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*🕉️🔱तन और मन की स्वच्छता बनाए रखना स्थायी स्वास्थ्य की कुंजी है। गंगा पवित्रता की प्रतीक है। यह हमें अपने पाचन तंत्र को साफ करने के लिए उपवास रखने के लिए कहता है; अपने शरीर को प्रदूषकों से मुक्त रखने के लिए स्वच्छ आदतों को बनाए रखें, हमारे फेफड़ों को साफ करने के लिए प्राणायाम (श्वास व्यायाम) करें, हमारी त्वचा और मांसपेशियों को साफ करने के लिए शारीरिक व्यायाम करें और अपने मन को साफ रखने के लिए दिव्य नाम का जाप करें।* *🕉️🔱सांप: मस्त रहो* *🕉️🔱सांप शिव के गले में लपेटते हैं और वहां शांति से रहते हैं। एक बार जब हम अपना गुस्सा छोड़ देते हैं और मन की संतुलित स्थिति सुनिश्चित कर लेते हैं, तो हम स्वयं के साथ-साथ दूसरों के साथ भी विवाद से बच सकते हैं। शांत चित्त की ऐसी स्थिति आपको उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों से मुक्त रखेगी।* *🕉️🔱बंद आंखें: बुराई और बुराई से दूर रहें* *🕉️🔱अक्सर जीवन अत्यधिक विचलित करने वाला होता है। हम जो देखते हैं उसका पीछा करना चाहते हैं और जीवन में बुरी और अस्वास्थ्यकर चीजों के पीछे जाने के लिए आकर्षित होते हैं। चाहे वह अस्वास्थ्यकर भोजन खाने का प्रलोभन हो या हानिकारक आदतों में लिप्त होना, हम जीवन में कई ऐसे काम करते हैं जो मन और शरीर के लिए स्वस्थ अभ्यास नहीं हैं। शिव की बंद आंखें हमें बताती हैं कि जीवन की बुरी चीजों से दूर रहें और सही कार्यों और सही विचारों में संलग्न हों। यह उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है।* 🕉️🔱🚩🕉️🔱🚩🕉️🔱🚩 [11/02, 9:27 am] Devendra Kumar Sharma: 🚩🌹🌺🌻🚩🌹🌺🌻🚩 *🚩🌹सहजता-सरलता से भी जीवन जीया जा सकता है।* *🚩सीताराम गुप्ता🚩* 🚩🌹🌻🌺🚩🌹🌻🌺🚩 *🚩🌹सफलता का मूल मंत्र है हर कार्य को भली-भांति सोच-समझकर करना और हर प्रश्न का उत्तर भी अच्छी तरह से सोच-विचार करने के उपरांत ही देना। कहा गया है कि बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय। बिल्कुल ठीक कहा गया है। गोस्वामी तुलसीदास भी मानस के अयोध्या कांड में एक स्थान पर लिखते हैं कि कोई भी काम हो यदि उचित-अनुचित का विचार करके किया जाए तो सब कोई उसे अच्छा कहते हैं। वेदों में भी यही कहा गया है।* *🚩🌹क्या हम सचमुच सोच-समझकर ही हर कार्य करते हैं? हमारा प्रयास तो यही रहता है कि जल्दबाजी में कोई ऐसा कार्य न हो जाए, जिससे लाभ के स्थान पर हानि हो जाए। या कोई ऐसी बात मुंह से न निकल जाए, जिससे हमारी प्रतिष्ठा अथवा हमारे व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। लेकिन क्या हम उसके औचित्य-अनौचित्य पर भी विचार करते हैं? वास्तव में हम किसी भी चीज का व्यावहारिक पक्ष देखते हैं। व्यावहारिकता बुरी बात नहीं लेकिन जब हम जरूरत से ज्यादा व्यावहारिक हो जाते हैं तो हमारी सोच का नैतिक पक्ष उतना ही कमजोर हो जाता है। व्यावहारिक होने के साथ-साथ यह भी अनिवार्य है कि हम उदात्त व सकारात्मक जीवन मूल्यों के पक्षधर भी हों।* *🚩🌹यदि किसी व्यक्ति से संबंध बनाए रखने से हमें किसी भी तरह का लाभ होता है तो हम प्रायः उस व्यक्ति की गलत बातों का भी विरोध नहीं करते। ये व्यावहारिक होते हुए भी उचित नहीं कहा जा सकता। गलत का विरोध न करना अथवा अपने हित के लिए गलत का समर्थन करना दोनों स्थितियां ही मनुष्यता के लिए घातक हैं। दूसरी ओर, यदि हमें कुछ अधिक आर्थिक लाभ होने की संभावना नजर आ रही होती है तो हम रिश्ते-नातों को भी भूल जाते हैं। भूल ही नहीं जाते, तोड़ भी डालते हैं। पैसों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं आपसी संबंध और एक दूसरे पर विश्वास। यदि हमें बहुत अधिक सोच-समझकर बात करने अथवा व्यवहार करने की जरूरत नजर आ रही है तो इसका सीधा-सा अर्थ है कि हमारा परस्पर विश्वास और हमारे आपसी संबंध खंडित हो चुके हैं अथवा खंडित होने के कगार पर हैं।* *🚩🌹हमारे सोच-समझकर काम करने अथवा बात करने का कोई महत्व नहीं यदि उससे झूठ-फरेब का साम्राज्य प्रतिष्ठित होता है और हमारा आपसी विश्वास खंडित होता है। ऐसी समझदारी का कोई मूल्य नहीं, जिससे घर-परिवार, समाज अथवा राष्ट्र विघटित होता है। हमारी ऐसी समझदारी, जिससे हमारे बच्चों में हमसे भी ज्यादा ऐसी समझदारी विकसित हो जाए सचमुच बहुत नुकसानदायक है। ज्यादा समझदारी वास्तव में हमारे लिए अभिशाप के समान होती है। हमारे अति समझदारी भरे निर्णयों का अन्य लोगों अथवा समाज पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा हम कम ही सोचते हैं क्योंकि हम आत्म-केंद्रित होते जा रहे हैं।* *🚩🌹घोर व्यावसायिकता व स्वार्थ परायणता से तटस्थ होकर ही हम सही निर्णय ले सकते हैं। इसके लिए ज्यादा समझदारी की जरूरत नहीं। मान लीजिए कि दिन में धूप खिली हुई है और कोई पूछे कि आज कैसा मौसम है तो इसका एक ही उत्तर होगा कि आज धूप खिली हुई है। इसमें सोचने की क्या बात है? जब कोई चीज पूरी तरह से स्पष्ट हो और हम बिना बात सोचें कि क्या जवाब देना है तो हम गलत नहीं बल्कि बहुत गलत दिशा में जा रहे हैं। यह संकेत है कि हम
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जरूरत से ज्यादा समझदार हो रहे हैं इसलिए अब थोड़ा नादान बनने का समय आ गया है।* *🚩🌹इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं कि हम सही दिशा में सोचना बंद कर दें। हम सही सोचें और गलत का स्पष्ट रूप से विरोध करें। हम अपनी अज्ञानता अथवा कमियों को छुपाने के लिए भी ज्यादा समझदारी की बातें करने लगे हैं। यह भी सच्चाई पर पर्दा डालने जैसी ही बात है। सच्चाई पर पर्दा डालने के लिए ही यदि हम भली-भांति सोच-समझकर बातें करते हैं तो इसे कैसे महत्व दिया जा सकता है? यदि हम सच्चाई पर पर्दा डालने की बजाय उसे सरलता से स्वीकार कर लें तो इससे बड़ी समझदारी की बात हो ही नहीं सकती।