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🎲 Quiz '🌐 𝐋𝐔𝐂𝐄𝐍𝐓: 𝐒𝐂𝐈𝐄𝐍𝐂𝐄 [ पहला दिन ] Join 👉 @Lucentquizs 💫' 🖊 100 questions  ·  ⏱ 30 sec Time ⭕ 9am सभी लोग जरूर आयेगा अब प्रतिदिन क्विज होगी यहां 🌹 @Science_Quiz_Ncert_In_Hindi Is group me hogi🙏👍
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UPSSSC PET Exam Syllabus 2022
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💥 भारत द्वारा चलाए गए निकासी अभियान: ✍ऑपरेशन गंगा (2022): यह वर्तमान में यूक्रेन में फँसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये एक निकासी मिशन हैं। हाल ही में रूसी सेना द्वारा हमलों की एक शृंखला शुरू करने के बाद तथा यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के साथ ही वर्तमान में रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया है। ✍ वंदे भारत (2020): कोरोनावायरस के कारण वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध होने से विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने हेतु ‘वंदे भारत मिशन’ चलाया गया है। इस मिशन के तहत कई चरणों में 30 अप्रैल, 2021 तक लगभग 60 लाख भारतीयों को वापस लाया गया। ✍ ऑपरेशन समुद्र सेतु (2020): यह कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों को विदेशों से घर वापस लाने के राष्ट्रीय प्रयास के हिस्से के रूप में एक नौसैनिक अभियान था। इसके तहत 3,992 भारतीय नागरिकों को समुद्र के रास्ते उनकी मातृभूमि में सफलतापूर्वक वापस लाया गया। भारतीय नौसेना के जहाज़ जलाश्व (लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक), ऐरावत, शार्दुल तथा मगर (लैंडिंग शिप टैंक) ने इस ऑपरेशन में भाग लिया, जो 55 दिनों तक चला और इसमें समुद्र द्वारा 23,000 किमी. से अधिक की यात्रा शामिल थी। ✍ ब्रसेल्स से निकासी (2016): मार्च 2016 में बेल्जियम ज़ेवेंटेम में ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर तथा मध्य ब्रुसेल्स में मालबीक मेट्रो स्टेशन पर एक आतंकवादी हमले की चपेट में आ गया था। इसके तहत जेट एयरवेज की फ्लाइट से 28 क्रू मेंबर्स समेत कुल 242 भारतीयों को भारत लाया गया। ✍ ऑपरेशन राहत (2015): वर्ष 2015 के यमन संकट के दौरान भारतीय सशस्त्र बल द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन राहत  के अंतर्गत यमन से 41 देशों के 960 विदेशी नागरिकों के साथ 4640 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकाला गया था। यह अभियान वायु मार्ग और समुद्र मार्ग दोनों से संचालित किया गया था। ✍ ऑपरेशन मैत्री (2015): वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप में बचाव और राहत अभियान के रूप में ऑपरेशन मैत्री का संचालन भारत सरकार और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया गया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने लगभग 5,188 लोगों को निकाला था, जबकि लगभग 785 विदेशी पर्यटकों को पारगमन वीज़ा प्रदान किया गया था। ✍ ऑपरेशन सुरक्षित घर वापसी (2011): इसे भारत सरकार ने 26 फरवरी, 2011 को लीबियाई गृहयुद्ध में फँसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिये शुरू किया था। इस ऑपरेशन में लगभग 15,000 नागरिकों को बचाया गया था।  इसमें भारतीय नौसेना और एयर इंडिया द्वारा वायु मार्ग और समुद्र मार्ग दोनों का उपयोग किया गया था। ✍ ऑपरेशन सुकून (2006): जुलाई 2006 में जैसे ही इज़रायल और लेबनान में सैन्य संघर्ष में शुरू हुआ, भारत ने ऑपरेशन सुकून शुरू करके अपने वहाँ फँसे हुए नागरिकों को बचाया, जिसे अब 'बेरूत सीलिफ्ट' के नाम से जाना जाता है। यह 'डनकर्क' निकासी के बाद से सबसे बड़ा नौसैनिक बचाव अभियान था। टास्क फोर्स ने 19 जुलाई और 1 अगस्त, 2006 के बीच कुछ नेपाली और श्रीलंकाई नागरिकों सहित लगभग 2,280 लोगों को निकाला था। ✍ कुवैत एयरलिफ्ट (1990): वर्ष 1990 में जब 700 टैंकों से लैस 1,00,000 इराकी सैनिकों ने कुवैत पर हमला किया, तब शाही और अति विशिष्ट व्यक्ति सऊदी अरब भाग गए थे। वहीं आम जनता के जीवन को जोखिम में डाला दिया गया। कुवैत में फँसे लोगों में 1,70,000 से अधिक भारतीय थे। भारत ने निकासी अभियान शुरू किया, जिसमें 1,70,000 से अधिक भारतीयों को एयरलिफ्ट किया गया और भारत वापस लाया गया। ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
