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Study Material for Kids🐣

Study Worksheets for kids

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الهند105 261لم يتم تحديد اللغةالتعليم39 597
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*कर भला हो भला* गुप्ता जी, पेशे से व्यापारी थे। कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी। एकदम वीराने में थी उनकी दुकान कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था, तो अक्सर लिफ्ट मांग कर ही काम चलाना पड़ता था और न मिले तो प्रभु के दिये दो पैर, भला किस दिन काम आएंगे। लिफ्ट मांगते, साधन तलाशते गुप्ता जी रोज यही सोचा करते। *कैसे उजड्ड वीराने में दुकान खोल धरा है पता नहि किसकी सलाह थी इससे भला तो चुंगी पर परचून की दुकान खोल लो।* धीरे धीरे कुछ जमापूंजी इकठ्ठा कर, उन्होंने एक स्कूटर ले लिया। बिलकुल नया चमचमाता स्कूटर। स्कूटर लेने के साथ ही उन्होंने एक प्रण लिया कि वो कभी किसी को लिफ्ट के लिए मना न करेंगें। आखिर वो जानते थे जब कोई लिफ्ट को मना करे तो कितनी शर्मिंदगी महसूस होती है। अब गुप्ता जी रोज अपने चमचमाते स्कूटर से दुकान जाते, और रोज कोई न कोई उनके साथ जाता। लौटते में भी कोई न कोई मिल ही जाता। एक रोज लौटते वक्त एक व्यक्ति परेशान सा लिफ्ट के लिये हाथ फैलाये था, अपनी आदत अनुसार गुप्ता जी ने स्कूटर रोक दिया। वह व्यक्ति पीछे बैठ गया। थोड़ा आगे चलते ही उस व्यक्ति ने चाकू निकाल गुप्ता जी की पीठ पर लगा दिया। जितना रुपया है वो, और ये स्कूटर मेरे हवाले करो - व्यक्ति बोला। गुप्ता जी की सिट्टी पिट्टी गुम, डर के मारे स्कूटर रोक दिया। पैसे तो पास में ज्यादा थे नहीं, पर प्राणों से प्यारा, पाई पाई जोड़ कर खरीदा स्कूटर तो था। एक निवेदन है - स्कूटर की चाभी देते हुए गुप्ता जी बोले। क्या? - वह व्यक्ति बोला। यह कि तुम कभी किसी को ये मत बताना कि ये स्कूटर तुमने कहाँ से और कैसे चोरी किया, विश्वास मानो मैं भी रपट नहीं लिखउँगा - गुप्ता जी बोले। क्यों? - व्यक्ति हैरानी से बोला। यह रास्ता बहुत उजड्ड है, निरा वीरान। सवारी मिलती नहीं, उस पर ऐसे हादसे सुन आदमी लिफ्ट देना भी छोड़ देगा - गुप्ता जी बोले। व्यक्ति का दिल पसीजा, उसे गुप्ता जी भले मानुष प्रतीत हुए, पर धंधा तो धंधा होता है। ठीक है कहकर- वह व्यक्ति स्कूटर ले उड़ा। अगले दिन गुप्ता जी सुबह सुबह अखबार उठाने दरवाजे पर आए, दरवाजा खोला तो स्कूटर सामने खड़ा था। गुप्ता जी की खुशी का ठिकाना न रहा, दौड़ कर गए और अपने स्कूटर को बच्चे जैसा प्यार लगे, देखा तो उसमें एक कागज भी लगा था। गुप्ता जी, यह मत समझना कि तुम्हारी बातें सुन मेरा हृदय पिघल गया। कल मैं तुमसे स्कूटर लूट उसे कस्बे ले गया, सोचा कबाड़ी वाले के पास बेच दूँ। अरे ये तो गुप्ता जी का स्कूटर है - इससे पहले मैं कुछ कहता कबाड़ी वाला बोला अरे गुप्ता जी ने मुझे बाजार कुछ काम से भेजा है - कहकर मैं बाल बाल बचा। परन्तु शायद उस व्यक्ति को मुझ पर शक सा हो गया था। फिर मैं एक हलवाई की दुकान गया, जोरदार भूख लगी थी तो कुछ सामान ले लिया - अरे ये तो गुप्ता जी का स्कूटर है - वो हलवाई भी बोल पड़ा। हाँ, उन्हीं के लिये तो ये सामान ले रहा हूँ, घर में कुछ मेहमान आये हुए हैं - कहकर मैं जैसे तैसे वहां से भी बचा। फिर मैंने सोचा कस्बे से बाहर जाकर कहीं इसे बेचता हूँ। शहर के नाके पर एक पुलिस वाले ने मुझे पकड़ लिया। कहाँ, जा रहे हो और ये गुप्ता जी का स्कूटर तुम्हारे पास कैसे - वह मुझ पर गुर्राया। किसी तरह उससे भी बहाना बनाया। हे,गुप्ता जी तुम्हारा यह स्कूटर है या आमिताभ बच्चन। सब इसे पहचानते हैं। आपकी अमानत मैं आपके हवाले कर रहा हूँ, इसे बेचने की न मुझमें शक्ति बची है न हौसला। आपको जो तकलीफ हुई उस एवज में स्कूटर का टैंक फुल करा दिया है। पत्र पढ़ गुप्ता जी मुस्कुरा दिए, और बोले - _कर भला तो हो भला।_ 🦚🌸🦚
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Pencil Color Sorting Worksheet.pdf4.08 MB
Healthy Teeth Activity.pdf3.65 MB
Animal-Food.pdf1.05 MB
A-Z-animal-phonics-flashcards.pdf8.11 MB