* *🚩🌹बच्चों को हम नादान कह देते हैं क्योंकि वे बिना सोचे-समझे कि इसका क्या परिणाम होगा सच बोल देते हैं। ये नादानी नहीं सरलता व निष्कपटता है। हमारे लिए भी यही श्रेयस्कर होगा कि हम बच्चों की तरह सरल व निष्कपट बनने का प्रयास करें। स्वाभाविकता के लिए किसी प्रकार के विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं होती। अस्वाभाविक, गलत अथवा काल्पनिक तथ्यों को स्थापित करने के लिए ही अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होती है। आज इस प्रकार के प्रयासों में ही हमारी अधिकांश उपयोगी ऊर्जा का दुरुपयोग हो रहा है। जो सरल व्यक्ति होता है उसकी ऊर्जा का दुरुपयोग नहीं होता। हमारी सोच-समझ ऐसी होनी चाहिए, जिससे सकारात्मक जीवन मूल्य प्रतिष्ठित हो सकें। यह तभी संभव है जब हमारी सोच केवल सकारात्मक हो और हम पक्षपात रहित होकर निडरतापूर्वक अपनी बात कहने का साहस जुटा पाएं।* 🚩🌻🌹🌺🚩🌻🌹🌺🚩 [11/02, 9:27 am] Devendra Kumar Sharma: 🌺🌹🙏🪴🌷🌸💐🌻🙏 *🌻🌺दिखावा और अपनी शान शौकत का अर्थहीन प्रदर्शन क्या जरूरी है।* *🌺शमीम शर्मा🌺* 🌺🌹🌻💐🌸🚩🌷🪴🙏 *🌹🌺जब समाज मोटरसाइकिल से इम्प्रेस होता है तो आम आदमी के पास साइकिल होती है। जब समाज कार से इम्प्रेस होता है तो आम आदमी के पास एक्टिवा होती है। जब जुगाड़ बिठाकर हम कार खरीद लेते हैं तो लोग कार से नहीं बल्कि खास ब्रांड की कार से इम्प्रेस होते हैं। यह ब्रांड हमारे बलबूते के बाहर का बिच्छू होता है।* *🌹🌺समाज का एक वर्ग विशेष ऐसा है जो सदा दूसरों को प्रभावित करने में ही जुटा रहता है। पर अब लोगों ने इम्प्रेस होना छोड़ दिया है। दौलत, शोहरत और रुतबे की धौंस अब कोई नहीं सहन करता। कौन क्या खरीद रहा है, क्या खा-पहन रहा है, सब अर्थहीन हो चुका है। सब अपनी धुन में पूरी तरह रम चुके हैं। समय तो वह भी था जब कोई नयी साइकिल खरीदता तो पड़ोसी हाथ लगा-लगा कर देखा करते। किसी के घर नया टीवी-वीसीआर आता तो पूरी गली के लिये कौतूहल हुआ करता। यह वह समय था जब लोगों को नयी खरीद करने में भी आनंद आता था और देखने वालों को भी। अब कौन परवाह करता है टीवी छत्तीस इंची लाओ या छप्पन इंची, सब निस्सार है। झूठी शान और आडम्बर अच्छे-अच्छों की छाती पर बुलडोजर-सा लेवल कर देते हैं।* *🌹🌺अब धनवानों के तो समय ने छक्के छुड़ा दिये हैं। बड़े-बड़े बंगलों में बड़े-बड़े लोग और एक बड़ी-सी मेज पर सजे हुए थाल में बिना तड़के की दाल, उबली-सब्जियां, बिना घी चुपड़ी रोटी। खाने के बाद बगैर चीनी-दूध की चाय। और आखिर में एक छोटी-सी डिबिया में से पांच-सात किस्म-किस्म की गोलियां। ले लो मजे। और करो तिया-पांचा कि कुछ मनभावन खा भी न सको।* *🌹🌺गांवों में और खेतों की ढाणियों में या कस्बों और शहरों के गली-मोहल्लों में सहज जीवनयापन करने वाले लोग घी, दूध, मलाई-मिठाई में आठों पहर निमग्न रह रहे हैं। ग्रीन टी का तो उन्हें बोध ही नहीं है। हां, दूध में पत्ती चलती है और सुबह-सांझ की गोलियों से वे नावाकिफ हैं। दिखावे के चक्कर में बड़े घरों में न भाईचारा बचा और न ताईचारा। पैसे की हूक में भाई क्या और ताई क्या, सब मुंहफोड़ी में लगे हैं।* 🌸💐🙏🪴🌷🌺🚩🌹🌸
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*♦️💠2018 में आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ था कि यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार ने 7500 से 9000 फोन कॉल्स पर नजर रखने के आदेश जारी किए थे, इसके अलावा 500 ईमेल्स की भी निगरानी की जाती थी| 2019 में ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया| 2021 में अमेरिकी अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' की एक खबर ने भारत में सियासी भूचाल ला दिया था| प्राइवेट इस्राइली सॉफ्टवेयर 'पेगासस' का इस्तेमाल कर भारत में करीब 300 लोगों की जासूसी की गई| इनमें मंत्री, राजनेता, जज और पत्रकार भी शामिल थे|* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 [10/02, 3:59 pm] Devendra Kumar Sharma: ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠हिंसा अस्वीकार्य* *♦️💠कानून के रखवालों पर हमला दुर्भाग्यपूर्ण* *🌻🌺दैनिक ट्रिब्यून🌺🌻* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠बुधवार को चंडीगढ़ की सीमा पर हिंसक भीड़ द्वारा पुलिसकर्मियों पर जो घातक हमला किया गया, वह दुर्भाग्यपूर्ण ही है। कुछ बंदियों की रिहाई के लिये मुख्यमंत्री आवास घेरने जा रहे लोगों को रोकने के बाद जो अराजक दृश्य देखे गये, वे कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिये बड़ी चुनौती पैदा करते हैं। पुलिसकर्मियों पर तलवारों से हमला, कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटना और गाड़ियों को तोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण ही है। दुखद यह है कि महिला पुलिसकर्मियों को भी नहीं बख्शा गया। नौकरशाहों व शांत तथा प्रबुद्ध लोगों के शहर में इस तरह की घटना विचलित करने वाली है। अपनी समृद्ध विरासत और प्रगतिशील परंपरा के लिये पहचाने जाने वाले सिटी ब्यूटीफुल की पुलिस को कमोबेश सभ्य-सहज व्यवहार करने के लिये जाना जाता है। विडंबना यह है कि यहां की पुलिस व प्रशासन को दो प्रदेशों की राजधानी होने की कीमत चुकानी होती है। इसे उन विवादों की आंच में झुलसना पड़ता है, जो मूल रूप से पंजाब व हरियाणा से जुड़े होते हैं।* *♦️💠निस्संदेह, हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी है। उसे हक है कि वह अपनी बात को रखे, लेकिन उसका आंदोलन मर्यादित होना भी जरूरी है ताकि अन्य लोगों की अभिव्यक्ति व जीने के अधिकार का अतिक्रमण न हो। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ के पुलिस-प्रशासन ने शहर के नागरिकों को आये दिन होने वाले आंदोलन से अप्रभावित रखने तथा नियमों के सांचे में ढली यातायात व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिये सेक्टर 25 में अलग आंदोलन स्थल की व्यवस्था की है, लेकिन कतिपय उग्र सोच के लोग सड़कों पर आंदोलन करने लग जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींच कर सुर्खियों में बना रहा जाये। कुछ ऐसा ही घटनाक्रम किसान आंदोलन के दौरान देखा गया था, जिसकी तपिश दिल्ली व लाल किले तक महसूस हुई थी। चंडीगढ़ में पुलिसकर्मियों के साथ जो दुर्व्यवहार व हिंसा हुई वह बताता है कि देश के अन्य भागों में पुलिस क्यों ऐसे मामलों में आक्रामक और प्रतिकारी बन जाती है।* *♦️💠दरअसल, पंजाब में राजनीतिक हिंसा व धर्म विशेष को लेकर होने वाले आंदोलनों के बारे में आम धारणा रही है कि पंजाब में जब भी धार्मिक संगठनों में पैठ रखने वाला एक राजनीतिक दल सत्ता से बाहर होता है, तब-तब ऐसे उग्र सोच के लोग पुलिस व प्रशासन को चुनौती देते नजर आते हैं। ऐसा विगत में भी खूब होता है।