आप लोग एक बार फिर कमरे में जाइये , पर इस बार जिसे जो भी गुब्बारा मिले उसे अपने हाथ में ले और उस व्यक्ति का नाम पुकारे जिसका नाम उसपर लिखा हुआ है। “, स्पीकर ने निर्दश दिया। एक बार फिर सभी पार्टिसिपेंट्स कमरे में गए, पर इस बार सब शांत थे , और कमरे में किसी तरह की अफरा-तफरी नहीं मची हुई थी। सभी ने एक दुसरे को उनके नाम के गुब्बारे दिए और तीन मिनट में ही बाहर निकले आये। स्पीकर ने गम्भीर होते हुए कहा , ” बिलकुल यही चीज हमारे जीवन में भी हो रही है। हर कोई  अपने लिए ही जी रहा है , उसे इससे कोई मतलब नहीं कि वह किस तरह औरों की मदद कर सकता है , वह तो  बस  पागलों की तरह अपनी ही खुशियां ढूंढ रहा है  , पर बहुत ढूंढने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिलता। शिक्षा :-दोस्तों हमारी ख़ुशी दूसरों की ख़ुशी में छिपी हुई है। जब तुम औरों को उनकी खुशियां देना सीख जाओगे तो अपने आप ही तुम्हे तुम्हारी खुशियां मिल जाएँगी।और यही मानव-जीवन का उद्देश्य है। ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story एकता  किसी जंगल में एक शेर रहता था जिससे सभी पशु-पक्षी बहुत डरते थे। शेर रोज किसी एक जानवर को मार कर अपना पेट भरता था। उसी जंगल में खरगोश, कछुआ, बंदर और हिरण, ये चारों पक्के और सच्चे दोस्त थे, जो हमेशा हर जानवर की मदद करने को तैयार रहते थे। एक दिन एक भेड़िया उस जंगल में पहुंचा। रास्ते में उसे भालू मिला। भालू ने उसको जंगल के सारे कायदे कानून बताए कि यहां का राजा शेर रोज एक जानवर को मारकर खाता है, उससे बच कर रहना। चालाक भेड़िये ने सोचा, शेर से मित्रता करके उसका हितैषी बनकर, उसका दिल जीतना चाहिए, इससे मेरी जान तो बच जाएगी। भेड़िया शेर की गुफा में गया और सोए हुए शेर के पास बैठ गया। शेर नींद से जब जागा तो भेड़िए को खाने को उद्यत हुआ। भेड़िए ने कहा, महाराज, पशुलोक से पशु देवता ने आपकी सेवा के लिए मुझे भेजा है। अब आपको शिकार पर जाने की जरूरत नहीं। आज से आपको मैं शिकार लाकर दूंगा। शेर ने भेड़िए की बात मान ली। भेड़िए ने जंगल में यह ढिंढोरा पिटवाया कि मैं पशुलोक से राजा शेर का सेवक बन कर आया हूं। प्रतिदिन जंगल के राजा की भूख मिटाने के लिए एक प्राणी मेरे साथ चलेगा। जंगल के सभी जानवर डर गए और भेड़िए की बात मानने को तैयार हो गए। शेर के पास जाने के क्रम में एक दिन खरगोश की बारी आई और भेड़िया उसे ले जाने लगा। तभी वहां हिरण, बंदर और कछुआ भी आ पहुंचे और उसके साथ जाने की जिद करने लगे। शेर के सामने पहुंचकर चारों ने बारी-बारी अपनी बात शेर से कहीं। सबसे पहले खरगोश बोला, महाराज आज मैं आपका भोजन हूं। कछुआ बोला, नहीं महाराज आप अकेले खरगोश को नहीं खाइए, मुझे भी खाइए। तभी बंदर कहता है, महाराज इन तीनों को छोड़ दीजिए, मैं बड़ा हूं, मुझे अपना भोजन बना लीजिए। इतने में हिरण बोल पड़ा, महाराज, इन तीनों को छोड़ दीजिए, मैं अकेला ही तीनों के बराबर हूं, आप मुझे अपना शिकार बना लीजिए। भेड़िया यह सब सुन रहा था। उसने कहा, महाराज, देर ना करें इन चारों की बातों में ना आए, एक झटके में इनको खत्म करके अपनी भूख मिटायें। तभी शेर ने चारों को अपने पास बुलाया और कहा, मैं तुम्हारी सच्ची एकता, मित्रता और त्याग देख कर बहुत खुश हुआ। यह कह कर शेर ने भेड़िए को अपना शिकार बना दिया। शिक्षा:- किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए आपसी एकता होना बहुत जरूरी है। एकता के लिए चाहिए आपसी स्नेह और विश्वास। स्नेह के आधार से ही सहयोगी बन पाते हैं। सहयोगी बनने के लिए अपने को मिटाना पड़ता है अर्थात् अपने पुराने संस्कारों को मिटाना होता है। इसलिए आप हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करते रहो। ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story कल की चिंता एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके विवाह के लिए योग्य वर नहीं मिल पा रहा था। राजा ने पुत्री की भावनाओं को समझते हुए बहुत सोच-विचार करके उसका विवाह एक गरीब संन्यासी से करवा दिया। राजा ने सोचा कि एक संन्यासी ही राजकुमारी की भावनाओं की कद्र कर सकता है। विवाह के बाद राजकुमारी खुशी-खुशी संन्यासी की कुटिया में रहने आ गई। कुटिया की सफाई करते समय राजकुमारी को एक बर्तन में दो सूखी रोटियां दिखाई दीं। उसने अपने संन्यासी पति से पूछा कि रोटियां यहां क्यों रखी हैं? संन्यासी ने जवाब दिया कि ये रोटियां कल के लिए रखी हैं, अगर कल खाना नहीं मिला तो हम एक-एक रोटी खा लेंगे। संन्यासी का ये जवाब सुनकर राजकुमारी हंस पड़ी। राजकुमारी ने कहा कि मेरे पिता ने मेरा विवाह आपके साथ इसलिए किया था, क्योंकि उन्हें ये लगता है कि आप भी मेरी ही तरह वैरागी हैं, आप तो सिर्फ भक्ति करते हैं और कल की चिंता करते हैं। सच्चा भक्त वही है जो कल की चिंता नहीं करता और भगवान पर पूरा भरोसा करता है। अगले दिन की चिंता तो जानवर भी नहीं करते हैं, हम तो इंसान हैं। अगर भगवान चाहेगा तो हमें खाना मिल जाएगा और नहीं मिलेगा तो रातभर आनंद से प्रार्थना करेंगे। ये बातें सुनकर संन्यासी की आंखें खुल गई। उसे समझ आ गया कि उसकी पत्नी ही असली संन्यासी है। उसने राजकुमारी से कहा कि आप तो राजा की बेटी हैं, राजमहल छोड़कर मेरी छोटी सी कुटिया में आई हैं, जबकि मैं तो पहले से ही एक फकीर हूं, फिर भी मुझे कल की चिंता सता रही थी। सिर्फ कहने से ही कोई संन्यासी नहीं होता, संन्यास को जीवन में उतारना पड़ता है। आपने मुझे वैराग्य का महत्व समझा दिया। शिक्षा:- अगर हम भगवान की भक्ति करते हैं तो विश्वास भी होना चाहिए कि भगवान हर समय हमारे साथ हैं। उसको (भगवान) हमारी चिंता हमसे ज्यादा रहती हैं। कभी आप बहुत परेशान हों, कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा हो तो आप आँखें बंद करके विश्वास के साथ पुकारें, सच मानिये थोड़ी देर में आपकी समस्या का समाधान मिल जायेगा..!! ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story लालच का फल किसी गांव में एक गड़रिया रहता था। वह लालची स्वभाव का था, हमेशा यही सोचा करता था कि किस प्रकार वह गांव में सबसे अमीर हो जाये। उसके पास कुछ बकरियां और उनके बच्चे थे। जो उसकी जीविका के साधन थे। एक बार वह गांव से दूर जंगल के पास पहाड़ी पर अपनी बकरियों को चराने ले गया। अच्छी घास ढूँढने के चक्कर में आज वो एक नए रास्ते पर निकल पड़ा। अभी वह कुछ ही दूर आगे बढ़ा था कि तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और तूफानी हवाएं चलने