cookie

Utilizamos cookies para mejorar tu experiencia de navegación. Al hacer clic en "Aceptar todo", aceptas el uso de cookies.

avatar

हिंदी प्रेरक प्रसंग व कहानियां

Motivational Stories Motivational short stories Motivational stories for students प्रेरक प्रसंग प्रेरक कहानियां हिंदी कहानियां #प्रेरक_प्रसंग #motivational_stories #हिंदी_प्रेरक_प्रसंग #लघु_कथाएं #शिक्षाप्रद_कहानियां #daily_story #story_of_the_day

Mostrar más
Publicaciones publicitarias
930
Suscriptores
Sin datos24 horas
+37 días
+3830 días

Carga de datos en curso...

Tasa de crecimiento de suscriptores

Carga de datos en curso...

♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️ !! अंधा व्यक्ति और लालटेन !! ~~~~ दुनिया में तरह-तरह के लोग होते हैं. कुछ तो ऐसे होते हैं, जो स्वयं की कमजोरियों को तो नज़रंदाज़ कर जाते हैं किंतु दूसरों की कमजोरियों पर उपहास करने सदा तत्पर रहते हैं. वास्तविकता का अनुमान लगाये बिना वे दूसरों की कमजोरियों पर हँसते हैं और अपने तीखे शब्दों के बाणों से उन्हें ठेस पहुँचाते हैं. किंतु जब उन्हें यथार्थ का तमाचा पड़ता है, तो सिवाय ग्लानि के उनके पास कुछ शेष नहीं बचता. आज हम आपको एक अंधे व्यक्ति की कहानी बता रहे हैं, जिसे ऐसे ही लोगों के उपहास का पात्र बनना पड़ा. एक गाँव में एक अंधा व्यक्ति रहता था. वह रात में जब भी बाहर जाता, एक जली हुई लालटेन हमेशा अपने साथ रखता था. एक रात वह अपने दोस्त के घर से भोजन कर अपने घर वापस आ रहा था. हमेशा की तरह उसके हाथ में एक जली हुई लालटेन थी. कुछ शरारती लड़कों ने जब उसके हाथ में लालटेन देखी, तो उस पर हंसने लगे और उस पर व्यंग्य बाण छोड़कर कहने लगे, “अरे, देखो-देखो अंधा लालटेन लेकर जा रहा है. अंधे को लालटेन का क्या काम?” उनकी बात सुनकर अंधा व्यक्ति ठिठक गया और नम्रता से बोला, “सही कहते हो भाईयों. मैं तो अंधा हूँ. देख नहीं सकता. मेरी दुनिया में तो सदा से अंधेरा रहा है. मुझे लालटेन क्या काम? मेरी आदत तो अंधेरे में ही जीने की है. लेकिन आप जैसे आँखों वाले लोगों को तो अंधेरे में जीने की आदत नहीं होती. आप लोगों को अंधेरे में देखने में समस्या हो सकती है. कहीं आप जैसे लोग मुझे अंधेरे में देख ना पायें और धक्का दे दें, तो मुझ बेचारे का क्या होगा? इसलिए ये लालटेन आप जैसे लोगों के लिए लेकर चलता हूँ. ताकि अंधेरे में आप लोग मुझ अंधे को देख सकें.” अंधे व्यक्ति की बात सुनकर वे लड़के शर्मसार हो गए और उससे क्षमा मांगने लगे. उन्होंने प्रण किया कि भविष्य में बिना सोचे-समझे किसी से कुछ नहीं कहेंगे. शिक्षा:- मित्रों! हमें कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और कुछ भी कहने के पूर्व अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए। सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है। जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Mostrar todo...
केंद्र और राज्य सरकार को पूरे पांच साल पानी की व्यवस्था एवं ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने पर काम करने पर फोकस करना चाहिए और आम जनता को भी इसे ही प्रमुख मुद्दा बनाकर एक तय नीति पर काम करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण और पानी समस्या नही बन सकें समय रहते ही सरकारों को बजट भी ज्यादा से ज्यादा पानी और पेड़ पौधों पर खर्च करना चाहिए वर्तमान में सभी के सामने पानी और पर्यावरण सबसे बड़ी समस्या है लेकिन इसके बावजूद हम सब धर्म, मजहब, जाति-पाति, आरक्षण, राजनीतिक पार्टियों में ही व्यस्त है क्यों नही देश की एवं राज्यों की सरकार हर नागरिक को एक वर्ष में 10 पेड़ लगाने अनिवार्यता लागू कर देनी चाहिए, सरकारी महकमों एवं बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में बिजली की बजाय सोलर सिस्टम लगाना चाहिए