* *♦️💠विडंबना यह है कि समाज में बेरोजगार युवा इस अभियान के साथ जुड़ जाते हैं, जिनका इस्तेमाल आतिवादी घटनाओं को अंजाम देने में किया जाता है। इस तरह के घटनाक्रमों से चंडीगढ़ व पंजाब की शांति भंग होती है और कानून व्यवस्था का संकट पैदा होता है। कहीं न कहीं ये घटनाक्रम राजनीति व धर्म के घालमेल के खतरों की ओर भी इशारा करता है।* *♦️💠उल्लेखनीय है कि वर्ष 1985 में चंडीगढ़ में ऐसे ही घटनाक्रम के दौरान विरोध करने वाले लोग हिंसक हो गये थे और पुलिस को मजबूरन गोली चलानी पड़ी थी। पंजाब विधानसभा का घेराव करने जा रहे आंदोलनकारियों व पुलिस के बीच एमएलए होस्टल के निकट हिंसक संघर्ष हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी। बुधवार के घटनाक्रम में भी यही स्थितियां पैदा हो सकती थीं, यदि पुलिस संयम का परिचय नहीं देती। लेकिन इसका खमियाजा चंडीगढ़ पुलिस को अपने दो दर्जन कर्मियों के घायल होने के रूप में चुकाना पड़ा।* *♦️💠निस्संदेह, ये अप्रिय स्थितियां अस्वीकार्य हैं और चंडीगढ़ के पुलिस प्रशासन को भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये कारगर रणनीति बनानी होगी। कई बार कुछ मामलों में प्रशासन व सरकार विशेष से जुड़े लोग वाजिब मुद्दों की अनदेखी करते हैं, जिससे आंदोलित वर्ग के लोगों में हताशा व आक्रोश जन्म लेता है। यदि समय रहते इस प्रेशर को नियंत्रित कर लिया जाये तो हिंसा की घटनाओं को टाला जा सकता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे चरमपंथी आंदोलनों की पंजाब ने बड़ी कीमत चुकाई है। यदि देश व विदेश में बैठे चंद भ्रमित लोग निहित स्वार्थों के लिये हिंसक घटनाक्रम के लिये उकसाते हैं तो पंजाब को कालांतर
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🕉️🌻🚩🌺🕉️🌻🚩🌺🕉️🌻 [11/02, 9:27 am] Devendra Kumar Sharma: 🚩🕉️🔱🚩🕉️🔱🚩🕉️🔱 *🕉️🔱10 चीजें भगवान शिव आपको आपके स्वास्थ्य के बारे में सिखाते हैं* *🌹सत्य नारायणन,🌹* 🚩🔱🕉️🚩🔱🕉️🚩🔱🕉️ *🕉️🔱भगवान शिव का दिव्य रूप देखने में हमेशा विस्मयकारी और सुकून देने वाला होता है। भगवान के सौम्य और प्रतापी रूप को देखकर, हमें आत्मविश्वास मिलता है और लगता है कि हमारी चिंताएं दूर हो गई हैं। वास्तव में, भक्ति को प्रेरित करने से अधिक, भगवान शिव का रूप हमारे स्वास्थ्य के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में भी हमारी आंखें खोल सकता है।* *🕉️🔱उलझे हुए बाल: विचार, वचन और कर्म की एकता* *🕉️🔱शिव के सुंदर उलझे हुए बाल हैं। बालों के मुक्त बहने वाले तारों को एक साथ एक सामंजस्यपूर्ण बंडल में घुमाकर जिसमें वे सभी शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में हों। यह हमें मन, वचन और कर्म के सामंजस्य को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है, जो स्वास्थ्य और खुशी प्राप्त करने की कुंजी है। हमें वही कहना चाहिए जो हम सोचते हैं और हमें वही करना चाहिए जो हम कहते हैं। तब तुम शांत हो जाओगे और हृदय रोग, चिड़चिड़ापन, अम्लता और सिर दर्द नहीं होगा।* *🕉️🔱तीसरा नेत्र: भविष्य दृष्टि* *🕉️🔱भगवान शिव की तीसरी आंख भविष्य की दृष्टि से मेल खाती है जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। यदि आप हमेशा अपने कार्यों के परिणामों का पूर्वाभास करने की कोशिश करते हैं, तो आपको जीवन में अधिक सतर्क कदम उठाने होंगे। अपने विचारों को लागू करें और हानिकारक प्रथाओं और खाने की आदतों से दूर रहें जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं।* *🕉️🔱त्रिशूल: आत्म नियंत्रण* *🕉️🔱त्रिशूल बुद्धि के उपयोग से आपके शरीर, मन और अहंकार पर नियंत्रण की शक्ति को इंगित करता है। अपनी बुद्धि को लागू करें और जांचें कि आप क्या सोचते हैं और आप क्या करते हैं और आप क्या महसूस करते हैं। एक बार जब आप इन प्रवृत्तियों को नियंत्रित करते हैं और सही काम करने के लिए उनका मार्गदर्शन करते हैं, तो आप अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप तय करते हैं कि कुछ सही है, तो उसे करें और अगर आपको पता है कि कुछ गलत है, तो उससे दूर रहें। तब आप सबसे खुश और स्वस्थ व्यक्ति हैं।* *🕉️🔱मननशील मुद्रा: कुछ समय अपने लिए बिताएं* *🔱🕉️अपने व्यस्त जीवन में, हम शायद ही खुद को याद करते हैं। हम जो काम करते हैं और दूसरों के साथ चलते हुए उसमें खो जाते हैं। जब हम प्रतिदिन कम से कम कुछ समय अकेले बैठकर कुछ आत्मनिरीक्षण करेंगे तभी हमें पता चलेगा कि हम जो कर रहे हैं वह सही है या गलत। इससे हमें अपने व्यवहार और कार्यों के बारे में अच्छी तरह से सूचित रहने में मदद मिलेगी। मेडिटेशन गैस्ट्रिक और दिल की समस्याओं से बचने में मदद करता है।* *🕉️🔱पवित्र राख: भूल जाओ और माफ कर दो* *🔱🕉️हमारे सभी बुरे स्वभाव ईर्ष्या और घृणा के कारण हैं। पवित्र राख हमें याद दिलाती है कि जीवन में सब कुछ अस्थायी है और किसी बिंदु पर गायब हो जाना तय है। इसलिए, हमारे मन की शांति को नष्ट करने वाली ईर्ष्या या घृणा महसूस करने का कोई कारण नहीं है। आइए हम चीजों को वैसे ही छोड़ दें जैसे वे करते हैं और अपनी भूमिका निभाने की पूरी कोशिश करते हैं चाहे वह लोगों के साथ हो या जीवन के अनुभवों के साथ। यह सकारात्मक दृष्टिकोण हमारे शरीर में बहुत सी असुविधाओं और बीमारियों को दूर करने में हमारी मदद करेगा।* *🕉️🔱नीली गर्दन: गुस्से पर काबू रखें* *🔱🕉️दुनिया को उसके घातक आक्रमण से बचाने के लिए भगवान शिव ने विष को निगल लिया था। वह इसे हमेशा अपने कंठ में जमा करके रखता है, न तो बाहर जाने देता है और न ही अपने भीतर। इसलिए हमें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए। क्रोध को दबाने से चिंता, तनाव और अवसाद पैदा होगा। इसे व्यक्त करना हमें तनावग्रस्त और बेकाबू बना देगा। इसलिए, पर्याप्त पूर्वाभास के माध्यम से इसे नियंत्रण में रखने से हमें अस्थमा, एसिडिटी, एनजाइना और अन्य बीमारियों से मुक्त रहने में मदद मिलेगी।* *🕉️🔱ढमरू: इच्छाओं पर नियंत्रण* *🕉️🔱हर शारीरिक या मानसिक परेशानी असंतोष की भावना से शुरू होती है। ढमरू या ढोल हमें अवांछित इच्छाओं को त्यागने और अपने मन को मुक्त और अदूषित रखने की याद दिलाता है। यह खाने में संयम का मार्ग प्रशस्त करेगा, जंक फूड से परहेज करेगा, द्वेषपूर्ण और चिंतित मन की स्थिति से परहेज करेगा और इस तरह एक उचित स्वास्थ्य और मन की शांति सुनिश्चित करेगा।* *🕉️🔱गंगा: अपने शरीर और मन को शुद्ध करें*
