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Hindi Chudai ki kahaniya

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उसने नजर भर कर मुझे पूरा से नीचे से ऊपर तक देखा, फिर घुटनों पर बैठ कर मुझे एक रिंग दिया और कहा- आई लव यू. मैं उसकी इस हरकत को देख कर एकदम से हैरत में पड़ गयी. मैंने उसे अपने बारे में बता रखा था कि मैं एक तलाक़शुदा औरत हूँ … मैं अभी कुछ सोच ही रही थी कि उसी समय उसने मुझे बांहों में भर लिया. उसने कहा- मुझे तुमसे शादी नहीं करनी है, बस चोदना है. ये कह कर वो मुझे किस करने लगा. मैं भी कब से यही सब चाहती थी. सो उसका साथ देने लगी. अधनंगी तो मैं पहले से ही थी … बस नंगी होना बाकी था. उसने मेरी ब्रा को निकाला और मुझे घूर कर देखने लगा. ‘उफ्फ्फ मन्नत, तेरी चूचियां तो बहुत बड़ी हैं..’ ये बोल कर वो मेरी एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को दबाने लगा. मैं भी पूरे जोश में उसका सर पकड़ कर सहला रही थी. न जाने कितने दिन के बाद कोई मेरी चूचियों के साथ खिलवाड़ कर रहा था. फिर उसने अचानक से एक हाथ मेरी पैंटी में डाल दिया और चूत को सहलाने लगा. उफ्फ्फ्फ … अपनी चूत पर एक मर्दाना हाथ पाते ही मैं तो समझो, मर ही गयी. वो लगातार मेरी चूत के दाने के साथ खेल रहा था. ‘जब से तुझे देखा है, मेरा लंड तुझे चोदने को बेकरार है … मेरी जान..’ ये कहते हुए उसने अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैंने जैसे ही उसके लंड को हाथ में लिया, मैं चौंक गई. उसका लंड 3 इंच जितना मोटा लग रहा था. तभी उसने मुझे छोड़ा और अपनी जींस खोल कर नीचे गिरा दी. उफ्फ्फ 8 इंच का लंबा काला लंड देख कर मेरी आंखें तो फटी की फटी रह गईं. इतना बड़ा लंड तो मेरे पति का भी नहीं था. मैंने हैरत से देखते हुए ऐसे इजहार किया जैसे उसका लंड को बड़ा लम्बा समझ आया था. ये सही भी था. उसने मेरी भाव-भंगिमा समझते हुए कहा- मेरी रानी … चल अब जल्दी से इसे चूस कर और बड़ा कर दे … मैं तुम्हें चोद कर खुश करना चाहता हूँ … और तेरी ख़ुशी तुझे इसी लंड से मिलेगी. मैं इतना कुछ बोले उसके लंड को पकड़ कर देखने लगी, फिर घुटने पर बैठ कर मैं लंड सहलाने लगी. उसने मेरे एक दूध को जोर से दबाया … तो मेरा मुँह दर्द से खुल गया. उसी समय उसने अपने लंड को मेरे मुँह में धकेल दिया. मैं भी मोटे लंड का स्वाद ले कर मस्त हो गई और उसके लंड को चूसने लगी. वो भी मस्त हो गया और मेरे मुँह को चूत समझ तेज तेज चोदने लगा. कुछ ही मिनट मैं वो एक तेज आह के साथ मेरे मुँह में ही झड़ गया. मैंने उसके लंड के रस को उगल दिया … क्योंकि उसने एक झटके में अपना लंड मेरे गले में उतार कर अपना लावा निकाल दिया था, जिससे मुझे उबकाई आ गयी थी. फिर उसने मुझे फर्श पर लेटाया, जिस पर मैट बिछा हुआ था. उसने मेरी पैंटी निकाल कर फेंक दी और मेरी चूत को देखने लगा. “उफ्फ्फ मेरी जान तुम्हारी चूत तो बहुत मस्त है.” ये कह कर वो मेरी चूत चाटने लगा. मन्नत तो मानो जन्नत में पहुँच गयी थी क्योंकि बहुत दिनों के बाद किसी ने मेरी चूत चाटी थी. वो दो उंगली मेरी चूत में पेल रहा था और जीभ से मेरी चूत के दाने के साथ खेल रहा था. मैं एक हाथ उसके सर को सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपनी एक चूची को मसल रही थी. कुछ मिनट की चुसाई के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गयी. वो मेरी चूत के रस को अपने मुँह में भर पी गया और उसके तुरंत बाद मेरी चूत को फैला कर अपना लंड लगा दिया. वो लंड के सुपारे को मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मैं चुदासी हो गई थी. मैं बोली- आंह अब मत तड़पाओ राहुल … बस जल्दी से मुझे चोद दो. उसने हल्का सा जोर लगाया, जिससे उसका 8 इंच का आधा लंड मेरी चूत में उतर गया. लंड घुसवाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ … क्योंकि बहुत दिनों के बाद मेरी चूत ने लंड लिया था. वो मेरे ऊपर चढ़ गया था और मेरी चूचियों को दबाते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा. फिर उसने एक और झटका मारा, जिससे मेरी चूत में उसका लंड अन्दर चला गया. मैं रो दी. वो लंड पेल कर रुक गया गया और मेरी चूचियों के साथ खेलने लगा. थोड़ी देर रुकने के बाद मैं खुद लंड लेने के लिए गांड उठाने लगी. बस फिर क्या था, वो धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करने लगा. धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा. मैं भी गांड उठा कर बोलने लगी- आह चोदो चोदो मुझे … और जोर से. वो भी मुझे तेज तेज चोदने लगा. वो कभी अपना लंड पूरा बाहर निकालता, फिर एक झटके में पूरा मेरी चूत में अपना लंड घुसा देता. इससे मेरे अन्दर और वासना जग जाती. मैं अपनी गांड उठा उठा उससे चुदने लगी. धकापेल चुदाई का खेल होने लगा. हम दोनों ही सुध बुध खो कर पूरी तल्लीनता से चुदाई का मजा लेने में लगे थे. जालिम का लंड बड़ा मस्त था, साला अन्दर तक जाकर चोट मार रहा था. बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई में मैं दो बार झड़ गई थी. फिर वो थक कर नीचे लेट गया. मैं समझ गई कि मुझे क्या करना है. मैं उसके ऊपर अपनी चूत में लंड फंसा कर उसके ऊपर कूदने लगी.
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इस बार जब मैं नीचे आती, तो वो अपना लंड और अन्दर धकेल देता और जब मैं ऊपर उठती, तो वो भी पूरा लंड बाहर निकाल देता. इसी पोजीशन में 10 मिनट चुदाई करने के बाद वो मेरी चूत में झड़ गया. मैं भी उसके साथ झड़ गयी. कुछ देर ऊपर पड़े रहने के बाद मैं उठी, तो उसके लंड पर मेरी चूत और लंड का पानी लगा हुआ था. उसने कहा- मस्त मलाई है, चाट ले न! मैं उसके लंड को मजे से चाटने लगी. इस समय मैंने अपनी गांड राहुल के मुँह की तरफ की हुई थी. वो मेरी गांड को कुरेद रहा था. :मन्नत, मैं तेरी गांड मारना चाहता हूँ.” “मैंने कभी गांड नहीं मरवाई.” वो बोला- कुछ नहीं होगा … मैं धीरे धीरे करूँगा. मैं मान गयी. दस मिनट बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गए. अब उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड को चाट कर पूरा गीला किया और अपने लंड पर खूब सारा थूक लगा लिया. लंड को मेरी गांड पर लंड रखकर उसने एक झटका मार दिया. उसके लंड टोपा मेरी गांड के अभी अन्दर गया ही था कि मैं आगे को हो गयी. दर्द से मेरी आंखों में आंसू आ गए. पर लंड जब खड़ा रहता है, तो बिना छेद चोदे नहीं छोड़ता … यही हुआ उसने मुझे फिर से पकड़ा