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[14/09, 9:16 am] +91 97982 06253: हिंदी की उत्पत्ति कैसे हुई, जब संस्कृत मूल भाषा है तो हिंदी की जरुरत क्यों महसूस हुई ? हिंदी की उत्पत्ति कैसे हुई, जब संस्कृत मूल भाषा है तो हिंदी की जरुरत क्यों महसूस हुई ? नमस्ते! बड़ा अच्छा सवाल है। जवाब ज़रा लंबा होगा और कई चौंकाने वाली चीज़े जानेंगे आप। इसलिए सयम रखिएगा। पहला सत्य ये है कि इंसान के जैसे भाषा का भी जन्म,उत्कर्ष और मृत्यु होती है। जी हां।किसी भी भाषा का जन्म जनमानस के बीच होता है।तब वह साहित्य की भाषा बनती है और उसके व्याकरण की बनावट व विस्तार होते हैं। फिर वह राजदरबार की भाषा बनती है,यहां से भाषा में गिरावट शुरू होती है। व्याकरण में त्रुटि होते होते भाषा खत्म होने लगती है और फिर धीरे धीरे एक नई जन्मी भाषा उसका स्थान ले लेती है। ऐसा ही संस्कृत के साथ हुआ। राजदरबार और साहित्य की भाषा बनकर उसका अवसान हुआ। ऐसा इसलिए होता है कि जनमानस व्याकरण नहीं समझती। उनके बीच तब प्राचीन हिंदी और उसके बाद प्राकृत का चलन हुआ। बौद्ध जैन धर्मो के कारण इनका प्रचार और साहित्य के बाद अवसान शुरू हुआ। तब भारत के अनेकों प्रांत में अनेकोनेक भाषाएं थी। एक जैसी कोई बात नहीं थी तब सिद्ध,नाथ और जैन संप्रदाय के लोग भारत भर में भ्रमण कर के अपने धर्म या पंथ का प्रचार कर रहे थे। इस क्रम में कई भाषाओं के शब्दों का आपस में इस्तेमाल करने से नींव जैसी खड़ी होने लगी। इसके बाद भक्ति आंदोलन के कारण शब्दों का समसामयिक प्रचलन बढ़ा और एक प्राचीन या नागरी हिंदी का चलन शुरू हुआ पर वो आज के हिंदी जैसी नहीं थी।हिंदी का कुछ परिचित स्वरूप अमीर खुसरो की दखनी हिंदी में मिलता है। फिर आज जो हिंदी हमलोग जानते हैं वह आज़ादी के आंदोलन के समय क्रमशः विकसित हुई। इसमें और इसके व्याकरण को आज का रूप देने में महावीर प्रसाद द्विवेदी का सबसे बड़ा हाथ है। आगे हिंदी में तत्सम तद्भव कि भी लड़ाई हुई। मुसलमानो को लगा हिंदी के बहाने संस्कृत थोपा जा रहा है।वो हिंदी के जमाए व्याकरण में अरबी शब्द प्रयुक्त करने लगें। इस तरह हिंदी उर्दू की झूठी लड़ाई बनाई गई जबकि दोनों के वाक्य रचना और व्याकरण एक जैसे ही हैं। धीरे धीरे हिंदी में समय के साथ छोटे बड़े बदलाव हुए। अंत में यह स्वीकार किया गया कि भाषा में कुछ तत्सम,कुछ तद्भव ,कुछ देशज,विदेशज शब्द प्रयुक्त होंगे। भारत सरकार 1965 में सरकारी गजेट में हिंदी में प्रयुक्त होने वाली वर्णमाला प्रकाशित की। इस प्रकार सभी प्रकार के विवाद पर रोक लग गई। हिंदी आज जिस स्वरूप में है वह इसी लंबी यात्रा के बाद है। अगर यह चलायमान रही व आत्मसात कर सकी जैसे अंग्रेज़ी के शब्दों को किया है तो भाषा के रूप में प्रासंगिक रहेगी। अभी आप देख रहे होंगे की कैसे पश्चिमी देशों में अभी के लोग अंग्रेज़ी के व्याकरण को तोड़ मरोड़ रहे हैं। धीरे धीरे यह भी अवसान किनारे होगी और इससे ही किसी नई भाषा का जन्म होगा। तब तक चाइनीज या मंडारिन विश्व की भाषा बन चुकी होगी।फिर यह भी अवसान की ओर जाएगी। फिर इसकी जगह नई भाषा आएगी।यह एक अनवरत प्रक्रिया है। [14/09, 9:19 am] +91 97982 06253: हिन्दी या हिंदी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिंदी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की एक राजभाषा है। केन्द्रीय स्तर पर भारत में सह-आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया है। एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है।
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