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में फिर इस त्रासदी का सामना करना पड़ेगा।* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 [11/02, 9:27 am] Devendra Kumar Sharma: 🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🕉️🚩🕉️ *🚩🕉️माता यशोदा की अनसुनी कथा, जानिए यहां* *🌻🌺वेबदुनिया🌺🌻* 🕉️🌻🌺🚩🕉️🌻🌺🚩🕉️🌻 *🚩🕉️पौराणिक ग्रंथों में यशोदा को नंद की पत्नी कहा गया है। भागवत पुराण में यह कहा गया है देवकी के पुत्र भगवान श्री कृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ। कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव जन्म के बाद आधी रात में ही उन्हें यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका पालन पोषण यशोदा ने किया।* *🚩🕉️भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं। जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखनचोरी और उसके आरोप में ओखल से बांध देने की घटनाओं का सूरदास ने सजीव वर्णन किया है। यशोदा ने बलराम के पालन पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था।* *🚩🕉️वसुश्रेष्ठ द्रोण और उनकी पत्नी धरा ने ब्रह्माजी से यह प्रार्थना की - 'देव! जब हम पृथ्वी पर जन्म लें तो भगवान श्री कृष्ण में हमारी अविचल भक्ति हो।' ब्रह्माजी ने 'तथास्तु' कहकर उन्हें वर दिया। इसी वर के प्रभाव से ब्रजमंडल में सुमुख नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से धरा का जन्म यशोदा के रूप में हुआ। और उनका विवाह नंद से हुआ। नंद पूर्व जन्म के द्रोण नामक वसु थे। भगवान श्री कृष्ण इन्हीं नंद-यशोदा के पुत्र बने।* *🚩🕉️पुत्र जन्म :- श्री यशोदा जी चुपचाप शांत होकर सोई थीं। रोहिणी जी की आंखें भी बंद थीं। जब वसुदेव ने यशोदा की पुत्री को उठाकर कान्हा को यशोदा के पास सुलाया तो अचानक सूतिका गृह अभिनव प्रकाश से भर गया। सर्वप्रथम रोहिणी माता की आंख खुली। वे जान गई कि यशोदा ने जन्म दिया है।* *🚩🕉️रोहिणी जी दासियों से बोल उठीं- 'अरी! तुम सब क्या देखती ही रहोगी? कोई दौड़कर नंद को सूचना दे दो।' फिर क्या था, दूसरे ही क्षण सूतिकागार आनंद और खुशियों के कोलाहल में डूब गया। एक नंद को सूचना देने के लिए दौड़ी। एक दाई को बुलाने के लिए गई। एक शहनाई वाले के यहां गई। चारों ओर आनंद का साम्राज्य छा गया।* *🚩🕉️विधिवत जातकर्म संस्कार संपन्न हुआ। नंद ने इतना दान दिया कि याचकों को और कहीं मांगने की आवश्यकता ही समाप्त हो गई। संपूर्ण ब्रज ही मानो प्रेमानंद में डूब गया। माता यशोदा बड़ी ललक से हाथ बढ़ाती हैं और अपने हृदयधन को उठा लेती हैं तथा शिशु के अधरों को खोलकर अपना स्तन उसके मुख में देती हैं। भगवान शिशुरूप में मां के इस वात्सल्य का बड़े ही प्रेम से पान करने लगते हैं।* *🚩🕉️कंस के द्वारा भेजी हुई पूतना अपने स्तनों में कालकूट विष लगाकर गोपी-वेश में यशोदा नंदन श्री कृष्ण को मारने के लिए आई। उसने अपना स्तन श्री कृष्ण के मुख में दे दिया। श्री कृष्ण दूध के साथ उसके प्राणों को भी पी गए। शरीर छोड़ते समय श्री कृष्ण को लेकर पूतना मथुरा की ओर दौड़ी। उस समय यशोदा के प्राण भी श्री कृष्ण के साथ चले गए। उनके जीवन में चेतना का संचार तब हुआ, जब गोप-सुंदरियों ने श्री कृष्ण को लाकर उनकी गोद में डाल दिया।* *🚩🌻शकटासुर का अंत :- यशोदानंदन श्री कृष्ण क्रमश: बढ़ने लगे। मैया का आनंद भी उसी क्रम में बढ़ रहा था। जननी का प्यार पाकर श्री कृष्णचंद्र इक्यासी दिनों के हो गए। मैया आज अपने सलोने श्री कृष्ण को नीचे पालने में सुला आई थीं। कंस-प्रेरित उत्कच नामक दैत्य आया और शकट में प्रविष्ट हो गया। वह शकट को गिराकर श्री कृष्ण को पीस डालना चाहता था। इसके पूर्व ही श्री कृष्ण ने शकट को उलट दिया और शकटासुर का अंत हो गया।* *🚩🕉️कृष्ण का मथुरा जाना :- भगवान श्री कृष्ण ने माखन लीला, ऊखल बंधन, कालिया उद्धार, गोचारण, धेनुक वध, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख प्रदान किया। इस प्रकार ग्यारह वर्ष छ: महीने तक माता यशोदा का महल श्री कृष्ण की किलकारियों से गूंजता रहा। आखिर श्री कृष्ण को मथुरा पुरी ले जाने के लिए अक्रूर आ ही गए। अक्रूर ने आकर यशोदा के हृदय पर मानो अत्यंत क्रूर वज्र का प्रहार किया। पूरी रात श्री नंद जी श्री यशोदा को समझाते रहे, पर किसी भी कीमत पर वे अपने प्राणप्रिय पुत्र को कंस की रंगशाला में भेजने के लिए तैयार नहीं हो रही थीं।* *🚩🌺आखिर योगमाया ने अपनी माया का प्रभाव फैलाया। यशोदा जी ने फिर भी अनुमति नहीं दी, केवल विरोध छोड़कर वे अपने आंसुओं से पृथ्वी को भिगोने लगीं। श्री कृष्ण चले गए और यशोदा विक्षिप्त-सी हो गईं उनका हृदय तो तब शीतल हुआ, जब वे कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण से मिलीं। राम-श्याम को पुन: अपनी गोद में बिठाकर माता यशोदा ने नवजीवन पाया। अपनी लीला समेटने से पहले ही भगवान ने माता यशोदा को गोलोक भेज दिया।*
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*♦️💠वैसे तो विनय सक्सेना केजरीवाल सरकार के खिलाफ कई मामलों में जांच के आदेश दे चुके हैं, जिनकी जांच चल भी रही है| आम आदमी पार्टी ने उन सब आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है, लेकिन यह मामला अलग है| इस मामले में जांच की इजाजत खुद सीबीआई ने मांगी थी|* *♦️💠असल में दिल्ली सरकार में एक अधिकारी ने सीबीआई को चिठ्ठी लिख कर बताया था कि जैसे भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर केजरीवाल सरकार ने आनन फानन में अपनी शराब नीति वापस ले ली थी, ठीक उसी तरह 2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट की शिकायत पर केजरीवाल सरकार ने विरोधियों की जासूसी करने के लिए बनाया यूनिट बंद कर दी थी, जिस पर जनता के धन का करोड़ों रूपए खर्च किया गया था| सीबीआई ने खुद से शुरुआती जांच की तो आरोप सही पाए