और आराम से टोपे को अन्दर पेल दिया. इस बार थोड़ी देर रुकने के बाद उसने लंड पर थूक गिराया. फिर मुझे कमर से अच्छे से जकड़ कर एक तेज झटका दे दिया. मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया. मैं थोड़ी देर के लिए होश खो बैठी. कुछ पल बाद जब मैं होश में आयी, तो वो मेरी गांड में थूक डाल कर मेरी गांड मार रहा था. अब गांड चुदाई से मुझे भी मजा आने लगा था. मैं भी गांड पीछे कर करके चुदने लगी. उसने मुझे कुतिया बनाए हुए कोई 20 मिनट तक बिना रुके चोदा … मेरी गांड हचक कर मारी. मेरी गांड से बदबू आने लगी, चूंकि गांड चुदाई में ये सब नार्मल सी बात होती है. सो हम दोनों पूरी मस्ती से गुदामैथुन का सुख लेते रहे. अंत में उसने अपना सारा रस मेरी गांड में निकाल दिया और मेरे ऊपर निढाल हो कर लेट गया. इस दौरान मैं चूत का दाना सहलाती रही थी जिस वजह से मैं 3 बार झड़ चुकी थी. थोड़ी देर पड़े रहने के बात मुझे बाथरूम जाना था. उसने मुझे बाथरूम बताया, वहां जा कर मैं फ्रेश हुई. उधर मैं अपनी चूत और गांड को देख बहुत खुश हुई. बेशक दोनों लाल हो गयी थीं … दुःख भी रही थीं … पर जो सुख मिला था, वो बहुत बड़ी बात थी. मैंने घड़ी में टाइम देखा, तो शाम के 5 बज रहे थे. फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए. मैंने उसे गिफ्ट के लिए थैंक्स कहा. वो बोला- कौन सा गिफ्ट जान? मैंने आंख दबा कर उसका लंड हिला दिया- ये वाला गिफ्ट … जो आज मुझे दिया है. उसने मुझे अपनी बांहों में भरा, तो मैंने भी उसके लंड और होंठों पर किस किया. इसके बाद राहुल ने मुझे दुकान के पिछले गेट से बाहर निकाला और आगे जा कर शटर उठा दिया. अब उससे मेरी आशनाई हो गई थी. मैं उससे कई बार चुदी, अभी भी वो मुझे पेलता है. End 😜
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Hindi chudai ki kahaniya 🔞🔞🔞 *ब्रा पैंटी वाले दुकानदार से चूत गांड चुदवा ली* मेरा नाम मन्नत मेहरा है, मेरी उम्र 35 साल की है, फिगर साइज 38-32-40 का है, पर एकदम पटाखा माल जैसी लगती हूँ. मैं कहां से हूँ, आपको यह नहीं बता सकती हूँ. मैं एक तलाकशुदा औरत हूँ. पति के तलाक के बाद मेरी जिंदगी कुछ खास नहीं थी, तलाक के 2 साल तक मैं चुदी नहीं थी, अपने जिस्म की आग को बस यूं हाथ से ही बुझा कर काम चला रही थी. एक दिन मैं अपने लिए ब्रा पैंटी खरीदने गयी. मुझे वहां एक फैंसी ब्रा पैंटी के सैट बहुत पसंद आया, तो मैंने वो खरीद लिया. वहां का जो मालिक का था, वो मुझे काफी घूर रहा था. शायद वो यही सोच रहा था कि इतनी बड़ी ब्रा क्या सच में इसे आती होगी या नहीं. मुझे भी मस्त लग रहा था क्योंकि मुझे ये सब अच्छा लगता था. उस दिन मैं साड़ी पहन कर गयी थी … जिसमें मेरी बॉडी काफी खुली दिख रही थी. खैर … मैं ब्रा पैंटी खरीद घर आ गयी. अगले दिन उस सैट को मैंने यूज किया, लेकिन शाम होते होते पता नहीं क्यों ब्रा की स्ट्रिप टूट गयी, इससे मुझे बहुत गुस्सा आया. अगले दिन मैं फिर उस दुकान पर गयी, उस दिन उस दुकान का सिर्फ मालिक ही था. मैं गुस्से में बोली- आप लोग क्या सामान बेचते हैं, इतने मंहगे सामान देते हैं और घटिया क्वालिटी का सामान बेचते हैं. इस पर उस दुकानदार ने पूछा- क्या हुआ मैडम … आप पूरी बात तो