Mostrar todo...
♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️ !! संत की सरलता !! ~~~~ एक गांव में एक संत निवास करते थे। संत का व्यवहार बहुत ही सरल ज्ञानी कर्तव्यनिष्ठ शांत रहता था। संत के इस व्यवहार से बच्चे बहुत ज्यादा खिल्ली उड़ाते रहते थे, लेकिन कभी संत बुरा नहीं मानते। अपने इस व्यवहार के कारण संत का स्वभाव आसपास में मशहूर था। गांव के लोग अपनी समस्या भी संत के पास लेकर आते और उचित मार्गदर्शन से संतुष्ट भी होते थे। इन सभी व्यवहार के कारण बच्चे बूढ़े सभी के लिए चहेते भी थे। एक बार बच्चों को कुछ शैतानी सूझी, बच्चों ने संत के साध्वी को जाकर भड़काया कि संत बाबा को आज बहुत सारा गन्ना मिला है, पर पता नहीं आपके पास आते आते आपके लिए बचा पाएंगे कि नहीं, सभी को रास्ते में बांटते आ रहे हैं। संत की साध्वी थोड़ा झगड़ालू व चिड़चिड़ा प्रवृत्ति की थी, तब तक संत अपने कुटिया की ओर पहुँच गए। बच्चे शीघ्रता से छिप गए, परंतु साध्वी संत के हाथों में मात्र एक ही गन्ना देखकर गुस्सा से आग-बबूला हो गई और गुस्से से बोली कि मात्र एक ही गन्ना लेकर आये हो, (गन्ना छीनकर) जाओ इसे भी किसी को बांट दो कहकर फेंक दिया, जिससे गन्ना दो टुकड़ा हो जाता है। संत जी ये देखकर शांति से बोलते हैं कि तुम्हारा भी कोई जवाब नहीं, कितना सुंदर बराबर दो भाग में टुकड़ा किये हो। चलो मैं स्नान करके आता हूं फिर गन्ना खाएंगे। इस प्रकार संत के स्वभाव से साध्वी का गुस्सा शांत हो जाता है। और बच्चे अपने शरारती स्वभाव पर लज्जित हो भाग जाते हैं। उधर संत जी नदी में स्नान कर रहे होते हैं तो क्या देखते हैं कि एक बिच्छू का बच्चा पानी में बह रहा है, संत जी बिच्छु के बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश करते हैं परंतु बिच्छू के बच्चा स्वभाव वश संत को डंक मरता है और जल में पुनः हाथ से गिर जाता है। यह प्रक्रिया तीन चार बार होते देख पास में स्नान कर रहे ग्रामीण, संत से बोलते हैं कि बाबा आपको बिच्छू का बच्चा डंक पे डंक मार रहा है और आप उसे बचाने पर तुले हैं। संत बड़ी ही सरलता से बोलते हैं कि यह बिच्छू का बच्चा होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ रहा है तो हम मनुष्यों का स्वभाव क्यों छोड़े! हमें तो किसी असहाय प्राणियों की रक्षा करनी ही चाहिए और फिर कमंडल में पकड़ कर बिच्छू के बच्चे को बाहर निकाल ही लेते हैं। शिक्षा:- इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि विषम परिस्थितियों में भी हमें अपना धैर्य नहीं खोकर कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए..!! सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है। जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Mostrar todo...
प्रेरणादायक भयंकर गर्मी से बचने के लिए AC नही पेड़ 🏕️🏡🌴🌳 लगाओ 🌳🌳🌳🤗🙏🏻🤗🌳🌳🌳
Mostrar todo...
प्रेरणादायक भयंकर गर्मी से बचने के लिए AC नही पेड़ 🏕️🏡🌴🌳 लगाओ 🌳🌳🌳🤗🙏🏻🤗🌳🌳🌳
Mostrar todo...
Education Department News | शिक्षा विभाग समाचार | WhatsApp Channel