गए, आगे जांच के लिए सीबीआई ने उपराज्यपाल से केस दर्ज करने की इजाजत मांगी थी| अपनी रिपोर्ट में खुद सीबीआई ने उस विशेष यूनिट द्वारा राजनेताओं की की जासूसी करने की बात कही है|* *♦️💠आम आदमी पार्टी ने 2015 में सत्ता में आने के बाद राजनीतिक जासूसी करवाने के लिए यह यूनिट विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत बनाया था, जिसका नाम फीडबैक यूनिट रखा गया| 29 सितंबर 2015 को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने खुद कैबिनेट में फीडबैक यूनिट बनाने का प्रस्ताव रखा, इसके साथ कोई कैबिनेट नोट नहीं दिया गया| फीडबैक यूनिट के गठन के वक्त एक करोड़ रुपये दिए गए| इस फंड का नाम सीक्रेट सर्विस फंड रखा गया| यूनिट का हेड भी पैरामिलिट्री फोर्स से रिटायर्ड अधिकारी को बनाया गया था|* *♦️💠फरवरी 2016 से फीडबैक यूनिट ने काम करना शुरू किया, उस वक्त इसमें 17 लोग काम करते थे, ये सभी अनुबंधित कर्मचारी थे, जो सभी पैरामिलिट्री फोर्स और आईबी से रिटायर्ड थे| फीडबैक यूनिट ने 700 केसों की जांच की, इनमें आधे मामले राजनीतिक थे| जब विजिलेंस अधिकारियों को पता चला कि फीडबैक यूनिट का इस्तेमाल नेताओं की जासूसी के लिए किया जा रहा है, तो उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज की, जिस पर आनन फानन में इस यूनिट को बंद कर दिया गया|* *♦️💠हालांकि रिकार्ड मौजूद है कि खुद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कैबिनेट बैठक में फीडबैक यूनिट बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने सीबीआई को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की इजाजत दी है| अब पता नहीं कि ऐसा क्यों किया गया, आने वाले दिनों में जब जांच शुरू होगी, तो स्वाभाविक है कि उप मुख्यमंत्री सिसोदिया नहीं, बल्कि खुद केजरीवाल भी जांच के घेरे में आयेंगे| वैसे सिसोदिया के साथ ही छह अन्य लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज होगा, जिसमें एक आईएएस अधिकारी भी शामिल है|* *♦️💠अपने विरोधियों की जासूसी करवाने के लिए अलग अलग तरह के हथकंडे इस्तेमाल किए जाते रहे हैं| इनमें सबसे ज्यादा हथियार फोन टैपिंग का रहा है| फोन टैपिंग की शुरूआत तो पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने में ही हो गई थी| उस समय यह आरोप लगाने वाले कोई और नहीं खुद संचार मंत्री रफी अहमद किदवई थे, जिन्होंने गृहमंत्री सरदार पटेल पर आरोप लगाया था| सेना प्रमुख जनरल केएस थिमाया ने 1959 में कुछ ऐसा ही खुलासा किया था| सेना के दो शीर्ष अफसरों के फोन टैप होने की खबर बाहर आई थी| 1962 में नेहरू सरकार के ही एक और मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने फोन टेप होने का आरोप लगाया था|* *♦️💠1988 में रामकृष्ण हेगड़े को फोन टैप मामले में ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था| 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को फोन टैपिंग एवं जासूसी प्रकरण के आरोप के चलते कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने पर सत्ता से बाहर होना पड़ा था| 2000 के दशक में सपा नेता मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह भी फोन टेपिंग का शिकार बने थे| 2007 में दिग्विजय सिंह का फोन टैप हुआ था| 2007 में नीतीश कुमार का भी फोन टैप हुआ था, फिर 2013 में खुद उन पर फोन टैपिंग का आरोप लगा|* *♦️💠यूपीए सरकार में पी. चिदंबरम जब गृहमंत्री थे, तो उन्होंने दिग्विजय सिंह, नीतीश कुमार, शरद पवार और माकपा नेता प्रकाश करात के फोन टैप करवाए थे| अरुण जेटली और ए.के एंटनी तक के फोन टैप हुए| वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के9 दफ्तर में मॉनिटरिंग डिवाइस मिला था| जून 2011 में वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री पी चिंदबरम में विवाद चल रहा था| तब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिठ्ठी लिख कर कहा था कि उन्हें संदेह है कि उनके ऑफिस की जासूसी हो रही है| 2013 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह ने फोन टैपिंग का आरोप था|*
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*♦️💠करमजीत सिंह ने कहा, “मुझे दो महीने पहले एक मीटर पर शून्य बिल मिला था। लेकिन इस माह दोनों मीटरों का बिल जीरो आया है। मैं बिल का भुगतान कर सकता हूं। मैं उस संगठन के लिए समर्पित हूं जिसकी मैंने इतने वर्षों तक सेवा की है। मैं नहीं चाहता कि इसे धन की कमी का खामियाजा भुगतना पड़े।” सूत्रों ने कहा कि विभाग पहले से ही धन की कमी से जूझ रहा है, आने वाले दिनों में चीजें और खराब हो सकती हैं, जब गर्मी और धान की रोपाई के मौसम में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे खरीदना होगा। एक अधिकारी ने कहा, “हम नहीं जानते कि हम इससे कैसे निपटेंगे। मैं लोगों से कह सकता हूं कि बिजली कटौती के लिए तैयार रहें।”* *♦️💠जुलाई से शुरू होने वाले सात महीनों के लिए केवल मुफ्त 300 यूनिट के लिए पीएसपीसीएल का सब्सिडी बिल 3433 करोड़ रुपये है, जब मुफ्त बिजली देनी शुरू की गई थी। पिछले साल जुलाई में यह 82.47 करोड़ रुपये था जब इसके 62 प्रतिशत उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का लाभ मिला। अगस्त में यह बढ़कर 638.76 करोड़ रुपये हो गया, जिससे 67 प्रतिशत आबादी लाभान्वित हुई।* *♦️💠सितंबर में, यह 732.27 करोड़ रुपये था, जिसमें 70 प्रतिशत आबादी शामिल थी। अक्टूबर में, बिल 686.98 करोड़ रुपये था क्योंकि मुफ्त बिजली शहर के 76 प्रतिशत निवासियों को लाभान्वित करती थी। नवंबर में, मुफ्त बिजली की लागत 522 करोड़ रुपये थी, जिसमें 86 प्रतिशत आबादी शामिल थी और दिसंबर और जनवरी में यह क्रमशः 388 रुपये और 381 करोड़ रुपये थी।* *♦️💠कुछ दिन पहले पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (PSEB) इंजीनियर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को वित्तीय और बिजली संकट की चेतावनी देते हुए पत्र लिखा था। अपने पत्र में, उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सरकार का वार्षिक बिजली सब्सिडी बिल 19,000 करोड़ रुपये को पार करने की उम्मीद है, जिसमें कृषि और घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं को मुफ्त / सब्सिडी वाली बिजली शामिल है। एसोसिएशन ने कहा कि अगर लंबित राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो पंजाब का बिजली क्षेत्र मानव निर्मित वित्तीय और बिजली संकट की ओर बढ़ सकता है।