cookie

Utilizamos cookies para mejorar tu experiencia de navegación. Al hacer clic en "Aceptar todo", aceptas el uso de cookies.

avatar

Aasan hai !!

असंभव की खोज ।।। ➡ आस्था ➡ साहस ➡ नम्रता Admin 👉 @aasanhaii

Mostrar más
Advertising posts
32 915Suscriptores
-1824 hours
-837 days
-61530 days
Distribuciones de tiempo de publicación

Carga de datos en curso...

Find out who reads your channel

This graph will show you who besides your subscribers reads your channel and learn about other sources of traffic.
Views Sources
Análisis de publicación
MensajesVistasAccionesVer dinámicas
01
"कोई आपके साथ कितना भी बुरा व्यवहार करे, कभी भी अपने स्तर से नीचे न गिरें,शांत रहो, मजबूत रहो, और दूर चलो।"
2 4499Loading...
02
मौजूद है, क्या स्वाभाविक है, लड़ने का सवाल क्या है, किससे लड़ रहे हो तुम? तुम्हारे भीतर जब कोई समस्या है, उससे लड़ने का मतलब ही यह है कि तुमने आत्मविश्वास खो दिया, अन्यथा तुम्हारा होश, जागृति, तुम्हारा ध्यान काफी है, तुम्हारे ध्यान की रोशनी पड़ेगी, समस्या विसर्जित हो जाएगी, तो पहली तो भूल करते हो कि टालते हो, फिर दूसरी भूल करते हो, अधेरी पूर्वक लड़ते हो, अब तुम्हें हंसी आएगी, तुम कहोगे योद्धा पागल था, लेकिन तुम अपनी तरफ सोचो, कहानी को अपने जीवन में जरा खोजने की कोशिश करो, मेरे पास कोई आता है, वह कहता है कि पान खाना नहीं छूटता, २० साल से लड़ रहे हैं, अब ये चूहा से कोई बड़ी बात हुई, पान खाना, चूहा फिर भी बड़ा है, कोई कहता है सिगरेट नहीं छूटती, तुम बात क्या कर रहे हो, तुम्हारे भीतर आत्मा है या नहीं, तुम किस भांति की बिल्ली हो? चूहे को देखके भाग रहे हो और विचार कर रहे हो की क्या करे क्या ना करे सिगरेट पीने जैसी बात और २० साल हो गये और तुमसे छुट्टी नहीं है, और तुम कही बार छोड़ चुके हो फिर फिर हार गये और फिर फिर शुरू कर दिया तुम हो कौन? कुछ भी नहीं हो मालूम होता है तुम्हारे पास ध्यान की कोई भी ऊर्जा नहीं है तुम्हारे पास आत्मविश्वास नहीं है अन्यथा सिगरेट पीने से लड़ना पड़े? #trending
3 9228Loading...
03
मैंने सुना है ऐसा हुआ जापान में एक बहुत बड़ा योद्धा था और योद्धा प्रासंगिक है यहां उसकी तलवार चलाने की कला का कोई मुकाबला ना था जापान में उसकी धाक थी उसके नाम से लोग कपते थे बड़े-बड़े तलवार चलाने वाले उसके सामने क्षणों में धुलधूश्रित हो गए थे उसके जीवन की एक कहानी है वो कहानी झेन फ़क़ीर बड़ा उपयोग करते है, क्यूकी वो बड़ी बिछड़ पूर्ण है, और तुम्हारे जीवन से जुड़ी है, एक रात ऐसा हुआ की योद्धा घर लौटा अपनी तलवार उसने टांगी खुटी पर तभी उसने देखा कि एक चूहा उसके बिस्तर पे बैठा है वो बहुत नाराज़ हो गया योद्धा आदमी था उसने ग़ुस्से में तलवार निकाल ली क्यूकी ग़ुस्से में वो और कुछ करना जानता ही ना था ना केवल चूहा बैठा रहा तलवार को देखता बल्कि चूहे ने इस ढंग से देखा की योद्धा अपने आपे के बाहर हो गया चूहा और ये हिम्मत और चूहे ने ऐसे देखा कि जा जा तलवार निकालने से क्या होता है मैं कोई आदमी थोड़ी हूँ जो दर जाऊ उसने क्रोध में उठाके तलवार चला दी, चूहा छलांग लगा के बच गया, बिस्तर कट गया, अब तो क्रोध की कोई सीमा ना रही, अब तो अंधा धुन चलाने लगा, तलवार वो जहां चूहा दिखाई पड़े, चूहा भी गजब का था, वो उचके के और बचे, पसीना पसीना हो गया योद्धा और तलवार टूट के टुकड़े टुकड़े हो गई और चूहा फिर भी बैठा था, वो तो घबरा गया, समझ गया कि कोई चूहा साधारण