cookie

Мы используем файлы cookie для улучшения сервиса. Нажав кнопку «Принять все», вы соглашаетесь с использованием cookies.

avatar

Shri Shiv Daily Spiritual Broadcast

Рекламные посты
1 986
Подписчики
Нет данных24 часа
+37 дней
+3530 дней

Загрузка данных...

Прирост подписчиков

Загрузка данных...

Показать все...
दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलें ! बस यह प्रयोग करें #santshriasharamjibapu #santshriasharamjiashram

15.23 MB
11.24 MB
8.04 MB
6.93 MB
15.89 MB
12.42 MB
8.88 KB
6.88 MB
Показать все...
Log in or sign up to view

See posts, photos and more on Facebook.

भगवान जगन्नाथ के रथो का संक्षिप्त वर्णन ========================== भगवान जगन्नाथ जी का रथ ----‌--------------------------------- १. रथ का नाम ~ नंदीघोष २. कुल काष्ठ की संख्या ~ 832 ३. कुल चक्के ~ 16 ४.रथ की ऊंचाई ~ 45 फीट ५. रथ की लम्बाई चौड़ाई ~ 34 फीट 6 इंच ६.सारथि ~ दारुक ७. रथ का रक्षक ~ गरुड़ ८.रस्से का नाम ~ शंखचूड नागुनी ९. पताका का रंग ~ त्रै लोक्य मोहिनी १०. रथ के घोड़ों का नाम ~ वराह, गोवर्धन, कृष्णा, गोपीकृष्ण, न्रसिंह, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान,रूद्र। बलदेव जी का रथ ----------------------- १.रथ का नाम ~ ताल ध्वज २.कुलकाष्ठ संख्या ~ 763 ३.कुल चक्के ~ 14 ४. रथ की ऊंचाई ~ 44 फीट ५. रथ की लम्बाई चौड़ाई ~ 33 फीट ६. सारथि ~ मातली ७.रथ के रक्षक ~ वासुदेव ८. रस्से का नाम ~ बासुकी नाग ९.पताका का रंग ~ उन्नानी १०.रथ के घोड़ों के नाम~ तीव्र ,घोर, दीर्घाश्रम, स्वर्ण नाभ। सुभद्रा जी का रथ ----------------------- १. रथ का नाम ~ देव दलन २. कुल काष्ठ ~ 593 ३. कुल चक्के ~ 16 ४.रथ की ऊंचाई ~ 45 फीट ५. रथ की लम्बाई चौड़ाई ~ 31 फीट 6 इंच। ६. सारथि ~ अर्जुन ७. रथ के रक्षक ~ जय दुर्गा ८. रस्से का नाम ~ स्वर्ण चूड नागुनी ९. पताका का रंग ~ नन्द अम्बिका १०. रथ के घोड़ों के नाम ~ रुचिका, मोचिका, जीत, अपराजिता ।।
Показать все...
Показать все...
LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

Discover the vibrant and spiritual celebration of the Car Festival, also known as Rath Yatra, held in Puri, Odisha. Join us as we explore the grand procession of Lord Jagannath, Lord Balabhadra, and Goddess Subhadra as they journey from the Jagannath Temple to the Gundicha Temple in majestic chariots. Do like, share and subscribe. #RathYatra #Puri #LordJagannath #Festival Follow us on Twitter:

https://twitter.com/DDNational

Like us on Facebook:

https://www.facebook.com/DoordarshanNational

Follow us on Instagram:

https://www.instagram.com/ddnational

Follow us on Koo:

https://www.kooapp.com/profile/DDNational

DD National blends a healthy mix of entertainment, information and education. All major National events like Republic Day Parade, Independence Day Celebrations, National Award Presentation ceremonies, President and Prime Minister’s addresses to the Nation, President’s address to the joint session of Parliament, important Parliamentary debates, Budget presentations, involving India and other important sporting encounters are also telecast live.