बताएं? मैंने उसे अपनी बात बताई. उसने ब्रा को देखा और मेरी चूचियों को देखने लगा. फिर उसने कहा- मैं आपको नया सैट देता हूँ, आप ये ले कर जाइए, ये हमारी दुकान का सबसे अच्छा माल है … आपकी तरह. ‘आपकी तरह’ ये शब्द उसने धीरे से कहे थे, लेकिन मैंने सुन लिए. उसकी बात को सुनकर भी मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. बस उसे देख कर रह गई. उसने कहा- अगर इसमें कोई प्रॉब्लम हुई, तो आप मुझे इस नंबर पर कॉल कीजिएगा. यह कहते हुए उसने अपना नंबर मुझे लिख कर दे दिया. मैंने दुकानदार से उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम राहुल बताया. राहुल दिखने में काफी स्मार्ट था. देखने में लंबा और हट्टा-कट्टा भी लग रहा था. एक बार के लिए तो मुझे न जाने क्यों मन में हेनू हेनू हुई. मैं मन ही मन उससे आकर्षित हो गई थी. मैं उससे ब्रा पैंटी का सैट लेकर घर आ गयी. घर आकर मैं न जाने क्यों राहुल के बारे में ही सोच रही थी. पता नहीं उस राहुल ने मेरे ऊपर क्या जादू कर दिया था. मैं सच में उसकी तरफ मोहित हो गयी थी. इस बार मैंने ब्रा पहनी और जोर से अपने मम्मों को कुछ इस तरह से फुलाते हुए अंगड़ाई ली कि ब्रा पर जरूरत से ज्यादा जोर पड़ गया. मैंने जानबूझकर फिर से ब्रा की स्ट्रिप तोड़ दी. फिर अगले दिन उसे कॉल किया, तब उससे बात हुई. उस मैंने बताया कि आप तो कह रहे थे कि आप बहुत बढ़िया माल दे रहे हैं, लेकिन इस बार तो ब्रा पहनते ही इसकी स्ट्रिप टूट गई. उसने कहा- ऐसा नहीं हो सकता, आप आज हमारी दुकान पर 3 बजे आइए, मैं देखता हूं कि क्या प्रॉब्लम है. मैं बोली- मैं इतनी फ्री नहीं हूँ, जो रोज रोज आपकी दुकान पर आऊं. जब मुझे टाइम मिलेगा, तब आऊँगी. ये बोल कर मैंने फ़ोन काट दिया. बस अब उसको मेरा नंबर मिल चुका था. इस बात को मैंने कुछ समय देने का फैसला किया. धीरे धीरे मोबाइल पर उसके कुछ हल्के फुल्के सन्देश आने लगे. मैं भी उससे कभी कभी बात करने लगी. हम दोनों दोस्त बन चुके थे. हमारी बातों में धीरे धीरे थोड़ा सेक्स वाले मैसेज आने लगे थे. फिर एडल्ट जोक्स और गरम फोटोज के बाद चुदाई वाली क्लिप्स भी आने लगी थीं. एक दिन उसने बोला- आप कभी समय निकाल कर दुकान पर आइए न. मैंने कहा- किस समय फ्री रहते हो? उसने कहा- कल ऑफ है, लेकिन आपके लिए दुकान खोलूंगा. आप ऐसा कीजिए, कल 3 बजे आइए. मैं बोली- कल तो मेरा जन्म दिन है … इसलिए मैं नहीं आ सकती. उसने मुझे एडवांस में बर्थडे की बधाई थी और दुकान पर आने के लिए जोर दिया. इस पर मैं मान गयी. अगले दिन मैं जींस टॉप पहन कर उसकी दुकान गयी. उसने मुझे बर्थडे विश किया और बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया. उस दिन ऑफ होने की वजह से दुकान पर कोई नहीं था. उसने मुझे एक बहुत ही सेक्सी सैट दिया और बोला- अगर चाहो तो यहीं पहन कर चैक कर सकती हो. मैं- यहाँ कैसे..! यहाँ कोई आ जाएगा राहुल! उसने झट से दुकान का शटर गिरा दिया और बोला- अब कोई नहीं आएगा. बस एक बार पहन कर दिखा दो. मैं समझ गयी कि आज मेरी चूत को एक लंड मिल जाएगा, जिसकी मुझे भी जरूरत है. मैं चेंजरूम में चली गई और चेंज करके उसे अन्दर बुलाने के लिए आवाज दी. उसे खुद को ब्रा पेंटी में दिखाने में मुझे थोड़ी शर्म आयी.