नहीं, कोई प्रेत कोई भूत, क्योंकि मुझसे बड़े बड़े योद्धा हार चुके हैं और एक चूहा नहीं हार रहा, अब योद्धा एक बात है और चूहा बिल्कुल दूसरी बात है, वो घबरा के बाहर आ गया, उसने जाकर अपने मित्रों को पूछा कि क्या करूं? उन्होंने कहा तुम भी पागल हो, चूहे से कोई तलवार से लड़ता है? अरे बिल्ली ले जाओ, निपटा देगी, हर चीज़ की औषधि है, और जहां सुई से काम चलता हो वहाँ तलवार चलाओगे मुश्किल में पद जेयोगे बिल्ली ले जाओ लेकिन योद्धा की परेशानी और चूहे की तेजस्वी की कथा गाँव भर में फेल चुकी बिल्लीयो को भी पता चल गई बिल्लीया भी डरी क्यूकी उनका भी आत्मविश्वास खो गया इतना बड़ा योद्धा हार गया जिस चूहे से पकड़ पकड़के बिल्लीयो को लाया जाये बिल्लीया बड़ा मुश्किल से दरवाज़े के बाहर ही अपने को खिंचने लगे बामुश्किल उनको भीतर करे की वो भीतर चूहे को देखके बाहर आ जाये एक दो बिल्लीयो ने झपटने की भी कोशिश करी लेकिन उन्होंने पाया कि चूहा झपटता उनपे मारता है ये चूहा अजीब था क्यूकी चूहा कभी बिल्ली पे झपटता नहीं मारता जब तक कि उसको एलएसडी ना पीला दिया गया हो या कोई शराब ना पीला दी गई हो जब तक वो होश के बाहर ना हो जाये और चूहा अगर बिल्ली पे झपटे तो बिल्ली का आत्मविश्वास खो जाता है, तो सारी बिल्लियां इकट्ठी हो गई, उन्होंने कहा हमारी इज्जत का भी सवाल है, योद्धा तो एक तरफ रहा, हारे ना हारे हमें कुछ लेना देना नहीं, ऐसे भी हमारा कोई मित्र ना था, चूहे ने ठीक ही किया, मगर अब हमारी इज्जत दाव पर लगी है, अब हम क्या करें, अगर हम हार गए एक दफा और गांव के दूसरे चूहो को पता चल गया तो ये सब प्रतिष्ठा तो प्रतिष्ठा की बात होती है, एक दफा पोल खुल जाए तो बहुत मुश्किल हो जाता है, अगर दूसरे चूहे भी हमला करने लगे तो हम तो गए कही के ना रहे इस योद्धा ने तो डूबा दिया तो उन सबने राजा के महल में एक मास्टर केट थी एक बिल्लीयो की गुरु उससे प्रार्थना की अब तुम्हीं कुछ करो उसने कहा तुम भी पागल हो इसमें करने कैसा जैसा मैं अभी आयी वो बिल्ली आयी वो भीतर गई उसने चूहे को पकड़ा और बाहर ले आयी बिल्लीयो ने पूछा कि तुमने किया क्या उसने कहा कुछ करने की जरूरत है, मैं बिल्ली हूं वो चूहा है, बात खत्म, इसमें तुमने करने का सोचा कि तुम मुश्किल में पड़ोगे, क्योंकि करने का मतलब हुआ कि डर समा गया, उसका स्वभाव चूहे का है, मेरा स्वभाव बिल्ली का है, बात खत्म, हमारा काम पकड़ना है, उसका काम पकड़ा जाना है, ये तो स्वाभाविक है, इसमें कुछ लेना देना नहीं, इसमें कुछ करना नहीं, ना इसमें हम जीत रहे हैं, ना इसमें वो हार रहा है, इसमें हार जीत कहां? ये उसका स्वभाव है, ये हमारा स्वभाव है, दोनों का स्वभाव मेल खाता है, चूहा पकड़ा जाता है, तुमने स्वभाव के अतिरिक्त कुछ करने की कोशिश की और चूहे से कोई लड़के जीता? और बिल्ली जिस दिन लड़े, समझना कि हार गई, लड़ने की शुरुआत ही, हार की शुरुआत है, समस्याओं से लड़ना मत, झेन फकीर कहते हैं, समस्याओं के साथ वही व्यवहार करना जो बिल्ली ने चूहे के साथ किया, चेतना का स्वभाव पर्याप्त है, होश काफी है, होश के मुंह में समस्या वैसे ही चली आती, जैसे बिल्ली के मुंह में चूहा चला आता है, इसमें कुछ करना नहीं पड़ता, लेकिन तुम योद्धा बनकर तलवार लेकर खड़े हो जाते, दो कोड़ी की समस्या है, सुई की भी जरूरत ना थी, तुम तलवार से लड़ने लगते हो, हारोगे, ध्यान रखना मरीज़ हो सर्दी ज़ुख़ाम का और कैंसर का इलाज करोगे तो मारोगे, सर्दी ज़ुख़ाम तो एक तरफ रहेगा, मरीज मरेगा, सम्यक विधि का इतना ही अर्थ है, क्या
3 5548Loading...