लगीं। तूफान से बचने के लिए गड़रिया कोई सुरक्षित स्थान ढूँढने लगा। उसे कुछ ऊँचाई पर एक गुफा दिखाई दी। गड़रिया बकरियों को वहीँ बाँध उस जगह का जायजा लेने पहुंचा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। वहां बहुत सारी जंगली भेड़ें मौजूद थीं। मोटी- तगड़ी भेड़ों को देखकर गड़रिये को लालच आ गया। उसने सोचा कि अगर ये भेड़ें मेरी हो जाएं तो मैं गांव में सबसे अमीर हो जाऊंगा। इतनी अच्छी और इतनी ज्यादा भेड़ें तो आस-पास के कई गाँवों में किसी के पास नहीं हैं। उसने मन ही मन सोचा कि मौका अच्छा है मैं कुछ ही देर में इन्हें बहला-फुसलाकर अपना बना लूंगा। फिर इन्हें साथ लेकर गांव चला जाऊंगा। यही सोचते हुए वह वापस नीचे उतरा। बारिश में भीगती अपनी दुबली-पतली कमजोर बकरियों को देखकर उसने सोचा कि अब जब मेरे पास इतनी सारी हट्टी-कट्टी भेडें हैं तो मुझे इन बकरियों की क्या ज़रुरत उसने फ़ौरन बकरियों को खोल दिया और बारिश में भीगने की परवाह किये बगैर कुछ रस्सियों की मदद से घास का एक बड़ा गट्ठर तैयार कर लिया. गट्ठर लेकर वह एक बार फिर गुफा में पहुंचा और काफी देर तक उन भेड़ों को अपने हाथ से हरी-हरी घास खिलाता रहा। जब तूफान थम गया, तो वह बाहर निकला। उसने देखा कि उसकी सारी बकरियां उस स्थान से कहीं और जा चुकी थीं। गड़ेरिये को इन बकरियों के जाने का कोई अफ़सोस नहीं था, बल्कि वह खुश था कि आज उसे मुफ्त में एक साथ इतनी अच्छी भेडें मिल गयी हैं।  यही सोचते-सोचते वह वापस गुफा की ओर मुड़ा लेकिन ये क्या… बारिश थमते ही भेडें वहां से निकल कर दूसरी तरफ जान लगीं।  वह तेजी से दौड़कर उनके पास पहुंचा और उन्हें अपने साथ ले जाने की कोशिश करने लगा। पर भेडें बहुत थीं, वह अकेला उन्हें नियंत्रित नहीं कर सकता था… कुछ ही देर में सारी भेडें उसकी आँखों से ओझल हो गयीं। यह सब देख गड़रिये को गुस्सा आ गया। उसने चिल्लाकर बोला– तुम्हारे लिए मैंने अपनी बकरियों को बारिश में बाहर छोड़ दिया। इतनी मेहनत से घास काट कर खिलाई और तुम सब मुझे छोड़ कर चली गयी… सचमुच कितनी स्वार्थी हो तुम सब। गड़रिया बदहवास होकर वहीं बैठ गया। गुस्सा शांत होने पर उसे समझ आ गया कि दरअसल स्वार्थी वो भेडें नहीं बल्कि वो खुद है, जिसने भेड़ों की लालच में आकर अपनी बकरियां भी खो दीं। शिक्षा:- जो व्यक्ति स्वार्थ और लोभ में फंसकर अपनों का साथ छोड़ता है, उसका कोई अपना नहीं बनता और अंत में उसे पछताना ही पड़ता है। ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story आखिरी काम एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम के लिए काफी जाना जाता था , उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक प्रसिद्द थे . पर अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा कि बाकी की ज़िन्दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले दिन सुबह-सुबह अपने मालिक के पास पहुंचा और बोला , ” ठेकेदार साहब , मैंने बरसों आपकी सेवा की है पर अब मैं बाकी का समय आराम से पूजा-पाठ में बिताना चाहता हूँ , कृपया मुझे काम छोड़ने की अनुमति दें . “ ठेकेदार कारपेंटर को बहुत मानता था , इसलिए उसे ये सुनकर थोडा दुःख हुआ पर वो कारपेंटर को निराश नहीं करना चाहता था , उसने