IAS Ganga Singh ™
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चीन में बहने वाली 6300 किमी लंबी यांगत्से नदी एशिया की सबसे लंबी और विश्व की तीसरी सबसे लंबी नदी है। इन दिनों यह नदी सूखे की चपेट में है। पिछले वर्ष की तुलना में इसका जलस्तर 20 फीट कम हो गया है।
इससे चीन के दक्षिण पश्चिमी इलाकों में जलसंकट खड़ा हो गया है। बारिश की कमी से चीन की अन्य छोटी-बड़ी 51 नदियां और 24 जलाशय भी सूख गए हैं। इससे लाखों लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
लेकिन बात केवल इतनी नहीं है।
नदियों का जलस्तर गिरने से बिजली उत्पादन भी घट गया है, जबकि बारिश न होने से गर्मी बढ़ रही है तो बिजली की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। फलस्वरूप सरकार को कई जगह बिजली कटौती करनी पड़ रही है।
ऐसे समय में जब लोग भारी गर्मी से जूझ रहे हैं, तब सरकार ने आदेश जारी किया है कि एसी का उपयोग न करें। कार्यालयों में एसी बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। यहां तक कि बिजली बचाने के लिए कई जगह रेलगाड़ियों की हेड लाइट तक बंद रखी जा रही है।
लेकिन इन सारे प्रयासों के बावजूद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस कारण अब सरकार ने उस प्रांत में फैक्ट्रियों को बंद करने या कई बड़ी फैक्ट्रियों का उत्पादन घटाने का आदेश जारी किया है। टेस्ला और टोयोटा जैसी बड़ी कंपनियों को अब अपना उत्पादन कम करना पड़ेगा, ताकि मशीनें कम चलें और बिजली की कम खपत हो।
लेकिन उसका दूसरा मतलब यह भी है कि इन फैक्ट्रियों का उत्पादन घटेगा, तो मजदूरों और कर्मचारियों की संख्या भी घटानी पड़ेगी। इससे बड़ी संख्या में लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है।
पानी की कमी से कृषि भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कई जगह धान की फसलें संकट में हैं। सरकार को आशंका है कि इस बार चीन में चावल की पैदावार बहुत कम रहेगी। चाय की खेती करने वाले भी पानी की कमी से परेशान हैं। यहां तक कि मुर्गीपालक भी चिंता में हैं क्योंकि भीषण गर्मी के कारण मुर्गियों ने अंडे देना कम कर दिया है।
एक ओर यह इलाका भीषण गर्मी, सूखे और बिजली की कमी से पीड़ित है, तो दूसरे ओर चीन के कुछ अन्य हिस्से भारी बाढ़ से त्रस्त हैं। कोविड लॉक डाउन अभी भी कई क्षेत्रों में बहुत कड़ाई से जारी है। इससे अर्थव्यवस्था भी पस्त है।
ताइवान के बहाने अमरीका के साथ चल रही खींचतान के अलावा चीन को ऐसी गंभीर समस्याओं से भी निपटना है। इसमें कितना समय लगेगा, यह तो चीनी सरकार को ही सोचना होगा!
स्तोत्र - #SumantBlog
(स्त्रोत: स्वराज्य और कुछ अन्य पत्रिकाएं व अखबार)