04
अगर आप अपनी ज़िंदगी मे कुछ करना चाहते हो, आगे बढ़ना चाहते हो तो सिर्फ 6 महीने कठोर मेहनत कर लो। ये पोस्ट बहुत महत्वपूर्ण पोस्ट है अवश्य पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
1 3840Loading...
05
"जिसे अकेले में रो कर चुप होना और अपना दर्द छुपाना आता है, वो इंसान आज दुनिया में सबसे ताकतवर है ...!"
6 9417Loading...
06
Media files
8 79912Loading...
07
एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया.. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे.. जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा.. पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा.. पर experimenters यहीं नहीं रुके, उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया.. बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए.. पर वे कब तक बैठे रहते, कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया.. और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा.. अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया.. और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी.. एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए... थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ.. बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया, ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े.. अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की.. अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया.. नया बन्दर वहां के rules क्या जाने.. वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका.. पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी.. उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे.. ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं.. इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया अंदर कर दिया.. इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था.. जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था! experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था.. पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह ही था.. वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते.. Friends, हमारी society में भी ये behaviour देखा जा सकता है.. जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है, चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business, राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं.. उसे failure का डर दिखाया जाता है.. और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता.. इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आस पास के लोगों का opposition face करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये.. अपने logic और guts की सुनिए.. ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये.. और बढ़ते रहिये.. कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए..
8 42926Loading...
08
Media files
5 6403Loading...
09
Media files
7 3542Loading...
10
Media files
7 01419Loading...
"कोई आपके साथ कितना भी बुरा व्यवहार करे, कभी भी अपने स्तर से नीचे न गिरें,शांत रहो, मजबूत रहो, और दूर चलो।"
Mostrar todo...
63👍 18🔥 7
मौजूद है, क्या स्वाभाविक है, लड़ने का सवाल क्या है, किससे लड़ रहे हो तुम? तुम्हारे भीतर जब कोई समस्या है, उससे लड़ने का मतलब ही यह है कि तुमने आत्मविश्वास खो दिया, अन्यथा तुम्हारा होश, जागृति, तुम्हारा ध्यान काफी है, तुम्हारे ध्यान की रोशनी पड़ेगी, समस्या विसर्जित हो जाएगी, तो पहली तो भूल करते हो कि टालते हो, फिर दूसरी भूल करते हो, अधेरी पूर्वक लड़ते हो, अब तुम्हें हंसी आएगी, तुम कहोगे योद्धा पागल था, लेकिन तुम अपनी तरफ सोचो, कहानी को अपने जीवन में जरा खोजने की कोशिश करो, मेरे पास कोई आता है, वह कहता है कि पान खाना नहीं छूटता, २० साल से लड़ रहे हैं, अब ये चूहा से कोई बड़ी बात हुई, पान खाना, चूहा फिर भी बड़ा है, कोई कहता है सिगरेट नहीं छूटती, तुम बात क्या कर रहे हो, तुम्हारे भीतर आत्मा है या नहीं, तुम किस भांति की बिल्ली हो? चूहे को देखके भाग रहे हो और विचार कर रहे हो की क्या करे क्या ना करे सिगरेट पीने जैसी बात और २० साल हो गये और तुमसे छुट्टी नहीं है, और तुम कही बार छोड़ चुके हो फिर फिर हार गये और फिर फिर शुरू कर दिया तुम हो कौन? कुछ भी नहीं हो मालूम होता है तुम्हारे पास ध्यान की कोई भी ऊर्जा नहीं है तुम्हारे पास आत्मविश्वास नहीं है अन्यथा सिगरेट पीने से लड़ना पड़े? #trending
Mostrar todo...