* *♦️💠एसोसिएशन ने बिजली सब्सिडी के बारे में अपनी गणना पर भी राज्य सरकार से सवाल किया, जिसे सरकार को PSPCL को भुगतान करना है। असोसिएशन के मुताबिक, सरकार ने ‘जानबूझकर’ करीब 7,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी राशि को कम करके आंका है और अब इस भारी अंतर को भरने के लिए कोई बजट प्रावधान नहीं है। PSPCL को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेकर इन फंडों की व्यवस्था स्वयं करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कर्ज से आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कुल लागत बढ़ जाएगी।* *♦️💠जब सरकार आम आदमी पार्टी के चुनाव पूर्व के वादे को पूरा करने के लिए निवासियों को 300 यूनिट मुफ्त में देने की नीति बना रही थी, तब टेक्नोक्रेट्स ने सरकार को सुझाव दिया था कि उपभोक्ताओं के पास इससे बाहर निकलने का दिल्ली सरकार की नीति की तर्ज पर नीति का विकल्प होना चाहिए। विकल्प पर चर्चा की गई थी लेकिन शामिल नहीं किया गया था।* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 [10/02, 3:59 pm] Devendra Kumar Sharma: ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *🌻वन इंडिया विशेष🌻* *♦️💠दिल्ली में विजिलेंस की आड़ में राजनीतिक जासूसी* *♦️💠अपने विरोधियों की जासूसी करवाने के लिए अलग अलग तरह के हथकंडे इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा हथियार फोन टैपिंग का रहा है। दिल्ली के उप राज्यपाल ने ऐसे ही एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।* *🌻🌺Ajay Setia🌻🌺* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल से ही न सिर्फ फोन टैपिंग के आरोप लगते रहे बल्कि फोन टैपिंग होती भी रही| राम कृष्ण हेगड़े को मुख्यमंत्री पद से और चन्द्रशेखर को प्रधानमंत्री पद से फोन टैपिंग के मामलों में ही इस्तीफे देने पड़े थे| फोन टैपिंग जासूसी के लिए ही की जाती है| लेकिन अब एक नए मामले में दिल्ली सरकार ने अपने विरोधियों की जासूसी करने और उनके फोन टैप करवाने के लिए विजिलेंस विभाग में बाकायदा एक यूनिट ही खोल दी| जिसमें आईबी और अर्धसैनिक बलों के 17 रिटायर्ड अधिकारियों को कांट्रेक्ट पर नियुक्त किया गया| जब विजिलेंस डिपार्टमेंट को पता चला कि यह यूनिट तो राजनीति जासूसी के लिए बनाई गयी है, तो डिपार्टमेंट की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने आनन फानन में यूनिट ही बंद कर दी|* *♦️💠सरकारों पर अपने राजनीतिक विरोधियों का फोन टैपिंग करवाने के आरोप लगते रहे हैं।* *♦️💠लेकिन देश के इतिहास में यह पहला मामला है जहां अपने राजनीतिक विरोधियों की जासूसी के लिए विशेष यूनिट खोल कर सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया| दिल्ली के उप राज्यपाल विनय सक्सेना ने दिल्ली सरकार के इस निर्णय की सीबीआई की जांच के आदेश दिए हैं|*
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*♦️💠शास्त्रीजी और सरदार पटेल उन लोगों में से हैं जिनकी स्मृतियों के साथ भी कांग्रेस ने विश्वासघात (गद्दारी) की है। इन्हीं शास्त्रीजी ने वीर सावरकर को अपने कार्यकाल में सम्मान देकर उनकी अतुल्य देशभक्ति को नमन किया था।* *♦️💠मुंबई के ‘आलमगीर’ साप्ताहिक ने समाचार प्रकाशित किया था, उसने 28 मई 1963 को सावरकर की 80वीं जयंती के अवसर पर लिखा था कि-‘‘राष्ट्रपति के निवृत्ति वेतन में भी बढ़ोत्तरी की गयी है। परंतु जिनके त्याग के कारण हमारे राष्ट्रपति उस पद पर आरूढ़ हो सके, उन त्यागवीर सावरकरजी के प्रति अत्यंत उपेक्षा का व्यवहार भारत में हो रहा है।’’* *‘♦️💠आलमगीर’ की यह पीड़ा उस समय के सभी राष्ट्रभक्त देशवासियों की पीड़ा थी। जिस पर अक्टूबर 1964 में लालबहादुर शास्त्री जी ने ध्यान दिया। जिन्होंने शासक की नीतियों में सुधार करते हुए सावरकरजी की देशभक्ति को सम्मानित करने का विचार किया, उन्होंने सावरकर जी को कुछ मासिक मानधन देने का निर्णय लिया। इस पर सावरकरजी ने कहा-‘‘यदि मेरी देशसेवा के ही उपलक्ष्य में यह मानधन दिया जा रहा है तो ही मैं स्वीकार करूंगा।’’ शास्त्रीजी ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। फलस्वरूप सावरकरजी को 300 रूपये मानधन दिया जाने लगा। इस प्रकार शास्त्रीजी की कांग्रेस ने सावरकरजी के बारे में अपनी भूल सुधार करते हुए उस पर प्रायश्चित कर लिया था। जिसे इंदिरा गांधी ने भी न्यूनाधिक यथावत स्वीकृति प्रदान की, शास्त्रीजी के काल से ही सावकरजी द्वारा रचित ‘‘जयोअस्तुते श्री मन्मंगले’’ जैसा स्वतंत्रता स्तोत्र आकाशवाणी से गाया जाने लगा। यह तो थी सम्मान की बात।* *♦️💠उधर देश के दूसरे राष्ट्रपति राधाकृष्णन भी थे, जिन्होंने श्री कृष्ण भाटिया को उनकी सिंधी पत्रिका ‘अमर ज्योति’ के जून 1965 ‘सावरकर विशेषांक’ के लिए अपना शुभकामना संदेश देना भी उचित नही माना था। इतना ही नही बड़ौदा के प्राध्यापक श्री इ.ऋ देसाई जी ने सावरकरजी के ‘मरणोमुख शरयेवर’ इस अनुपम काव्य का अंग्रेजी पद्यानुवाद किया था। उन्होंने भी राधाकृष्णन जी से इसकी भूमिका लिखने का अनुरोध किया था, उसे भी राष्ट्रपति ने बड़ी चतुराई से ठुकरा दिया। इसे ‘असहिष्णुता’ का कांग्रेसी संस्करण कहा जाना ही उचित होगा।* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 [10/02, 3:59 pm] Devendra Kumar Sharma: ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *🌻वन इंडिया विशेष🌻* *♦️💠अडानी मुद्दे पर लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण के अंश क्यों निकाले गए, क्या कहता है नियम ?* *♦️💠अडानी मसले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर से लोकसभा में दिए भाषण के कुछ हिस्से हटाने पड़े हैं। स्पीकर के पास एक निर्धारित संसदीय प्रक्रिया के तहत ऐसे कदम उठाने का अधिकार है। इसके वाकायदा नियम बने हुए हैं।