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CGPSC with Sumit..🔥✌️

"CGPSC & CG VYAPAM Doubt Solution - To the point aproch ✌️🔥

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#Operation चन्द्रगुप्त मौर्य 2.0 सुमित केशरवानी Day 8/17 (Level 4) Targets : P6 P7 Maths Hindi Eng RPD ….👍 Let's begin new level with new energy ... 🔥
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#Operation चन्द्रगुप्त मौर्य 2.0 सुमित केशरवानी Day 7/17 completed (Level 4) S hr : 4-20 P 5 : 1 P 6 : 2:30 Hindi :30 Eng : 20 RPD ….👍
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Repost from CGPSC FOR YOU
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♦️ Paper 7 : Cyber Security
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Repost from CGPSC BABAJI
⭕️मनसबदारी व्यवस्था 🔹मनसबदारी व्यवस्था मुगल काल की एक प्रशासनिक प्रणाली थी। इस व्यवस्था में मनसबदार अपनी-अपनी श्रेणी और पद (मनसब) के अनुसार घुड़सवार सैनिक रखता था। 🔹 इस व्यवस्था में मनसबदार सम्राट से प्रति माह नकद वेतन प्राप्त करता था। 🔹मनसबदारी प्रथा मुगल काल में प्रचलित थी। यह मूल रूप से मंगोलियों की थी, भारत में इसकी शुरुआत अकबर ने की थी। 🔹 मनसब के आधार पर वेतन के रूप में या तो मनसबदार को उसके निर्धारित वेतन के अनुरूप एक जागीर आवंटित कर दी जाती थी या उसे नकद वेतन दिया जाता था। 🔹मनसबदार को अपना, अपने सैनिकों का, उनसे सम्बद्ध पशुओं तथा अस्त्र-शस्त्रों का खर्च सम्भालना होता था। 𝙹𝚘𝚒𝚗👉 @CGPSCBABAJI
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👍 3
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Repost from Current Affairs
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Data Center Capacity
डेटा सेंटर एक ऐसी सुविधा है जो जटिल नेटवर्क, कंप्यूट और स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करके एप्लिकेशन और डेटा तक साझा पहुंच प्रदान करती है। डेटा सुरक्षित और अत्यधिक उपलब्ध है यह सुनिश्चित करने के लिए डेटा सेंटर सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव में सहायता के लिए उद्योग मानक मौजूद हैं। 𝑱𝒐𝒊𝒏☞ @Current_Affairs_CG
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💥नई शिक्षा नीति - 2020 (Cgpsc Mains P7)
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Repost from VinSma Academy
आंगादेव बस्तर के आराध्य देव : किसी भी शुभ कार्य के पहले इन्हीं की पूजा बस्तर के क्षेत्रो में होती है । कैसे होते है आंगादेव ? आंगा देव का चलायमान देवस्थान होता है यह देव की मूर्ति नहीं होती है आंगा देव का निर्माण आदिवासी विधि विधान से किया जाता है #सागौन की लकड़ी से एक डोली की तरह बनाते हैं और इसे मिट्टी, मोर पंख से तैयार किया जाता और ऐसा माना जाता है कि इसमें देवता वास करते हैं।पेड़ की लकड़ी काटकर अपना इष्ट देवता का विग्रह बनाते हैं और #आंगा देव बनाते समय लकड़ी में औजार लगाने पड़ते हैं. जब आंगा देव बन जाते हैं तो इस पर हल्दी का लेपन करते हैं, इस परंपरा का उद्देश्य निर्माण के दौरान औजार लगने से आंगा देव (लकड़ी) को चोट लगती है, जिसके कारण हल्दी का लेप लगाने से चोट में राहत मिलती है.और इन्हे एक गांव से दूसरे गांव केवल आदमी ही ले जाते हैं। औरतों को मनाही होती है प्राचीन समय में सदियों पहले स्थापित किए गए देव विग्रह आंगा देव आज भी बस्तर के ग्रामों में मौजूद हैं.बस्तरवासियों के धार्मिक हो या सामाजिक परंपरा बिना स्थानीय देवी देवता के नहीं होती और इन देवी-देवताओं में सबसे प्रमुख और आराध्य आंगा देव को माना जाता है । आंगा देव के निर्माण के लिए लकड़ी पुरानी हो जाने से उसे पुनः आदिवासी समुदाय व गांव वालों की उपस्थिति में विधि विधान से सागौन की लकड़ी से आंगा देव की पुनः स्थापना की जाती है.आंगा देव काफी उग्र देव माने भी जाते हैं, उनसे लोग काफी डरते हैं. कहीं भी कोई मुसीबत आती है तो आंगा देव को ले जाकर उसे दूर किया जाता है. ज्ञात हो बस्तर के ग्रामीण अंचलों में होने वाले मंडई मेले, और जात्रा के साथ ही विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व के दौरान आंगा देव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के रथ परिचालन के दौरान आंगा देव ही रथ की अगुवाई करते हैं । यह लेख कॉपीराइट act के आधीन है समय के साथ और भी तथ्य जोड़े जा सकते है © Ramesh Kumar Verma
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यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड में भारतीय साहित्य तीन भारतीय साहित्यिक रचनाएँ- रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक क्षेत्रीय रजिस्टर में जोड़ा गया है । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में कला निधि प्रभाग नामांकन भेजने वाली नोडल एजेंसी है।
सहृदयालोक-लोकन, पंचतंत्र और रामचरितमानस क्रमशः आचार्य आनंदवर्धन, पंडित विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखे गए थे।
यूनेस्को का मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड : यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कार्यक्रम 1992 में शुरू किया गया था।
कार्यक्रम का उद्देश्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मूल्य की दस्तावेजी सामग्रियों को संरक्षित करना और उन तक पहुंच सुनिश्चित करना है।
एशिया और प्रशांत के लिए मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड समिति (MOWCAP) क्या है? MoW कार्यक्रम के तहत MOWCAP की स्थापना 1998 में की गई थी। MOWCAP 43 देशों के एशिया प्रशांत क्षेत्र को कवर करता है, जो दुनिया भर के पांच यूनेस्को क्षेत्रों में से एक है।
मई 2023 तक अंतर्राष्ट्रीय MoW रजिस्टर पर 494 अभिलेख शामिल हो चुके हैं, जिसमें से तीन भारतीय ग्रंथ हैं।
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