👏 30👍 19🔥 2
मैंने सुना है ऐसा हुआ जापान में एक बहुत बड़ा योद्धा था और योद्धा प्रासंगिक है यहां उसकी तलवार चलाने की कला का कोई मुकाबला ना था जापान में उसकी धाक थी उसके नाम से लोग कपते थे बड़े-बड़े तलवार चलाने वाले उसके सामने क्षणों में धुलधूश्रित हो गए थे उसके जीवन की एक कहानी है वो कहानी झेन फ़क़ीर बड़ा उपयोग करते है, क्यूकी वो बड़ी बिछड़ पूर्ण है, और तुम्हारे जीवन से जुड़ी है, एक रात ऐसा हुआ की योद्धा घर लौटा अपनी तलवार उसने टांगी खुटी पर तभी उसने देखा कि एक चूहा उसके बिस्तर पे बैठा है वो बहुत नाराज़ हो गया योद्धा आदमी था उसने ग़ुस्से में तलवार निकाल ली क्यूकी ग़ुस्से में वो और कुछ करना जानता ही ना था ना केवल चूहा बैठा रहा तलवार को देखता बल्कि चूहे ने इस ढंग से देखा की योद्धा अपने आपे के बाहर हो गया चूहा और ये हिम्मत और चूहे ने ऐसे देखा कि जा जा तलवार निकालने से क्या होता है मैं कोई आदमी थोड़ी हूँ जो दर जाऊ उसने क्रोध में उठाके तलवार चला दी, चूहा छलांग लगा के बच गया, बिस्तर कट गया, अब तो क्रोध की कोई सीमा ना रही, अब तो अंधा धुन चलाने लगा, तलवार वो जहां चूहा दिखाई पड़े, चूहा भी गजब का था, वो उचके के और बचे, पसीना पसीना हो गया योद्धा और तलवार टूट के टुकड़े टुकड़े हो गई और चूहा फिर भी बैठा था, वो तो घबरा गया, समझ गया कि कोई चूहा साधारण नहीं, कोई प्रेत कोई भूत, क्योंकि मुझसे बड़े बड़े योद्धा हार चुके हैं और एक चूहा नहीं हार रहा, अब योद्धा एक बात है और चूहा बिल्कुल दूसरी बात है, वो घबरा के बाहर आ गया, उसने जाकर अपने मित्रों को पूछा कि क्या करूं? उन्होंने कहा तुम भी पागल हो, चूहे से कोई तलवार से लड़ता है? अरे बिल्ली ले जाओ, निपटा देगी, हर चीज़ की औषधि है, और जहां सुई से काम चलता हो वहाँ तलवार चलाओगे मुश्किल में पद जेयोगे बिल्ली ले जाओ लेकिन योद्धा की परेशानी और चूहे की तेजस्वी की कथा गाँव भर में फेल चुकी बिल्लीयो को भी पता चल गई बिल्लीया भी डरी क्यूकी उनका भी आत्मविश्वास खो गया इतना बड़ा योद्धा हार गया जिस चूहे से पकड़ पकड़के बिल्लीयो को लाया जाये बिल्लीया बड़ा मुश्किल से दरवाज़े के बाहर ही अपने को खिंचने लगे बामुश्किल उनको भीतर करे की वो भीतर चूहे को देखके बाहर आ जाये एक दो बिल्लीयो ने झपटने की भी कोशिश करी लेकिन उन्होंने पाया कि चूहा झपटता उनपे मारता है ये चूहा अजीब था क्यूकी चूहा कभी बिल्ली पे झपटता नहीं मारता जब तक कि उसको एलएसडी ना पीला दिया गया हो या कोई शराब ना पीला दी गई हो जब तक वो होश के बाहर ना हो जाये और चूहा अगर बिल्ली पे झपटे तो बिल्ली का आत्मविश्वास खो जाता है, तो सारी बिल्लियां इकट्ठी हो गई, उन्होंने कहा हमारी इज्जत का भी सवाल है, योद्धा तो एक तरफ रहा, हारे ना हारे हमें कुछ लेना देना नहीं, ऐसे भी हमारा कोई मित्र ना था, चूहे ने ठीक ही किया, मगर अब हमारी इज्जत दाव पर लगी है, अब हम क्या करें, अगर हम हार गए एक दफा और गांव के दूसरे चूहो को पता चल गया तो ये सब प्रतिष्ठा तो प्रतिष्ठा की बात होती है, एक दफा पोल खुल जाए तो बहुत मुश्किल हो जाता है, अगर दूसरे चूहे भी हमला करने लगे तो हम तो गए कही के ना रहे इस योद्धा ने तो डूबा दिया तो उन सबने राजा के महल में एक मास्टर केट थी एक बिल्लीयो की गुरु उससे प्रार्थना की अब तुम्हीं कुछ करो उसने कहा तुम भी पागल हो इसमें करने कैसा जैसा मैं अभी आयी वो बिल्ली आयी वो भीतर गई उसने चूहे को पकड़ा और बाहर ले आयी बिल्लीयो ने पूछा कि तुमने किया क्या उसने कहा कुछ करने की जरूरत है, मैं बिल्ली हूं वो चूहा है, बात खत्म, इसमें तुमने करने का सोचा कि तुम मुश्किल में पड़ोगे, क्योंकि करने का मतलब हुआ कि डर समा गया, उसका स्वभाव चूहे का है, मेरा स्वभाव बिल्ली का है, बात खत्म, हमारा काम पकड़ना है, उसका काम पकड़ा जाना है, ये तो स्वाभाविक है, इसमें कुछ लेना देना नहीं, इसमें कुछ करना नहीं, ना इसमें हम जीत रहे हैं, ना इसमें वो हार रहा है, इसमें हार जीत कहां? ये उसका स्वभाव है, ये हमारा स्वभाव है, दोनों का स्वभाव मेल खाता है, चूहा पकड़ा जाता