* *♦️💠Anjan Kumar Chaudhary* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार यानि 7 फरवरी, 2023 को लोकसभा में अरबपति कारोबारी गौतम अडानी के मुद्दे पर जो भाषणा दिया था, उसके कुछ अंश लोकसभा स्पीकर के आदेश से संसद के रिकॉर्ड से बाहर कर दिए गए हैं। संसद में कही गई बातों से कुछ शब्द, वाक्य, अंश,भाव या अभिव्यक्ति को हटाना सामान्य तौर पर संसदीय नियमों की एक सामान्य प्रक्रिया है। किसी भी सदस्य के भाषण के किसी भी हिस्से को हटाने का फैसला पूरी तरह से सदन के पीठासीन अधिकारी या आसन के अधिकार क्षेत्र में आता है। लेकिन, यह सब संसदीय नियमों के तहत होता है।* *♦️💠संविधान के तहत सांसदों को मिली छूट* *♦️💠संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत, 'संसद का कोई भी सदस्य किसी प्रक्रिया के दौरान संसद या उसकी किसी भी समिति में कही गई बातों के लिए अदालत में किसी भी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।' लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि कोई सदस्य जो मर्जी आए सदन में कुछ भी कहकर या अभिव्यक्ति जताकर चला जाए। इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं। संसद में सांसदों का भाषण संसद के नियमों के तहत अनुशासन के दायरे में आता है। यह सांसदों के 'विवेक' और स्पीकर के नियंत्रण से बंधा हुआ है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई संसद सदस्य सदन के अंदर, 'अपमानजनक या अशोभनीय या अभद्र या असंसदीय शब्दों' का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।* *♦️💠संसद के रिकॉर्ड से शब्द निकालने के नियम क्या हैं ?* *♦️💠लोकसभा में कार्यवाही के संचालन का नियम 380 (हटा देना या निष्कासन) कहता है, 'अगर स्पीकर की राय में बहस के दौरान इस्तेमाल हुए शब्द अपमानजनक या अशोभनीय या असंसदीय या अभद्र हैं, तो स्पीकर अपने विविकाधिकार का प्रयोग करके उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटा देने का आदेश दे सकता है।' नियम 381 कहता है 'इस तरह से सदन की कार्यवाही का जो हिस्सा हटाया जाता है, उसे तारांकित किया जाएगा और कार्यवाही में निम्नानुसार एक विवरणात्मक फुटनोट डाला जाएगा: आसन के आदेशानुसार हटाया गया।'* *'♦️💠असंसदीय' अभिव्यक्ति क्या है ?*
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*🚩⚜️ऐसे व्यक्ति अतृप्त इच्छाओं से भरे होते हैं और अशुद्ध संकल्प के साथ कार्य करते हैं। काम और क्रोध के कारण, वे कामुक भोग के लिए अवैध साधनों से धन के संग्रह को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।* *🚩⚜️ऐसे व्यक्ति भक्ति का प्रदर्शन भी करते हैं, जो आध्यात्मिक सिद्धांतों के विपरीत है। ऐसी आत्माएं अपने बुरे कर्मों के कारण समान आसुरी प्रकृति के लोगों के बीच जन्म-जन्मान्तर जन्म लेती रहती हैं* *🚩⚜️गीता कहती है कि काम, क्रोध और लोभ नरक के तीन द्वार हैं, उन्हें त्यागने का आग्रह। जो इन तीनों दोषों से मुक्त हो जाता है, उसके लिए मोक्ष का मार्ग साफ हो जाता है। ऊपर से स्पष्ट है कि सच्चा राम राज्य तभी हो सकता है जब उस राज्य में रहने वालों में दैवीय गुण हों। और कैसे कोई इन दोषों से मुक्त होकर दैवीय गुणों को धारण करता है?* *🚩⚜️वर्तमान समय में, जब कलियुग समाप्त होने को है और लगभग सभी मनुष्य विकारों की चपेट में हैं, आत्मा को पवित्र बनने का एकमात्र तरीका सभी गुणों के सर्वोच्च स्रोत से जुड़ना है।* *🚩⚜️इस कड़ी के माध्यम से वे शक्ति और गुणों को आकर्षित कर सकते हैं जो उन्हें समृद्ध और मजबूत करेंगे और उन्हें नकारात्मक प्रभावों से परे ले जाएंगे।* *⚜️🚩यही राजयोग ध्यान के बारे में है। जब नियमित रूप से इसका अभ्यास किया जाता है, तो यह आत्मा को शांति, प्रेम, पवित्रता और आनंद से भर देता है। जब कोई व्यक्ति इन गुणों से भर जाता है, तो वे उसके शब्दों और कार्यों में परिलक्षित होते हैं। और जब महत्वपूर्ण संख्या में व्यक्ति इस तरह से खुद को बदलते हैं, तो सामाजिक परिवर्तन होता है। यही एकमात्र तरीका है जिससे दैवीय गुणों का पोषण और प्रसार किया जा सकता है और पृथ्वी पर राम राज्य का निर्माण किया जा सकता है।* 🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️ [10/02, 3:59 pm] Devendra Kumar Sharma: ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠 भाग - 11 ♦️💠* *♦️💠देश का वास्तविक गद्दार कौन? गांधी-नेहरू या सावरकर* *🌻राकेश कुमार आर्य🌻* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠कांग्रेस की इसी विश्वासघाती नीति पर सावरकरजी ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से कहा था-‘‘राष्ट्र का विभाजन कांग्रेस की कायर व तुष्टिकरण की आत्मघाती नीति का ही दुष्परिणाम है। यदि हिंदू कांग्रेस के अहिंसा व हिंदू मुस्लिम भाई-भाई के भ्रामक नारों में न फंसते तो भारत अखण्ड रूप में स्वाधीन हो जाता। मातृभूमि के खण्ड-खण्ड करने की मांग रखने वालों के षडय़ंत्र को ही खण्ड-खण्ड कर दिया जाता।’’* *♦️💠तीन जून 1947 को भारत विभाजन को स्वीकार करने के उपरान्त नेहरूजी ने कहा था-‘‘भारत में विद्यमान हिंदू और मुस्लिम समस्या (जबकि भारत में हिंदू और मुस्लिम नाम की कोई समस्या कभी नही रही, इसके स्थान पर ‘मुस्लिम साम्प्रदायिकता’ नाम की समस्या रही है-पर उसे कांग्रेस ने कभी नही कहा-इसके राष्ट्रवाद और विश्वासघात का यह भी एक उदाहरण है) का सदैव के लिए समाधान करने हेतु ही हम भारत का विभाजन स्वीकार कर रहे हैं।’’* *♦️💠नेहरूजी की इस टिप्पणी का उत्तर देते हुए सावरकरजी ने कहा था-‘‘हिंदू मुस्लिम समस्या के समाधान के रूप में देश को खण्ड-खण्ड करने वालों को मैं चेतावनी देता हूं कि देश के बंटवारे से यह समस्या सुलझने के स्थान पर और भी अधिक उलझ जाएगी। पाकिस्तान की स्थापना होते ही, यह समस्या और भी अधिक उग्र रूप धारण कर लेगी।’’ आज हम देख रहे हैं कि-‘‘भारत तेरे टुकड़े होंगे-इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह’’ कहने वाले उसी नेहरू के नाम से स्थापित जवाहरलाल विश्वविद्यालय नई दिल्ली में जन्म ले चुके हैं, जो हमें बता रहे थे कि हमने भविष्य में भारत के और टुकड़े न होने देने के उद्देश्य से पाकिस्तान बन जाने पर अपनी सहमति दी है। देशभक्ति की मर्यादाएं तो उस समय टूट गयीं जब ‘नेहरू-गांधी’परिवार का उत्तराधिकारी इस अलगाववादी मनोवृत्ति को समर्थन देने जेएनयू पहुंच गया। कहने का अभिप्राय है कि कांग्रेस अपने परंपरागत संस्कारों को छोडऩे को आज भी तैयार नही है।