Фото недоступноПоказать в Telegram
रथ की रस्सी थामे सब के हाथ लेकिन सबकी रस्सी थामे जय प्रभु जगन्नाथ जय जय जगन्नाथ,, अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः दात यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ।। जिनका इस दुनिया में कोई नही जगन्नाथ भगवान उनके स्वामी है, इसमें कोई शंका नहीं और जिनके स्वामी जगन्नाथ हैं, उनको जीवन में क्या दुःख हो सकता है 🚩
Показать все...
#संध्या_विधि ================================= पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के आसन पर बैठ कर मार्जन के विनियोग का जल यह मन्त्र पढ़कर छोड़े - ॐ अपवित्रः पवित्रो वेत्यस्य वामदेव ऋषिः, विष्णुर्देवता, गायत्रीच्छन्दः, हृदि पवित्रकरणे विनियोगः। मार्जन का मन्त्र पढ़कर अपने शरीर एवं सामग्री पर जल छिड़के - पवित्रीकरन (मार्जन) : ॐ अपवित्रः पवित्रोऽवा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याऽभ्यन्तरः शुचि: । पुण्डरीकाक्षः पुनातु । ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥ आचमन : ॐ केशवाय नमः । ॐ माधवाय नमः । ॐ नारायणाय नमः । हस्तप्रक्षालन (जल से हाथ धो लें) : ॐ ह्रृषीकेशाय नमः ॥ आसन पवित्र करने के मंत्र का विनियोग पढ़कर जल गिराए :- ॐ पृथ्वीति मन्त्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः, सुतलं छन्दः, कूर्मो देवता, आसन पवित्रकरणे विनियोगः। अब आसन पर जल छिड़क कर दायें हाथ से उसका स्पर्श करते हुए आसन पवित्र करने का मंत्र पढ़े – ॐ पृथिवी त्वया धृता लोका देवी त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवी पवित्रं कुरु चासनम् ॥ शिखा बन्धन : ॐ चिद्रुपिणी महामाये दिव्य तेजः समन्विते । तिष्ठ देवी शिखा मध्ये तेजो वृधिं कुरुष्व मे॥ मंत्र से शिखा बाँध ले, यदि शिखा पहले से बँधी हो तो उसका स्पर्श कर ले। फिर ईशान दिशा की ओर मुख करके आचमन कर लें । नीचे लिखा विनियोग पढ़कर पृथ्वी पर जल छोड़े – ऋत्तं चेत्ति माधुच्छन्दसोऽघर्मर्षण ऋषिरनुष्टुप्च्छन्दो भाववृत्तं दैवतमपामुपस्पर्शने विनियोगः । नीचे लिखा मंत्र पढ़कर आचमन करे – ॐ ऋतं च सत्यं चाभीद्धात्तपसोऽध्यजायत ततो रात्र्यजायत । ततः समुद्रो अर्णवः । समुद्रादर्णवादधि संवत्सरोऽअजायत अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्यमिषतोवशी । सूर्याचन्द्रमसैाधाता यथा पूर्वमकल्पयत । दिवं च पृथिवींचांतरिक्षोमथो स्वः॥ तीन बार गायत्री मन्त्र से जल को अभिमंत्रित कर अपने चारों ओर छिड़क ले : मन्त्र : ॐ आपोमामभिरक्षन्तु। नीचे लिखा विनियोग पढ़कर पृथ्वी पर जल छोड़े – ॐ कारस्य ब्रह्मा ऋषिर्दैवी गायत्री छन्दः परमात्मा देवता , सप्त व्याहृतीनां प्रजापतिर्ऋषिः गायत्र्युष्णिगनुष्टुब्बृहतिपंक्ति त्रिष्टुब्जगत्यश्छन्दांसि अग्निवाय्वादित्य बृहस्पति वरुणेन्द्र विष्णवो देवता तत्सवितुरिति विश्वामित्र ऋषिर्गायत्री छन्दः सविता देवता, आपो ज्योतिरिति शिरसः प्रजापतिः ऋषिर्यजुश्छन्दो ब्रह्माग्निवायुसूर्या देवताः प्राणायामे विनियोगः ।। अब नीचे लिखे मंत्र से तीन बार प्राणायाम करे। पूरक में नीलवर्ण विष्णु का ध्यान (नाभी देश में) करे। कुम्भक में रक्तवर्ण ब्रह्मा का (हृदय में) ध्यान करे। रेचक में श्वेतवर्ण शंकर का (ललाट में) ध्यान करे। प्रत्येक भगवान् के लिए तीन-तीन (कुल 9) या एक-एक (कुल 3) बार प्राणायाम मंत्र पढ़े। प्राणायाम मन्त्र : ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यं ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।। ॐ आपो ज्योति रसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वरों।। नीचे लिखा विनियोग पढ़कर पृथ्वी पर जल छोड़े – सूर्यश्च मेति नारायण ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः सूर्यो देवता अपामुपस्पर्शने विनियोगः।। आचमन : ॐ सूर्यश्च मा मन्युश्च मन्युपतयश्च मन्युकृतेभ्यः पापेभ्यो रक्षन्ताम्। यद्रात्र्या पापमकार्षं मनसा वाचा हस्ताभ्यां पद्भ्यामुदरेण शिश्ना रात्रिस्तदवलुम्पतु। यत्किञ्चदुरितम् मयि इदमहमापोऽमृतयोनौ सूर्ये ज्योतिषि जुहोमि स्वाहा।। नीचे लिखा विनियोग पढ़कर पृथ्वी पर जल छोड़े – आपो हिष्ठेत्यादि त्र्यृचस्य सिन्धुद्वीप ऋषिर्गायत्री छन्द आपोदेवता मार्जने विनियोगः।। अब नीचे लिखे ९ मंत्रों से मार्जन करे। ७ पदों से सिर पर जल छोड़े, ८वें से भूमि पर और ९वें पद से फिर सिर पर तीन कुशों अथवा तीन अंगुलियों से मार्जन करे – १. ॐ आपो हि ष्ठा मयो भुवः। २. ॐ ता न ऊर्जे दधातन। ३. ॐ महे रणाय चक्षसे। ४. ॐ यो वः शिवतमो रसः। ५. ॐ तस्य भाजयतेह नः। ६. ॐ उशतीरिव मातरः। ७. ॐ तस्मा अरं गमाम वः। ८. ॐ यस्य क्षयाय जिन्वथ। (भूमि पर) ९. ॐ आपो जनयथा च नः॥ नीचे लिखा विनियोग पढ़कर पृथ्वी पर जल छोड़े – द्रुपदादिवेत्यस्य कोकिलो राजपुत्र ऋषिः अनुष्टुप् छन्द आपो देवता सौत्रामण्यवभृथे विनियोगः॥ अब बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से उसे ढक कर, नीचे लिखे मन्त्र को तीन बार पढ़े, फिर उस जल को सिर पर छिड़क ले – ॐ द्रुपदादिव मुमुचानः स्विन्नः स्नातो मलदिव। पूतं पवित्रेणेवाज्यमापः शुन्धन्तु मैनसः॥ नीचे लिखा विनियोग पढ़कर पृथ्वी पर जल छोड़े – ऋतञ्चेति त्र्यृचस्य माधुच्छन्दसोऽघमर्षण ऋषिः अनुष्टुप् छन्दो भाववृत्तं दैवतमघमर्षणे विनियोगः॥
Показать все...
Выберите другой тариф

Ваш текущий тарифный план позволяет посмотреть аналитику только 5 каналов. Чтобы получить больше, выберите другой план.