है, तुमने स्वभाव के अतिरिक्त कुछ करने की कोशिश की और चूहे से कोई लड़के जीता? और बिल्ली जिस दिन लड़े, समझना कि हार गई, लड़ने की शुरुआत ही, हार की शुरुआत है, समस्याओं से लड़ना मत, झेन फकीर कहते हैं, समस्याओं के साथ वही व्यवहार करना जो बिल्ली ने चूहे के साथ किया, चेतना का स्वभाव पर्याप्त है, होश काफी है, होश के मुंह में समस्या वैसे ही चली आती, जैसे बिल्ली के मुंह में चूहा चला आता है, इसमें कुछ करना नहीं पड़ता, लेकिन तुम योद्धा बनकर तलवार लेकर खड़े हो जाते, दो कोड़ी की समस्या है, सुई की भी जरूरत ना थी, तुम तलवार से लड़ने लगते हो, हारोगे, ध्यान रखना मरीज़ हो सर्दी ज़ुख़ाम का और कैंसर का इलाज करोगे तो मारोगे, सर्दी ज़ुख़ाम तो एक तरफ रहेगा, मरीज मरेगा, सम्यक विधि का इतना ही अर्थ है, क्या
Mostrar todo...
👍 36👏 10🔥 3🎉 1
अगर आप अपनी ज़िंदगी मे कुछ करना चाहते हो, आगे बढ़ना चाहते हो तो सिर्फ 6 महीने कठोर मेहनत कर लो। ये पोस्ट बहुत महत्वपूर्ण पोस्ट है अवश्य पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
Mostrar todo...
"जिसे अकेले में रो कर चुप होना और अपना दर्द छुपाना आता है, वो इंसान आज दुनिया में सबसे ताकतवर है ...!"
Mostrar todo...
👍 83 52👏 6🔥 1
45👍 15🔥 2👏 1
एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया.. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे.. जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा.. पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा.. पर experimenters यहीं नहीं रुके, उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया.. बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए.. पर वे कब तक बैठे रहते, कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया.. और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा.. अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया.. और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी.. एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए... थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ.. बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया, ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े.. अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की.. अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया.. नया बन्दर वहां के rules क्या जाने.. वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका.. पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी.. उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे.. ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं.. इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया अंदर कर दिया.. इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था.. जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था! experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था.. पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह ही था.. वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते.. Friends, हमारी society में भी ये behaviour देखा जा सकता है.. जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है, चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business, राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं.. उसे failure का डर दिखाया जाता है.. और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता.. इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आस पास के लोगों का opposition face करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये.. अपने logic और guts की सुनिए.. ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये.. और बढ़ते रहिये.. कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए..
Mostrar todo...
👍 131 65
1
👍 9 4
👍 28 19👏 3🔥 1
Archivo de publicaciones