कहा , ” आप यहाँ के सबसे अनुभवी व्यक्ति हैं , आपकी कमी यहाँ कोई नहीं पूरी कर पायेगा लेकिन मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि जाने से पहले एक आखिरी काम करते जाइये .” “जी , क्या काम करना है ?” , कारपेंटर ने पूछा . “मैं चाहता हूँ कि आप जाते -जाते हमारे लिए एक और लकड़ी का घर तैयार कर दीजिये .” , ठेकेदार घर बनाने के लिए ज़रूरी पैसे देते हुए बोला . कारपेंटर इस काम के लिए तैयार हो गया . उसने अगले दिन से ही घर बनाना शुरू कर दिया , पर ये जान कर कि ये उसका आखिरी काम है और इसके बाद उसे और कुछ नहीं करना होगा वो थोड़ा ढीला पड़ गया . पहले जहाँ वह बड़ी सावधानी से लकड़ियाँ चुनता और काटता था अब बस काम चालाऊ तरीके से ये सब करने लगा . कुछ एक हफ्तों में घर तैयार हो गया और वो ठेकेदार के पास पहुंचा , ” ठेकेदार साहब , मैंने घर तैयार कर लिया है , अब तो मैं काम छोड़ कर जा सकता हूँ ?” ठेकेदार बोला ” हाँ , आप बिलकुल जा सकते हैं लेकिन अब आपको अपने पुराने छोटे से घर में जाने की ज़रुरत नहीं है , क्योंकि इस बार जो घर आपने बनाया है वो आपकी बरसों की मेहनत का इनाम है; जाइये अपने परिवार के साथ उसमे खुशहाली से रहिये। कारपेंटर यह सुनकर स्तब्ध रह गया , वह मन ही मन सोचने लगा , “कहाँ मैंने दूसरों के लिए एक से बढ़ कर एक घर बनाये और अपने घर को ही इतने घटिया तरीके से बना बैठा …क़ाश मैंने ये घर भी बाकी घरों की तरह ही बनाया होता। शिक्षा :- कब आपका कौन सा काम किस तरह आपको प्रभावित करना कर सकता है ये बताना मुश्किल है. ये भी समझने की ज़रुरत है कि हमारा काम हमारी पहचान बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है. इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम हर एक काम अपनी क्षमताओं का सबसे अच्छा के साथ करें फिर चाहे वो हमारा आखिरी काम ही क्यों न हो! ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story सबसे अच्छा दोस्त एक बार की बात है, दो दोस्त एक साथ रेगिस्तान से गुजर रहा था। जाते जाते रस्ते में दोनों के बीच एक बात को लेकर बहस हुई। उस बात को लेकर एक दोस्त ने गुस्से में आकर दूसरी दोस्त की गालो पे जोर से थप्पड़ मारा। जो मार खाया उसने बहुत ही गुस्सा किया, उसकी गालों पे चोट लगी थी। उसने बिना कुछ कहें रेत पर लिखा “आज मेरा सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा।” फिर दोनों दोस्तों ने रेगिस्तान में चलना शुरु किया। तब तक चलते रहे जब तक दोनों को रेगिस्तान में पानी नहीं मिला। कुछ दूर चलने के बाद दोनों को एक नदी दिखी, फिर दोनों ने नहाने का फैसला किया। दोनों दोस्त जाकर पानी में नहाने लगे। थोड़ी देर बाद जिसने थप्पड़ खाया वह पानी में फँस गया और डूबने लगा तब दुसरे दोस्त ने उसे बचा लिया। उसने नदी से बाहर आकर एक पत्थर पर लिखा, “आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।” जिस दोस्त ने थप्पड़ मारा था उसने दूसरे दोस्त को पुछा, “मैंने तुम्हें चोट पहुंचाया तो बाद में तुमने रेत पे लिखा। और जब मैं तुम्हें पानी में डूबते हुए बचाया तो तुमने क्यों एक पत्थर पर लिखा?” दूसरे दोस्त ने जवाब दिया, “जब तुम हमें चोट पहुंचाए तब मैंने रेत पर लिखा था क्यूंकि अगर जोर से हवा आई तो लिखा मिट जायेगा। जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करे तो तब हम पत्थर पर लिखे क्यूंकि पत्थर में लिखे को कोई भी हवा मिटा नहीं सकती।” उसके बाद दोनों दोस्त बात करते करते अपने घर चले गए। शिक्षा:- अपनी जीवन में जो कुछ नहीं है उसके बारे में मत सोचो, जितना कुछ है उसी को लेकर खुश रहो..!! ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story धैर्य एक बार एक व्यक्ति अकेला उदास बैठा कुछ सोच रहा था कि उसके पास भगवान आये. भगवन को अपने समक्ष देख उस व्यक्ति ने पुछा मुझे ज़िन्दगी में बहुत असफलताएं मिलीं, अब मैं निराश हो चूका हूँ. हे भगवन, मुझे बताओ कि मेरे इस जीवन की क्या कीमत है? भगवान ने उस व्यक्ति को एक लाल रंग का चमकदार पत्थर दिया और कहा “जाओ इस पत्थर की कीमत का पता लगा लो, तुम्हें अपनी ज़िन्दगी की कीमत का भी पता चल जाएगा. लेकिन ध्यान रहे कि इस पत्थर को बेचना नहीं है.” वो व्यक्ति उस लाल चमकदार पत्थर को लेकर सबसे पहले एक फल वाले के पास गया और कहा “भाई.. ये पत्थर कितने का खरीदोगे?” फल वाले ने पत्थर को ध्यान से देखा और कहा “मुझसे 10 संतरे ले जाओ और ये पत्थर मुझे दे दो.” उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं मैं ये पत्थर बेच नहीं सकता. फिर वो आदमी एक सब्ज़ी वाले के पास गया और उसे कहा “भाई… ये लाल पत्थर कितने का खरीदोगे?” सब्ज़ी वाले ने कहा कि मुझसे एक बोरी आलू ले जाओ और ये पत्थर मुझे बेच दो. लेकिन भगवान् के कहे अनुसार उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं मैं ये बेच नहीं सकता. फिर वो व्यक्ति उस पत्थर को लेकर एक सुनार की दूकान में गया जहाँ कई तरह-तरह के आभूषण पड़े हुए थे. उस व्यक्ति ने सुनार को वो पत्थर दिखाया और उस सुनार ने बड़े गौर से उस पत्थर को देखा और फिर कहा “मैं तुम्हें 1 करोड़ रुपये दूंगा, ये पत्थर मुझे बेच दो.” फिर उस व्यक्ति ने सुनार से माफ़ी मांगी और कहा कि ये पत्थर मैं बेच नहीं सकता। सुनार ने फिर कहा “अच्छा चलो ठीक है, मैं तुम्हें 2 करोड़ दूंगा, ये पत्थर मुझे बेच दो.” सुनार की बात सुनकर वो व्यक्ति चौंक गया. लेकिन सुनार को मना कर वो आगे बढ़ गया और एक हीरे बेचने वाले की दूकान में गया. हीरे के व्यापारी ने उस लाल चमकदार पत्थर को पूरे 10 मिनट तक देखा और फिर एक मलमल का कपडा लिया और उस पत्थर को उस पर रख दिया. फिर उस व्यापारी ने अपना सर उस पत्थर पर लगा कर माथा टेका और कहा “तुम्हें ये कहाँ मिला, ये इस दुनिया में सबसे अनमोल रत्न है. अगर इस दुनिया की पूरी दौलत भी लगा दी जाए तो इस पत्थर को नहीं खरीद सकता.” ये सुन वो व्यक्ति बहुत हैरान हुआ और सीधा भगवान के पास गया और उन्हें आप बीती बताई और फिर उसने भगवान से पुछा “हे भगवन अब मुझे बताईये कि मेरे इस जीवन की क्या कीमत है?” भगवान ने कहा “फल वाले ने, सब्ज़ी वाले ने, सुनार ने और हीरे के व्यापारी ने तुम्हें जीवन की कीमत बता दी थी. हे मनुष्य, किसी के लिए तुम एक पत्थर के टुकड़े सामान हो और किसी के लिए बहुमूल्य रत्न समान। हर किसी ने अपनी जानकारी के अनुसार तुम्हें उस पत्थर की कीमत बताई, लेकिन उस हीरे के व्यापारी ने इस पत्थर को पहचान लिया. ठीक उसी तरह कुछ लोग तुम्हारी कीमत नहीं पहचानते इसलिए ज़िन्दगी में कभी निराश मत हो. शिक्षा:- इस दुनिया में हर मनुष्य के पास कोई ना कोई ऐसा हुनर होता है जो सही वक़्त पर निखर कर आता है लेकिन उसके लिए परिश्रम और धैर्य की ज़रूरत है..!! ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘ #motvational_story सबसे बड़ी समस्या बहुत समय पहले की बात है एक महा ज्ञानी पंडित हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहते थे। लोगों के बीच रह कर वह थक चुके थे और अब ईश्वर भक्ति करते हुए एक सादा जीवन व्यतीत करना चाहते थे। लेकिन उनकी प्रसिद्धि इतनी थी कि लोग दुर्गम  पहाड़ियों, संकरे रास्तों, नदी-झरनों को पार करके भी उससे मिलना चाहते थे, उनका मानना था कि यह विद्वान उनकी हर समस्या का समाधान कर सकता है। इस बार भी कुछ लोग ढूंढते हुए उसकी कुटिया तक आ पहुंचे। पंडित जी ने उन्हें इंतज़ार करने के लिए कहा। तीन दिन बीत गए, अब और भी कई लोग वहां पहुँच गए, जब लोगों के लिए जगह कम पड़ने लगी तब पंडित जी बोले, “आज मैं आप सभी के प्रश्नो का उत्तर दूंगा, पर आपको वचन देना होगा कि यहाँ से जाने के बाद आप किसी और से इस स्थान के बारे में  नहीं बताएँगे, ताकि आज के बाद मैं एकांत में रह कर अपनी साधना कर सकूँ... चलिए अपनी-अपनी समस्याएं बताइये।” यह सुनते ही किसी ने अपनी परेशानी बतानी शुरू की, लेकिन वह अभी कुछ शब्द ही बोल पाया था कि बीच में किसी और ने अपनी बात कहनी शुरू कर दी। सभी जानते थे कि आज के बाद उन्हें कभी पंडित जी से बात करने का मौका नहीं मिलेगा; इसलिए वे सब जल्दी से जल्दी अपनी बात रखना चाहते थे। कुछ ही देर में वहां का दृश्य मछली-बाज़ार जैसा हो गया और अंततः पंडित जी को चीख कर बोलना पड़ा, “कृपया शांत हो जाइये! अपनी-अपनी समस्या एक पर्चे पे लिखकर मुझे दीजिये।” सभी ने अपनी-अपनी समस्याएं लिखकर आगे बढ़ा दी। पंडित जी ने सारे पर्चे लिए और उन्हें एक टोकरी में डाल कर मिला दिया और बोले, “इस टोकरी को एक-दूसरे को पास कीजिये। हर व्यक्ति एक पर्ची उठाएगा और उसे पढ़ेगा। उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि क्या वो अपनी समस्या को इस समस्या से बदलना चाहता है ?” हर व्यक्ति एक पर्चा उठाता, उसे पढता और सहम सा जाता। एक -एक कर के सभी ने पर्चियां देख ली पर कोई भी अपनी समस्या के बदले किसी और की समस्या लेने को तैयार नहीं हुआ; सबका यही सोचना था कि उनकी अपनी समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो बाकी लोगों की समस्या जितनी गंभीर नहीं है। दो घंटे बाद सभी अपनी-अपनी पर्ची हाथ में लिए लौटने लगे, वे खुश थे कि उनकी समस्या उतनी बड़ी भी नहीं है जितना कि वे सोचते थे। शिक्षा:- मित्रों, ऐसा कौन होगा जिसकी जिंदगी में एक भी समस्या न हो ? हम सभी के जीवन में समस्याएं हैं, हमें लगता है कि सबसे बड़ी समस्या हमारी ही है पर यकीन जानिए इस दुनिया में लोगों के पास इतनी बड़ी-बड़ी समस्यायें हैं कि हमारी तो उनके सामने कुछ भी नहीं… इसलिए ईश्वर ने जो भी दिया है उसके लिए उसके आभारी रहिये और एक खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करिये। ☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘☘
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