Education Department News | शिक्षा विभाग समाचार WhatsApp Channel. 𝐄𝐝𝐮𝐜𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐃𝐞𝐩𝐚𝐫𝐭𝐦𝐞𝐧𝐭 𝐍𝐞𝐰𝐬 𝐂𝐡𝐚𝐧𝐧𝐞𝐥 जॉइन करने के लिए *Follow* के *आइकॉन* पर क्लिक करे अगर आप परिवार के किसी भी सदस्य या मित्र को इस चैनल में ऐड करना चाहते हैं तो उसके पास में यह चैनल का लिंक भेज दे 👇🏻👇🏻

https://Whatsapp.rajeducationnews.com

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻. 26K followers

♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️ !! त्याग और दान !! ~~~~~ एक समय की बात है। एक नगर में एक कंजूस व्यक्ति रहता था। उसकी कंजूसी सर्वप्रसिद्ध थी। वह खाने, पहनने तक में भी कंजूस था। एक बार उसके घर से एक कटोरी गुम हो गई। इसी कटोरी के दुःख में कंजूस ने 3 दिन तक कुछ न खाया। परिवार के सभी सदस्य उसकी कंजूसी से दुःखी थे। मोहल्ले में उसकी कोई इज्जत न थी, क्योंकि वह किसी भी सामाजिक कार्य में दान नहीं करता था। एक बार उस कंजूस के पड़ोस में धार्मिक कथा का आयोजन हुआ। वेदमंत्रों व उपनिषदों पर आधारित कथा हो रही थी। कंजूस को सद्बुद्धि आई तो वह भी कथा सुनने के लिए सत्संग में पहुँच गया। वेद के वैज्ञानिक सिद्धांतों को सुनकर उसको भी रस आने लगा क्योंकि वैदिक सिद्धान्त व्यावहारिक व वास्तविकता पर आधारित एवं सत्य-असत्य का बोध कराने वाले होते हैं। कंजूस को और रस आने लगा। उसकी कोई कदर न करता फिर भी वह प्रतिदिन कथा में आने लगा। कथा के समाप्त होते ही वह सबसे पहले शंका पूछता। इस तरह उसकी रूचि बढती गई। वैदिक कथा के अंत में लंगर का आयोजन था इसलिए कथावाचक ने इसकी सूचना दी कि कल लंगर होगा। इसके लिए जो श्रद्धा से कुछ भी लाना चाहे या दान करना चाहे तो कर सकता है। अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार सभी लोग कुछ न कुछ लाए। कंजूस के हृदय में जो श्रद्धा पैदा हुई वह भी एक गठरी बांध सर पर रखकर लाया। भीड़ काफी थी। कंजूस को देखकर उसे कोई भी आगे नहीं बढ़ने देता। इस प्रकार सभी दान देकर यथास्थान बैठ गए। अब कंजूस की बारी आई तो सभी लोग उसे देख रहे थे। कंजूस को विद्वान की ओर बढ़ता देख सभी को हंसी आ गई क्योंकि सभी को मालूम था कि यह महाकंजूस है। उसकी गठरी को देख लोग तरह-तरह के अनुमान लगाते और हँसते, लेकिन कंजूस को इसकी परवाह न थी। कंजूस ने आगे बढ़कर विद्वान ब्राह्मण को प्रणाम किया। जो गठरी अपने साथ लाया था, उसे उसके चरणों में रखकर खोला तो सभी लोगों की आँखें फटी-की-फटी रह गई। कंजूस के जीवन की जो भी अमूल्य संपत्ति, गहने, जेवर, हीरे-जवाहरात आदि थे उसने सब कुछ को दान कर दिया। उठकर वह यथास्थान जाने लगा तो विद्वान ने कहा, “महाराज! आप वहाँ नहीं, यहाँ बैठिये।” कंजूस बोला, “पंडित जी! यह मेरा आदर नहीं है, यह तो मेरे धन का आदर है, अन्यथा मैं तो रोज आता था और यही पर बैठता था, तब मुझे कोई न पूछता था।” ब्राह्मण बोला, “नहीं, महाराज! यह आपके धन का आदर नहीं है, बल्कि आपके महान त्याग (दान) का आदर है। यह धन तो थोड़ी देर पहले आपके पास ही था, तब इतना आदर-सम्मान नहीं था जितना कि अब आपके त्याग (दान) में है; इसलिए आप आज से एक सम्मानित व्यक्ति बन गए हैं। शिक्षा:- मनुष्य को कमाना भी चाहिए और दान भी अवश्य देना चाहिए। इससे उसे समाज में सम्मान और इष्टलोक तथा परलोक में पुण्य मिलता है। सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है। जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Mostrar todo...
♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️ !! सोच बदलो, जिंदगी बदल जायेगी !! ~~~~ एक गाँव में सूखा पड़ने की वजह से गाँव के सभी लोग बहुत परेशान थे, बच्चे भूखे-प्यासे मर रहे थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाय। उसी गाँव में एक विद्वान महात्मा रहते थे। गाँव वालों ने निर्णय लिया उनके पास जाकर इस समस्या का समाधान माँगने के लिये, सब लोग महात्मा के पास गये और उन्हें अपनी सारी परेशानी विस्तार से बतायी, महात्मा ने कहा कि आप सब मुझे एक हफ्ते का समय दीजिये मैं आपको कुछ समाधान ढूँढ कर बताता हूँ। गाँव वालों ने कहा ठीक है और महात्मा के पास से चले गये। एक हफ्ते बीत गये लेकिन साधू महात्मा कोई भी हल ढूँढ न सके और उन्होंने गाँव वालों से कहा कि अब तो आप सबकी मदद केवल ऊपर बैठा वो भगवान ही कर सकता है। अब सब भगवान की पूजा करने लगे भगवान को खुश करने के लिये, और भगवान ने उन सबकी सुन ली और उन्होंने गाँव में अपना एक दूत भेजा। गाँव में पहुँचकर दूत ने सभी गाँव वालों से कहा कि “आज रात को अगर तुम सब एक-एक लोटा दूध गाँव के पास वाले उस कुएँ में बिना देखे डालोगे तो कल से तुम्हारे गाँव में घनघोर बारिश होगी और तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जायेगी।” इतना कहकर वो दूत वहां से चला गया। गाँव वाले बहुत खुश हुए और सब लोग उस कुएं में दूध डालने के लिये तैयार हो गये लेकिन उसी गाँव में एक कंजूस इंसान रहता था, उसने सोचा कि सब लोग तो दूध डालेंगे ही... अगर मैं दूध की जगह एक लोटा पानी डाल देता हूँ तो किसको पता चलने वाला है। रात को कुएं में दूध डालने के बाद सारे गाँव वाले सुबह उठकर बारिश के होने का इंतजार करने लगे, लेकिन मौसम वैसा का वैसा ही दिख रहा था और बारिश के होने की थोड़ी भी संभावना नहीं दिख रही थी। देर तक बारिश का इंतजार करने के बाद सब लोग उस कुएं के पास गये और जब उस कुएं में देखा तो कुआं पानी से भरा हुआ था और उस कुएं में दूध का एक बूंद भी नहीं था। सब लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे और समझ गये कि बारिश अभी तक क्यों नहीं हुई। और वो इसलिये क्योंकि उस कंजूस व्यक्ति की तरह सारे गाँव वालों ने भी यही सोचा था कि सब लोग तो दूध डालेंगे ही, मेरे एक लोटा पानी डाल देने से क्या फर्क पड़ने वाला है। और इसी चक्कर में किसी ने भी कुएं में दूध का एक बूँद भी नहीं डाला और कुएं को पानी से भर दिया। शिक्षा:- इसी तरह की गलती आज कल हम अपने real life में भी करते रहते हैं, हम सब सोचते हैं कि हमारे एक के कुछ करने से क्या होने वाला है लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि “बूंद-बूंद से सागर बनता है।” अगर आप अपने देश, समाज, घर में कुछ बदलाव लाना चाहते हैं, कुछ बेहतर करना चाहते हैं तो खुद को बदलिये और बेहतर बनाइए, बाकी सब अपने आप हो जायेगा। सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है। जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Mostrar todo...
♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️ !! कठिनाईयां !! ~~~~ एक धनी राजा ने सड़क के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और चुपचाप नजदीक के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गया। दरअसल वो देखना चाहता था कि कौन व्यक्ति बीच सड़क पर पड़े उस भारी-भरकम पत्थर को हटाने का प्रयास करता है। कुछ देर इंतजार करने के बाद वहां से राजा के दरबारी गुजरते हैं। लेकिन वो सब उस पत्थर को देखने के बावजूद नजरअंदाज कर देते हैं। इसके बाद वहां से करीब बीस से तीस लोग और गुजरे लेकिन किसी ने भी पत्थर को सड़क से हटाने का प्रयास नहीं किया। करीब डेढ़ घंटे बाद वहां से एक गरीब किसान गुजरा। किसान के हाथों में सब्जियां और उसके कई औजार थे। किसान रुका और उसने पत्थर को हटाने के लिए पूरा दम लगाया। आखिर वह सड़क से पत्थर हटाने में सफल हो गया। पत्थर हटाने के बाद उसकी नजर नीचे पड़े एक थैले पर गई। इसमें कई सोने के सिक्के और जेवरात थे। उस थैले में एक खत भी था जो राजा ने लिखा था कि ये तुम्हारी ईमानदारी, निष्ठा, मेहनत और अच्छे स्वभाव का इनाम है। जीवन में भी इसी तरह की कई रुकावटें आती हैं। उनसे बचने के बजाय उनका डटकर सामना करना चाहिए। शिक्षा:- मुसीबतों से डर कर भागे नहीं, उनका डटकर सामना करें। सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है। जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Mostrar todo...
             💐💐शरण💐💐 नयासर गांव में सेठ नंदाराम रहते थे। उनके यहां एक नौकर काम करता था.. जिसके कुटुंब में बीमारी की वजह से कोई आदमी नहीं बचा। केवल नौकर का लड़का रह गया। वह सेठ नंदाराम के घर काम करने लग गया.. रोजाना सुबह वह बछड़े चराने जाता था.. और लौटकर आता तो रोटी खा लेता था। ऐसे समय बीतता गया। एक दिन दोपहर के समय वह बछड़े चरा कर आया तो सेठ नंदाराम की नौकरानी ने उसे ठंडी रोटी खाने के लिए दे दी। उसने कहा कि थोड़ी सी छाछ या रबड़ी मिल जाए तो ठीक है। नौकरानी ने कहा कि, जा जा तेरे लिए बनाई है रबड़ी, जा ऐसे ही खा ले नहीं तो तेरी मर्जी। उस लड़के के मन में गुस्सा आया कि, मैं धूप में बछड़े चरा कर आया हूं, भूखा हुँ..पर मेरे को बाजरे की सूखी रोटी दे दी.. रबड़ी मांगी तो तिरस्कार कर दिया..।। वह भूखा ही वहां से चला गया। गांव के पास में एक शहर था.. उस शहर में संतों कि एक मंडली आई हुई थी.. वह लड़का वहां चला गया। संतों ने उसको भोजन कराया और पूछा कि तेरे परिवार में कौन हैं। उसने कहा कि कोई नहीं है.. संतों ने कहा तू भी साधु बन जा.. लड़का साधु बन गया। संतों ने ही उसके पढ़ने की व्यवस्था काशी में कर दी.. वह पढ़ने के लिए काशी चला गया वहां पढ़कर वह विद्वान हो गया। फिर कुछ समय बाद उसे महामंडलेश्वर महंत बना दिया गया। महामंडलेश्वर बनने के बाद एक दिन उसको उसी शहर में आने का आमंत्रण मिला..। वह अपनी मंडली लेकर वहां आये.. जिनके यहाँ वह बचपन में