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इतिहासनामा With इदरीस मंसूरी(NET JRF & Mp first grade Qualified)

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"टोकन मुद्रा" मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा शुरू की गई एक और विवादास्पद परियोजना "टोकन मुद्रा" थी। बरनी के अनुसार, सुल्तान ने टोकन मुद्रा की शुरुआत की क्योंकि सुल्तान की विजय अभियानों के साथ-साथ उसकी असीम उदारता के कारण खज़ाना खाली हो गया था। चौदहवीं शताब्दी में विश्व में चाँदी की कमी हो गई और भारत को संकट का सामना करना पड़ा। इसलिये सुल्तान को चाँदी के स्थान पर तांबे के सिक्के जारी करने के लिये मजबूर होना पड़ा। उसने चाँदी के सिक्के (टंका) के स्थान पर तांबे का सिक्का (जीतल) चलाया और आदेश दिया कि इसे टंका के समतुल्य स्वीकार किया जाएगा। हालाँकि भारत में टोकन मुद्रा का विचार नया था और इसे स्वीकार कर पाना व्यापारियों तथा आम लोगों के लिये कठिन था। राज्य ने टकसालों द्वारा जारी सिक्कों की नकल को रोकने के लिये भी उचित सावधानी नहीं बरती। सरकार लोगों को नए जाली सिक्के बनाने से रोक नहीं सकी और जल्द ही बाज़ारों में नए जाली सिक्के बहुतायत में आ गए। बरनी के अनुसार, लोगों ने अपने घरों में टोकन मुद्रा ढालना शुरू कर दिया था। हालाँकि आम आदमी शाही खज़ाने द्वारा जारी किये गये तांबे के सिक्कों और स्थानीय स्तर पर बने जाली सिक्कों के बीच अंतर करने में विफल हो रहे थे। अंततः सुल्तान को टोकन मुद्रा वापस लेने के लिये विवश होना पड़ा। Drishti IAS
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'भारत गांधी के बाद' किसके द्वारा लिखा गया है:- 'India after gandhi' written by:-Anonymous voting
  • रियासतकर जी.एस. सरदेसाई/Riyasatkar G.S. Sardesai
  • सुरेंद्र नाथ सेन/Surendra Nath Sen
  • सर जदुनाथ सरकार/Sir Jadunath Sarkar
  • रामचन्द्र गुहा/Ramchandra Guha
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⚫️ अजातशत्रु व वज्जि संघ के मध्य शत्रुता के क्या कारण थे ?✍ 🟢 वज्जि संघ पर विजय अजातशत्रु के जीवन काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी, जो बड़े जबरदस्त कूटनीतिक चातुर्य एवं दीर्घकालीन युद्ध के पश्चात् हासिल हुई थी। 👉 मगध एवं वज्जिसंघ के  मध्य संघर्ष के लिए निम्नलिखित कारण जान पड़ते हैं-   1. अजातशत्रु की साम्राज्यवादी महत्वकांक्षा तथा गंगा के दोनों तटों पर अधिकार करने की उसकी प्रबल इच्छा। बिम्बिसार ने अंग को मगध में मिलाकर, चंपा के महत्वपूर्ण बंदरगाह पर अधिकार कर लिया। डॉ.ए.एल. बाशम के अनुसार,"अजातशत्रु ने अपना ध्यान अपने उत्तर में स्थित वज्जि संघ की ओर केंद्रित किया, क्योंकि इस क्षेत्र की विजय से गंगा के दोनों तटों पर उसका अधिकार हो जाता।" 2. 'महापरिनिब्बान सुत्त' एवं 'सुमंगलविलासिनी' से ज्ञात होता है कि गंगा के तट पर अवस्थित एक बंदरगाह आधा अजातशत्रु के अधिकार में था और आधा लिच्छवियों के। इसके निकट अवस्थित एक पर्वत पर रत्नों की एक खान मिली। इस खान में मिलने वाली वस्तुओं को लिच्छवि गणराज एवं मगध राज्य के मध्य समानुपातिक रूप से विभाजित करने का निर्णय लिया गया। लेकिन लोभी लिच्छवि इस संधि की अवज्ञा करते हुए, खान से मिलने वाले सभी रत्न अपने साथ ले गये। इससे अजातशत्रु बहुत कुपित हुआ। उसने क्रुद्ध होकर कहा--"मैं वज्जियों का उन्मूलन कर दूंगा, चाहे वे कितने ही बली एवं ताकतवर क्यों न हो। मैं इन वज्जियों को उजाड़ दूंगा,मैं इन्हें नेस्तनाबूद करके रहूंगा।" 3. जैन ग्रंथ 'निरयावली सूत्र' के अनुसार, बिंबिसार ने अपनी लिच्छवि पत्नी से उत्पन्न पुत्रों---हल्ल और बेहल्ल--- को अपना प्रसिद्ध हाथी 'सेयणग' (या 'सेचनक' अर्थात् अभिषेक करने वाला) तथा 8 लड़ियों का हीरे का एक हार उपहार में दिया था। अजातशत्रु के राजा बनने के बाद, उसकी पत्नी पऊमावई (पद्मावती) ने सेयणग हाथी एवं उक्त हीरों के हार को स्वयं प्राप्त करने की अभिलाषा व्यक्त की। अजातशत्रु ने अपने छोटे भाइयों, हल्ल एवं बेहल्ल से, सेयणग एवं हीरे के हार को वापस देने के लिए कहा। लेकिन ये दोनों अजातशत्रु की अवज्ञा करते हुए अपने नाना, लिच्छवियों के प्रधान 'राजा' चेटक के पास भाग गये। अजातशत्रु ने चेटक से अपने दोनों भाइयों को, हाथी एवं हार सहित वापस भेजने का अनुरोध किया। चेटक द्वारा अजातशत्रु की इस माँग को अस्वीकार कर देने पर अजातशत्रु ने वैशाली पर आक्रमण कर दिया। (न ददासि तदा युद्घ सज्जो भवामीति)                                           
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गलत युग्म का चयन करे ? 🔴इदरीस मंसूरीAnonymous voting
  • कबीर - जुलाहा
  • रैदास - मोची
  • सेना - नाई
  • धन्ना - व्यापारी
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चोल-स्थानीय स्वशासन- (स्थानीय स्वशासन का स्वर्णकाल) :- बर्टन स्टाइन ने पूर्व मध्यकालीन दक्षिण भारत (मुख्यतः चोल) के समाज को 'कृषक समाज' के रूप में वर्णित किया है। चोलों की सबसे महत्वपूर्ण देन स्थानीय स्वशासन है। चोल प्रशासनिक प्रणाली में सुधार के लिए परान्तक प्रथम के काल में दो बार 'उत्तरमेरूर' की सभाएँ हुई। स्थानीय स्वशासन के स्वरूप, कार्यों, क्रियाप्रणाली तथा उसके संगठन की सर्वप्रथम जानकारी- परान्तक प्रथम के 'उत्तरमेरूर' से प्राप्त दो अभिलेखों (919 ई. तथा 921ई.) से होती है। उक्त अभिलेख उत्तरमेरूर के 'बैकुंठपेरुमल मन्दिर' में उत्कीर्ण है। वास्तव में ग्रामसभा का उद्भव प्राचीन काल के संगम साहित्य से ही दिखाई देता है। वहाँ नगरम, मणिग्रामम, वलजियर, मनरम (गाँव के लोगों के इकट्ठा होने का स्थान, प्राय: एक बड़ा बरगद का वृक्ष) तथा पोडियल का उल्लेख मिलता है। चोल अभिलेखों में 3 प्रकार की स्थानीय संस्थाओं का उल्लेख मिलता है - नगरम, उर तथा सभा । https://t.me/+bqS2kyNkG6I4ZWVl
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UGC NET. इतिहास