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ब्रा और पैंटी वाले की दुकान में गान्ड मरवाया 👅🍑
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यह वीडियो 9:00में डिलीट कर दूंगा तो दोस्तो वीडियो सेव कर लो
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मेरा लण्ड तो पहले ही चूत के लिये तरस रहा था। जैसे ही वो मेरे ऊपर चढ़ी, मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया। उसकी चूत पर मेरा लण्ड ठोकर मारने लगा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड को चूत का छेद मिल ही गया। मैंने धीरे से लण्ड अन्दर ठेल दिया। तनूजा के मुख से एक प्यारी सी सिसकारी निकल पड़ी। लण्ड अपना काम कर चुका था, और उसकी चूत की गहराईयों में उतरता जा रहा था। लगा कि अन्दर नरम सी चूत के अन्तिम छोर को छू गया था। वो मेरे लण्ड पर अब बैठ गई थी। तनूजा ने अपने चूतड़ ऊपर किए ओर अच्छी तरह से एक धक्का नीचे मार दिया। लण्ड पूरा जड़ तक गड़ गया। तनूजा के दोनों बोबे सोनल ने दबा के मसलने चालू कर दिये। अब तनूजा इत्मिनान से धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदाई कर रही थी और आनन्द ले रही थी। सोनल ने अपनी एक अंगुली तनूजा की गाण्ड में डाल दी और घुमाने लगी। तनूजा मस्ती में सिसकारियाँ भर रही थी और मस्ती में कुछ बोल भी रही थी। तनूजा के कोमल धक्के बरकरार थे, वो ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती थी पर मैं तो प्यासा था.. मुझसे रहा नहीं गया.... मैंने तनूजा को अपने से चिपका लिया और एक पलटी मार कर उसे अपने नीचे दबोच लिया। वो फ़ड़फ़ड़ा उठी.... मैंने अपना सीना ऊपर उठा कर, अपने दोनो हाथ बिस्तर पर जमा कर चूतड़ का जोर उसकी चूत पर डाल दिया। लन्ड उसकी चूत में अन्दर सरकता चला गया। तनूजा आनन्द से सिसक उठी और उसने अपनी चूत लण्ड से भिड़ा दी.... उसका जिस्म मचल रहा था....उसके तन का तनाव.... कसमसाना.... शरीर की ऐंठन.... उसकी उत्तेजना दर्शा रही थी। ....मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द आने लगा। मेरे धक्के अब तेज होने लगे थे। "हाय रे मेरी रानी कितनी तंग चूत है....रगड़ के जा रहा है....कितना मजा आ रहा है..!" "हाय चोद दो मेरे राजा .... मोटे लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा है हाय रे...!" "हाय...आहऽऽऽऽ....ओहऽऽऽऽ चुद ले मेरी रानी ....हाय ले ....और ले......" मैं उत्तेजना में धक्के लगाये जा रहा था। चूत का पानी फ़च फ़च की आवाज कर रहा था। "मेरे राजा....ईऽऽऽऽऽह्ह.........और जोर से.... और भी....." वो अपनी चूत उछाल रही थी और मेरे चूतड़ भी दनादन चल रहे थे...मीठी मीठी सी गुदगुदी तन में भरती जा रही थी। तनूजा मुझे बार बार भींच रही थी। "मेरे बोबे दबा डालो राजा.... मचका दो इसे....... चूंचियां खींच डालो मेरे राजा......." मैने उसके उरोजो को बुरी तरह से भींचने चालू कर दिये, मुझे आनन्द की चरमसीमा नजर आने लगी थी........ तनूजा निहाल हो उठी थी ! "आऽऽऽऽऽऽऽऽह ओऽऽऽऽऽऽऽऽह मेरे राजा....चोद डालो ....हाऽऽऽऽऽय.... जोर से.....!" वो मुझे जकड़े जा रही थी......... मुझे लगा कि अब तनूजा झड़ने वाली है.......मैने उसकी चूंचियों से हाथ हटा दिया..... "क्या कर रहे हो........! मसल डालो ना..... जल्दी...........आऽऽऽऽऽऽऽऽह ........मैं गई......आह रे.........! मेरा निकला....! मैं गई....राजा......... मुझे कस लो....." "हां रानी.... निकाल दो अपना पानी........