काम करते थे, सेठ नंदाराम बूढ़े हो गए थे। सेठ नंदाराम भी शहर में उनका सत्संग सुनने आए.. उनका सत्संग सुना और प्रार्थना की कि महाराज.. एक बार हमारी कुटिया में पधारो जिससे हमारी कुटिया पवित्र हो जाए ! महामंडलेश्वर जी ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया.. महामंडलेश्वर जी अपनी मंडली के साथ सेठ नंदाराम के घर पधारे। भोजन के लिए पंक्ति बैठी, भोजन मंत्र का पाठ हुआ.. फिर सबने भोजन करना आरंभ किया। महाराज के सामने तख़्त लगाया गया, और उस पर तरह-तरह के भोजन के पदार्थ रखे हुए थे। अब सेठ नंदाराम महाराज के पास आए साथ में नौकर था जिसके हाथ में हलवे का पात्र था। सेठ नंदाराम प्रार्थना करने लगा कि महाराज कृपा करके थोड़ा सा हलवा मेरे हाथ से ले लो। महाराज को हंसी आ गई.. सेठ नंदाराम ने पूछा कि आप हँसे कैसे ? महाराज बोले कि, मेरे को पुरानी बातें याद आ गई इसलिए हंसा। सेठ नंदाराम बोले महाराज यदि हमारे सुनने लायक बात हो तो हमें भी बताइए। महाराज ने सब संतो से कहा कि, भाई थोड़ा ठहर जाओ बैठे रहो, सेठ नंदाराम बात पूछता है, तो बताता हूं.. महाराज ने सेठ नंदाराम से पूछा कि, आपके कुटुंब में एक नौकर का परिवार रहा करता था उस परिवार में अब कोई है क्या ? सेठ नंदाराम बोले कि, केवल एक लड़का था.. और हमारे यहाँ उसने कई दिन बछड़े चराए.. फिर ना जाने कहाँ चला गया। बहुत दिन हो गए फिर कभी उसको देखा नहीं। महाराज बोले, कि मैं वही लड़का हूं। पास के शहर में संत-मंडली ठहरी हुई थी। मैं वहां चला गया। पीछे काशी चला गया वहां पढ़ाई की और फिर महामंडलेश्वर बन गया। यह वही आंगन है जहां आपकी नौकरानी ने मेरे को थोड़ी सी रबड़ी देने के लिए भी मना कर दिया था। अब मैं भी वही हुँ, आंगन भी वही है.. आप भी वही हैं..। पर अब आप अपने हाथों से मोहनभोग दे रहे हैं.. कि महाराज कृपा करके थोड़ा सा मेरे हाथ से ले लो ! मांगे मिले ना रबड़ी, करूं कहां लगी वरण। मोहनभोग गले में अटक्या, आ संतों की शरण।। सन्तो की शरण लेने मात्र से इतना हो गया कि जहां रबड़ी नहीं मिलती थी वहां मोहनभोग भी गले में अटक रहे हैं..। अगर कोई भगवान् की शरण ले ले, तो वह संतों का भी आदरणीय हो जाए..। लखपति करोड़पति बनने में सब स्वतंत्र नहीं हैं..पर भगवान् की शरण होने में भगवान् का भक्त बनने में सब के सब स्वतंत्र हैं..!! और ऐसा मौका इस मनुष्य जन्म में ही है..!! ●● https://t.me/prerakprasanghindistory Share जरूर करें ‼️....... ♡            ❍ㅤ             ⎙ㅤ         ⌲ ˡᶦᵏᵉ        ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ        ˢᵃᵛᵉ        ˢʰᵃʳᵉ       🦋 आज की प्रेरणा 🦋 क्रोध के समय थोड़ा रुक जाएं और गलती के समय थोड़ा झुक जाएं, दुनिया की सब समस्याएं हल हो जायेंगी। आज से हम सकारात्मक बदलाव की ओर ध्यान दें...
Mostrar todo...
हिंदी प्रेरक प्रसंग व कहानियां

Motivational Stories Motivational short stories Motivational stories for students प्रेरक प्रसंग प्रेरक कहानियां हिंदी कहानियां #प्रेरक_प्रसंग #motivational_stories #हिंदी_प्रेरक_प्रसंग #लघु_कथाएं #शिक्षाप्रद_कहानियां #daily_story #story_of_the_day