इतिहास की महत्त्वपूर्ण पुस्तकें (UGC NET/ PGT/TGT) 💐प्राचीन भारत–के सी श्रीवास्तव, पप्पू सिंह प्रजापत, सौरभ चौबे। 💐मध्यकालीन भारत–सौरभ चौबे, पप्पू सिंह प्रजापत। 💐आधुनिक भारत–परिक्षावाणी, अरविंद भास्कर। Join 👇

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—हिंदू काल की तीन दिल्ली । — सल्तनत काल व मुगल काल की बारह दिल्ली — ब्रिटिश काल की दो दिल्ली
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किस वायसराय ने 1856 में उच्च अक्षांश से पत्र ( Letter from High Lattitudes) नामक पुस्तक लिखिएAnonymous voting
  • लॉर्ड कैनिंग
  • लॉर्ड डलहौजी
  • लॉर्ड डफरिन
  • लॉर्ड रिपन
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भारत मे समाचार पत्र का प्रथम प्रयास किसने किया जो असफल रहा।Anonymous voting
  • जेम्स अगस्टस हिक्की
  • विलयम वोनड्स
  • ईश्वर चंद विद्या सागर
  • इनमें से कोई नही
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जेम्स अगस्टस हिक्की के द्वारा""' बंगाल गजट""""साप्ताहिक पत्रिका की शरुआत कब की।Anonymous voting
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जेम्स A हिक्की के समाचार पत्र बंगाल गजट पर अंग्रेजो ने प्रतिबंध लगा।Anonymous voting
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