आऽऽऽऽह ........ !" "मैं मर गई... राजा......हाय रे....ओऽऽऽऽऽह ऊऊऊऊऽऽऽऽऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह ...गईऽऽऽऽ .........झड़ गई रे...हाय....हाय....!" वो अब झड़ने लगी थी...... सिसकारियां भरती जा रही थी.. तेज सांस चल रही थी....आंखे बंद थी.......... उसकी चूत की दीवारें लण्ड को जकड़ रही थी.... उसका झड़ना मुझे महसूस होने लगा था.....और फिर मेरा बान्ध भी टूटने लगा ..... मैंने तुरन्त लण्ड बाहर निकाल लिया........ मैं लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा.....कुछ ही पलों में तनूजा का चेहरा मेरे वीर्य की पिचकारियों से भर उठा। पिचकारी निकलती रही....उसने अपनी आंखे बन्द कर ली। मैं शान्त हो चुका था....तनूजा मेरे वीर्य को चेहरे पर क्रीम की तरह मल लिया। अब वो मुस्कुरा उठी और मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया। सारा वीर्य चूस कर मेरे ढीले लण्ड को छोड़ दिया। सोनल ने कुर्सी पर बैठे बैठे ही मेरा गीला तौलिया हमारी तरफ़ उछाल दिया। तनूजा ने अपना चेहरा साफ़ किया........और मेरा झूलता हुआ लण्ड भ ी रगड़ कर पोंछ डाला। अब मैं और तनूजा साथ साथ ही नंगे बिस्तर पर लेट गये थे सोनल भी नंगी ही मेरे साथ चिपक कर लेट गई.... मुझे अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था.... भले ही वो मां बेटी हो....पर आज दो दो हसीनाएँ मेरी दोनों बगल में लेटी थी... "अंकल मेरी मम्मी अच्छी है ना....." "हां सोनल बहुत अच्छी.... और तुम भी प्यारी प्यारी हो..." "अंकल अब दूसरा खेल सिखाओ ना..........." "चुप शैतान....!!!!!" हम तीनो ही हंस पड़े.... पर सोनल उसका हाथ मेरे लण्ड पर बार बार जा रहा था.... मैं सब समझ रहा था उसकी बेचैनी .... वो तो मेरे लौड़े का आनन्द पाने को बेकरार हो रही थी .... उसकी चूत की गर्मी मुझ तक आ रही थी.... मैं भी एक हाथ से तनूजा का नंगा बदन सहला रहा था।
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वो आंखे बन्द किये सुस्ता रही थी और दूसरी और मेरे दूसरे हाथ की एक अंगुली सोनल की चूत में घुस चुकी थी और मैं उसका योनि-पटल अपनी उंगली से टकराता हुआ महसूस कर रहा था और मेरा मन सोनल की कुंवारी चूत का उदघाटन करने के लिए मचल रहा था। सोनल का हाथ मेरे लण्ड पर चल रहा था, उसकी मनोदशा भी मुझ से छिपी नहीं थी। सोनल और मेरी आंखों में इशारे हो चुके थे। यानि चुपके से शाम को........सोनल की एक नई शुरूआत ... और मेरे लिए एक नई अनछुई सौगात … किराये का घर-२ लेखिका : कामिनी सक्सेना भाग-१ से आगे.... मैं शाम को सोनल का इन्तज़ार करता रहा। सात बजने पर मैंने अपनी पेन्ट कमीज़ उतार कर पज़ामा और बनियान पहन ली। मुझे लगा कि अब वो नहीं आयेगी। तभी नीचे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने झांक कर देखा तो सोनल के पापा गैराज़ से गाड़ी निकल कर सड़क पर ले आए थे और शायद तनूजा और सोनल की प्रतीक्षा कर रहे थे, शायद कहीं जा रहे थे। मेरा मन उदास हो उठा। इतने में मेरा मोबाईल बज उठा। सोनल का फोन था। सोनल के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोल पड़ा- कहाँ हो जानम ! कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा ! कहीं जा रहे हो तुम लोग? " मैं नहीं, मम्मी और पापा जा रहे हैं, उनके जाते ही मैं ऊपर आती हूँ....!" मैं खुश हो उठा। मेरे मन तार बज उठे.... सोनल जैसी कमसिन.... कुंवारी लड़की के साथ मजे करने के ख्याल से ही मेरे