* *♦️💠जब 27 मई 1964 को नेहरूजी का देहांत हो गया तो देश के शासन की बागडोर देश की मिट्टी से बने लालबहादुर शास्त्री को मिली। शास्त्रीजी ने 9 जून 1964 को देश की बागडोर संभाली। यह व्यक्ति मनसा वाचा कर्मणा भारतीय था। कांग्रेस के मंच पर उपस्थित रहने वाली उन कुछ महान प्रतिभाओं में से एक जिनकी राष्ट्रभक्ति और भारतीयता पर सारे देशवासियों को गर्व है। यदि कांग्रेस में शास्त्रीजी जैसे लोगों को प्रारंभ से ही सम्मान मिलता तो कांग्रेस सचमुच महान नेताओं की एक महान पार्टी कही जाती। तब इसका वह‘विश्वासघाती’ चेहरा लोगों के सामने ही नही आता, जिसके अनुसार इसने देशभक्तों को या तो जीते जी अपने मंच से भगा दिया था या मरने के उपरांत उनकी स्मृतियों को विस्मृति के गहरे गड्ढे में डाल दिया था।*
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*♦️💠सालों से बड़ी संख्या में अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं के शब्दों को लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में सभापति के द्वारा 'असंसदीय' घोषित किया गया है। इन असंसदीय अभिव्यक्तियों को संसद के रिकॉर्ड से बाहर रखा जाता है। लोकसभा सचिवालय ने ऐसे 'असंसदीय अभिव्यक्तियों' की एक वृहत किताब तैयार की है। इस पुस्तक में ऐसे शब्द या अभिव्यक्तियां हैं, जिन्हें अधिकांश संस्कृतियों में असभ्य या आपत्तिजनक माना जाएगा। हालांकि, इसमें ऐसी सामग्री भी हैं, जो आमतौर पर हानि-रहित और सीधा-सादा लग सकता है। इसमें आसन के आदेश पर नए शब्दों और वाक्यांशों को भी शामिल किया जाता रहा है।* *♦️💠किसी शब्द या भाषण के अंश को हटाने का फैसला कैसे होता है?* *♦️💠इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में लोकसभा सचिवालय के पूर्व डायरेक्टर के श्रीनिवासन ने कहा है कि 'अगर एक सदस्य ऐसे शब्द का इस्तेमाल करता है, जो असंसदीय या अभद्र हो सकता है और सदन की गरिमा या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, रिपोर्टिंग सेक्शन का प्रमुख संबंधित नियमों और प्रक्रिया का हवाला देते हुए उन्हें हटाने के लिए स्पीकर या पीठासीन अधिकारी को सिफारिश भेजता है।' स्पीकर को नियम 380 के तहत उसे सदन की कार्यवाही से हटाने का अधिकार है। जब स्पीकर उस शब्द या उपयोग की गई अभिव्यक्ति को हटा देता है तो यह वापस रिपोर्टिंग सेक्शन में आता है और पहले बताई गई प्रक्रिया के अनुसार उसे सदन की कार्यवाही के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया जाता है।* *♦️💠शब्द या अभिव्यक्ति को कार्यवाही से हटाने के बाद क्या होता है ?* *♦️💠स्पीकर के आदेश के बाद जिन शब्दों या अभिव्यक्ति को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है, उसके बाद मीडिया हाउस भी उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। चाहे वह लाइव टेलीकास्ट के दौरान पूरी दुनिया ने सुनी हो। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की बीजेपी के एक सांसद पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी भी उसी श्रेणी में है। हालांकि, सोशल मीडिया के जमाने में संसदीय प्रक्रिया के लिए भी इस नियम को पूरी तरह से अमल में लाना बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। श्रीनिवासन ने कहा, 'जब लाइव टेलीकास्ट (संसद की कार्यवाही का) शुरू हो जाता है, जब भी ऐसे (असंसदीय) शब्द कहे जाते हैं, उन्हें हटा दिया जाता है, बल्कि बदल दिया जाता है, जैसे कि बाद में ऐसे शब्दों पर बीप (ऑडियो) लगा दी जाती है। ' उन्होंने कहा, 'अगर कोई असंसदीय अभिव्यक्ति जिसपर स्पीकर का ध्यान नहीं गया हो, हम (संसदीय अधिकारी) आसन को सूचित करेंगे और आसन के आदेश से उसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।'* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 [10/02, 3:59 pm] Devendra Kumar Sharma: ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠Free Electricity: पंजाब पावर के पास सैलरी देने के लिए पैसे नहीं, पसीजा कर्मचारी का दिल, बोला- मुझे नहीं चाहिए सब्सिडी* *♦️💠चीफ इंजीनियर के निजी सचिव ने कहा, “हम नहीं जानते कि संकट से कैसे निपटेंगे। मैं लोगों से कह सकता हूं कि बिजली कटौती के लिए तैयार रहें।”* *🌻🌺कंचन वासदेव🌻🌺* ♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠♦️💠 *♦️💠जैसा कि पंजाब सरकार का बिजली विभाग हर दिन 54 करोड़ रुपये की सब्सिडी के कारण धन की कमी से जूझ रहा है, पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के एक कर्मचारी ने अपनी बिजली सब्सिडी छोड़ने के लिए सरकार को पत्र लिखा है। पीएसपीसीएल पटियाला डिवीजन के चीफ इंजीनियर (एमएम) के निजी सचिव करमजीत सिंह ने पीएसपीसीएल के चेयरपर्सन को पत्र लिखकर कहा है कि उनके और उनकी पत्नी के नाम पर लगे दो बिजली मीटरों का बिल जीरो आ रहा है, लेकिन वे बिल का भुगतान करना चाहते हैं, क्योंकि वे बिजली विभाग द्वारा लिए गए लोन से चिंतित हैं।* *♦️💠सरकार को वेतन भुगतान के लिए लेने पड़ेंगे 500 करोड़ रुपये उधार* *समझा जाता है कि सब्सिडी का बोझ उठाने में असमर्थ पीएसपीसीएल को अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए 500 करोड़ रुपये उधार लेने पड़े। राज्य सरकार ने उपभोक्ताओं को सब्सिडी से बाहर निकलने के लिए कोई विकल्प नहीं दिया है। राज्य के 88.15 प्रतिशत निवासियों को जनवरी में शून्य बिजली बिल मिला।* *♦️💠वेतन से 5000 रुपये काटने को किया आवेदन* *♦️💠करमजीत सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पीएसपीसीएल के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपने वेतन से 5000 रुपये प्रति माह काटने के लिए कहा है, ताकि वह बिजली विभाग के आर्थिक संकट दूर करने में योगदान कर सकें, जो परेशानी के दौर में है। “मुझे किसी भी पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है।”* *♦️💠कर्मचारी ने कहा- बिजली कटौती के लिए तैयार रहें लोग*
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