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🐕🫏The Dog and The Ass: Once there lived a merchant in Arabia. He often went to the Far East countries to sell his goods. His wife knew some magic. When his husband was away and was alone at home she read the magical books. After some years she became evil with magical powers. The merchant returned home with a lot of money and gifts for her. Once the merchant went on a long journey and didn’t turn up for months. So his wife was in distress. She was angry on her husband and married another man who was wealthy in the town. When her husband returned back, he knew all about her and felt sad. While she saw him near her new home she cursed him and changed him as a dog with her evil magical powers. The merchant wandered here and there in the streets and took food from the streets as a dog. One day it went near a butcher’s shop. The butcher gave some meat with bones. The dog ate only the flesh but not the bones. The butcher noticed it and told his daughter who also knew magic. His daughter came out and watched the dog carefully. She knew with her magical power that it was not a real dog. And that he was a merchant who was cursed by his own wife as dog. The butcher asked his daughter, “Can we change the dog as before". His daughter replied, “Yes I can". Then she took some water from a bowl in her hand and said some magical verses. She then sprayed the water on the dog. The dog was changed to this real form as a merchant in a minute. The merchant was amazed and said. "Oh! I am back again to my form". Then the merchant told the butcher’s daughter, “I want to teach a good lesson to my wife. Can you change her as an ass?" The butcher’s daughter thought for a while and then took some water in a vessel and chanted some verses. Then she gave it to the merchant telling that if he sprayed the water on his wife she would be an ass then. The merchant took the water and went to his old house. His wife was in the garden at that time. The merchant went behind her and sprayed the water on her. Soon she became an ass. “It is the punishment for you" the merchant told the ass. He then went to the butcher and asked him to give away his daughter to him in marriage. The butcher readily accepted and got her married to the merchant. Then they lived happily for many years. @Story_oftheday @kahaniya_channel 🏰  🏡  🏜  🏕  ⛪️
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_*अंतिम प्रयास*_ *एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया.* *राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया.* *महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें ५० स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी.*। *५० स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा. किंतु पत्थर जस का तस रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा.*। *पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा.* *वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है. इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती.* *महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया. पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया.* *पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया. इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और ५० स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता.* *सीख – मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं।* *कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं।* *जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता. यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती. क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाय।* 🌻🌱🌻🌱🌻🌱🌻🌱 🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸
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