लण्ड में उफ़ान आने लगा। मैंने अंडरवियर पहले ही नहीं पहन रखी थी। लण्ड का कड़ापन पजामे में से साफ़ उभरने लगा था। इतने में किसी के ऊपर आने की आवाज आई.... तो देखा तनूजा थी। तनूजा को देखते ही मैंने फ़ोन बंद कर दिया। "हम लोग थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं इनके दोस्त के घर और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है बाज़ार से ! .... तुम घर का ख्याल रखना.... !" अचानक उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी...."अरे वाह ! मुझे देखते ही ये तो खड़ा हो गया....!" उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले कर मसल दिया। मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। "अभी आती हू बाज़ार से.... ये रात की शिफ़्ट पर चले जायेंगे.... तब तक लण्ड पकड़े रहो हाथ में ...." शरारत से मुस्कराते हुए बोली। "अब मेरे लण्ड को छोड़ तो दो...." "हाय कैसे छोड़ दूं.... मस्त मुस्टन्डा है...." और झुक कर मेरे लण्ड को दांतो से काट लिया और लहराती हुई चली गई। मेरा हाल बुरा हो चला था। नीचे से कार के जाने की आवाज आई और कुछ ही क्षणों में सोनल ऊपर आ गई....। छोटी सी स्कर्ट में वो काफ़ी अच्छी लग रही थी। "मै आ गई भैया...." वो इठलाते हुए बोली। "भैया नहीं पंकज ! .... मुझे मेरे नाम से बुलाओ सोनल !" मैंने समझाया। सोनल की नज़र मेरे पूरे शरीर पर घूम रही थी कि उसने मेरे पज़ामे पर वहीं हाथ रख दिया जहाँ अभी अभी सोनल की मम्मी तनूजा ने काटा था। "यह क्या है लाल लाल ? कुछ गुलाबी सा !" सोनल ने पूछा। "क्या है?" मुझे भी कुछ मालूम नहीं था। सोनल ने पज़ामे के ऊपर से ही मेरे लण्ड को पकड़ कर कुछ ऊंचा उठा कर दिखाया। मैं चौंक गया। यह तो तनूजा के होंठों की लिपस्टिक का निशान था जो अभी कुछ क्षण पहले ही वो छोड़ गई थी। मैंने उसे टालते हुए कहा- "पता नहीं ! ऐसे ही कुछ लग गया होगा।" "नहीं यह तो शायद लिपस्टिक का निशान है ! अच्छा ! समझ गई ! अभी अभी मम्मी ऊपर आई थी, तभी उन्होंने यह किया होगा ! मम्मी भी ना बस ! सुबह मन नहीं भरा उनका?" सोनल बोली। "छोड़ो ना.... ! अब यह सब तो चलता ही रहेगा ! चलो अब सुबह वाला खेल खेलें.... तुम तो देखती ही रह गई सुबह और तुम्हारी मम्मी सारे मज़े ले गई !" मैंने कहा। हाँ चलो ! वही बड़ों वाला खेल...." सोनल चहकते हुए बोली। मुझे लगा आज ये चुद कर ही जायेगी। मजा आ जायेगा....! मैंने प्यार से उसकी कमर में हाथ डाल दिया और चूतड़ों को सहला दिया। उसने भी स्कर्ट के अन्दर पेन्टी नहीं पहनी थी। "बोलो सोनू.... क्या करूँ ?" "कुछ भी.... मुझे क्या पता? पर तुम्हारा ये खड़ा क्यों है....?" उसने मेरा लण्ड पकड़ते कहा। "पकड़ ले सोनल ....जोर से मसल दे...." मैंने उसके चूतड़ सहलाने चालू रखे। एक हाथ स्कर्ट के अन्दर उसके नंगे चूतड़ो पर फ़िसलने लगा। "भैया.... जोर से दबाओ ना.... मुझे जाने कैसा अच्छा सा लग रहा है !" उसकी जिस्म में कंपकपी छूट रही थी। "साली ! तुझे कहा ना ! मुझे भैया नहीं पकंज कह !" मेरी सांसे भी बढ़ गई थी। उसकी नंगी जांघे आज ज्यादा सेक्सी लग रही थी। एक कमसिन कुंवारी लड़की को चोदने का ख्याल ही मेरे रोंगटे खड़े कर रहा था। उसने मेरा पज़ामा उतार दिया और नीचे से नंगा कर दिया। मेरा लण्ड अब मैदाने जंग में खड़ा था। "पंकज ....अब पापा की तरह मेरे साथ खेलो ना.... मेरे पर चढ़ जाओ और मेरी छाती को मसलो...."
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